कानपुर । करोना महामारी से सीधी जंग कर रहे डॉक्टर पर अगर कोई पत्थर फेंके तो मन व्यथित हो जाता है इसी पीड़ा को अपने चित्रांकन से प्रकट किया है डॉक्टर मेहुल दुबे ने । कानपुर लौटी रुहेलखण्ड एमबीबीएस कालेज की प्रथम वर्ष की छात्रा मेहुल दुबे ने पत्थरबाज लोगों को देखकर एक मार्मिक चित्रांकन किया,जिसमें उन्होंने डॉक्टर की व्यथा दर्शाई है,कि कैसे एक छोटा बच्चा डॉक्टर बनने के लिए सपने देखता है फिर वह बड़ा हो कर बड़ी मेहनत से डॉक्टर बनता है । उन्होंने कहा दुनिया में 90% छात्रों को डॉक्टर बनने के लिए मनोचिकित्सक का सहारा लेना पड़ता है।और उसके बाद जब वह एक सफल डॉक्टर बनता है तब लोग उस पर पत्थर बरसाते हैं । ऐसे समय में डॉक्टर के ऊपर क्या बीतती होगी,ऐसे में हम आशा करते हैं की डाक्टर मन वचन कर्म से डिगे नहीं और धरती का भगवान होते हुये जहालत झेले, जिनकी फूलों से पूजा होनी चाहिए उन्हें ईट पत्थर का शिकार होना पड़ रहा है जो निंदनीय है ।
Leave a Reply