20 साल से इंसाफ की उम्मीद में “मो. इसहाक़”
ध्रुव ओमर
कानपुर । शहर में आये दिन सम्पत्ति को ले कर विवाद और मर्डर आम बात है । लेकिन वर्तमान में वक्फ सम्पत्ति एवं शत्रु सम्पति को कागज़ में खेल कर हड़पने व कब्ज़ा करने की होड़ लगी हुई है। इसी तरह की एक घटना जो बिल्कुल फिल्मी स्टाइल से सम्पत्ति के वारिस को फ़र्ज़ी मुकदमे में निपटाने की कोशिश सम्पत्ति को हड़पने की नीयत से की गई है
मोहम्मद इशहाक अपने पिता अब्दुल रज़्ज़ाक द्वारा 98/51 नाज़िर बाग को “अलल औलाद” 14/12/1939 को वक्फ किया गया था जिस का वक्फ नम्बर 137A है जिस को मो. आरिफ,अब्दुल मज़ीद,हाजी अब्दुल कलाम,मो. हाशिम राहत बेग मो. सलीम उर्फ गुड्डू आदि कुछ अवैध कब्जेदारों ने कब्जा किया हुआ है। इस सम्पत्ति के मुतवल्ली अब्दुर रज़्ज़ाक के बड़े बेटे मोहम्मद इस्माइल हैं तथा वक्फ सम्पत्ति की पैरवी उन के छोटे बेटे मोहम्मद इसहाक़ द्वारा की जाती है।
लगभग 20 सालों से सम्पत्ति को पाने के लिए अवैध कब्जेदारों से लड़ रहे मो.इसहाक़ पाने के बजाए सिर्फ खोते जा रहे हैं और उस सोते हुए सिस्टम को जगाने की कोशिश कर रहे हैं जो किसी असहाय की आवाज़ से तो नही उठता हाँ चांदी के जूते (सुविधा शुल्क) या खादी के रसूख से ज़रूर उठता है जो इसहाक़ के पास वर्तमान में नही है । इस इंसाफ की लड़ाई में अपना विवाह भी न कर पाए अपनी छोटी से सिगरेट मसाले की दुकान से अपना जीवन व्यतीत करने वाले मो. इसहाक़ सिर्फ अपना सब कुछ खोते जा रहे है जेल से दोषमुक्त करार देने के बाद जब वो खुली हवा में आये तो वक़्त ने इन की माँ और बहन को लील लिया ।लेकिन इन की कोशिशें आज भी जारी है
उन की कोशिशों का ही नतीजा था कि सुन्नी वक्फ बोर्ड और एस डी एम (सदर) को उक्त सम्पत्ति को 04/04/2011 को अवैध कब्जेदारों से खाली कराना था । अवैध कब्जेदारों ने जब सम्पत्ति को अपने हाथों से निकलती देखी तो उन्होंने मो. इसहाक़ को फर्जी तरीके से फसाने की लिए एक रचना लिखी
मूलगंज स्थित पुलिस सहायता केंद्र के पीछे जब इसहाक़ अपनी सिगरेट,मसाले की दुकान पे बैठे थे शाम का वक़्त था । तभी एक बोलैरो दुकान के सामने आ कर रुकी गाड़ी से 4,5 लोग उतरे तथा इसहाक़ को जबरदस्ती गाड़ी पे बैठाने लगे क्षेत्रीय लोगों ने विरोध भी किया तथा उस समय शहर में दंगा नियंत्रण स्कीम चल रही थी जिस कारण पुलिस सहायता केंद्र में तत्कालीन सी ओ व एस एच ओ मूलगंज मय फोर्स के साथ मौजूद थे इन लोगों ने भी मामले को उसी वक़्त सज्ञान में लिया लेकिन उन लोगों ने अपने को लखनऊ की पुलिस बता के इसहाक़ को अपने साथ ले गए इसहाक़ के अनुसार लखनऊ रोड पे गाड़ी रोकी गई तो अवैध कब्जेदार मो. हाशिम आया और मुझ से उस सम्पत्ति की पैरवी ना करने का दबाव बनाया जब मैने मना किया तो वो अंजाम भुगतने को कह कर चला गया
इसी दिन शाम की घटना दिखा कर मलवां रेलवे क्रासिंग के पास एक किलो नाजायज चरस के साथ लखनऊ के थाना वज़ीर गंज ने इसहाक़ को जेल भेज दिया
इस घटना के बाद इसहाक़ की माँ कुरसुम ने कानपुर शहर के आला अधिकारियों से अपने बेटे के लिए इंसाफ की गुहार लगाई आला अधिकारियों ने मामले को सज्ञान में लेते हुए थाना मूलगंज से रिपोर्ट मांगी तो मूलगंज पुलिस ने रिपोर्ट प्रेषित की की दिनांक 22/3/2011 को लखनऊ की पुलिस सादी वर्दी में आ कर इसहाक़ को उठा ले गई थी । 05/01/2013 न्यायालय द्वारा इसहाक़ को दोष मुक्त करार दिया गया
इसहाक़ ने इस फ़र्ज़ी मामले में फसाने में सलिप्त लोगो के खिलाफ मुकदमा दर्ज करवाने की कोशिश की परन्तु विभागीय मामला होने के कारण उन का मुकदमा आज तक दर्ज नही हुआ फ़र्ज़ी मुकदमे में फस जाने के कारण अवैध कब्जेदारों का का खाली कराने का आदेश भी पूरा नही हो पाया
इसहाक़ इंसाफ पाने के लिए आज तक वक्फ बोर्ड और आला अधिकारियों के चक्कर काट रहा है ।
शहर में इसहाक़ जैसे बहुत हैं । हम आप को इसी तरह के इंसाफ के लिए लड़ रहे और लोगो की दास्तान अपने अगले अंक में प्रकाशित करते रहें गए और इस खबर की वर्तमान स्तिथि से अवगत कराते रहें गए
ये बॉक्स में जायेगा
शत्रु सम्पत्ति व वक्फ सम्पत्ति हड़पने के लिए हो रहा खेल शासन प्रशासन बे खबर
इस बारे में वार्ता करने पर वरिष्ठ अधिवक्ता एवं विधि विशेषज्ञ डॉ.एस.के.वर्मा ने बताया कि शत्रु सम्पत्ति और वक्फ सम्पत्ति की विधिक जानकारी सामान्य जनमानस को न होने से सारा खेल चलता है। दोनों ही सम्पत्तियों के लिए खेल वही करता है जो नज़दीकी होता है। विश्वास का लाभ उठा कर ही विश्वासघात करता है। रही बात शासन/प्रशासन की तो सर्वविदित है कि पैसा क्या न करवा दे परन्तु यदि सघन और विस्तृत जांच निष्पक्ष तरीके से हो तो न जाने कितनी बड़ी-बड़ी और रसूखदार मछलियां जाल में फसेंगी। सभी को जानकारी रहती है परंतु चांदी का जूता है जनाब अपने आप रास्ता बदल देता है । जैसा कि उक्त मामले में भी हुआ । शहर की मूलगंज की पुलिस ने जहां निष्पक्ष जांच की वही इस के उल्टे लखनऊ की पुलिस की कार्यशैली हास्यास्पद है । आश्चर्य है कि लखनऊ पुलिस के ऊपर अभी तक मामला दर्ज नही हुआ तथा एस.डी.एम.सदर ने भी खाली कराने के आदेश को अनदेखा किया। यही विधि की विडंबना है।
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