कानपुर । नवासे रसूल हज़रते इमामे हुसैन रजि अल्लाहु अन्हु की बारगाह मे खिराजे अक़ीदत पेश करने के लिए तन्ज़ीम बरेलवी उलमा-ए-अहले सुन्नत के ज़ेरे एहतिमाम दस रोज़ा जिक्रे शोहदाए कर्बला का पहला जलसा मदरसा अहले सुन्नत मुबीनुल उलूम हीरामन का पुरवा मे सोशल डिस्टेंसिंग के साथ हुआ । जिसकी सदारत तन्ज़ीम के सदर हाफिज़ व क़ारी सैयद मोहम्मद फ़ैसल ने की मदरसा के प्रधानाचार्य व तन्ज़ीम के प्रवक्ता मौलाना मोहम्मद उमर क़ादरी ने इस्लाम के पहले खलीफा हज़रते अबू बकर सिद्दीक रजि अल्लाहु अन्हु का जिक्र करते हुए कहा कि सरकार सिद्दीके अकबर का बारगाहे मुस्तफा मे वह मुक़ाम हासिल है कि एक बार अम्मी आयशा ने मुस्तफा जाने रहमत से पूछा कि या रसूलल्लाह क्या किसी की नेकियाँ आसमान के तारो के बराबर हैं नबी ने इरशाद फरमाया हाँ वह उमर हैं जिनकी नेकियाँ आसमान के तारो के बराबर हैं फिर अम्मी आयशा ने अर्ज़ किया मेरे वालिद अबू बकर की नेकी किधर गई तो मुस्तफा करीम ने फरमाया ऐ आयशा अबू बकर की एक नेकी उमर की सारी नेकियों पर भारी हैंं यह है मक़ाम अबू बकर का एक बार सरकार अलैहिस्सलाम ने इस्लाम की ज़रूरत के लिए कुछ माल तलब कर लिया सहाबा से तो सबने थोड़ा थोड़ा माल लाकर मुस्तफा के क़दमो पर रख दिया नबी ने पूछा सिद्दीक़ घर मे क्या छोड़ कर आए हो तो सिद्दीके अकबर ने जवाब दिया या रसूलल्लाह घर मे अल्लाह व उसका रसूल छोड़ कर आया हूँ यह हैं अबू बकर जिनकी अदाओं को खुद मेरे सरकार को नाज़ था । उनकी मोहब्बत का सिला बारगाहे मुस्तफा से यह मिला कि दुनिया मे मुस्तफा के साथ थे जलसे के बाद फातिहा ख्वानी हुई और दुआ की गई फिर शीरनी तकसीम हुई इस मौके पर सैयद फिरदौसुर्रहमान,हाजी मोहम्मद नदीम,हाजी अब्दुल बाक़ी,सन्ना भाई,हाजी गुलाम मोहम्मद,अफसर भाई,नदीम अहमद कुरैशी,सईद अहमद कुरैशी आदि लोग मौजूद थे ।
Leave a Reply