कानपुर । मरने से पहले जिंदा हो जाओ इस का मतलब यह है कि तुम्हारी रूह निकल जाये,जान चली जाये,जिस्म रह जाये मरने से पहले अल्लाह के बन्दों की खूब खूब मदद करो यानी गरीबों को रोटी,कपड़े,मकान का इन्तिज़ाम करो, अपाहिजों,कमजोरों और बे सहारा लोगों की ताक़त बन जाओ,यतीम बच्चों,गरीबों और बेवाओं के राशन पानी,शादी, तालीम का अच्छा इन्तिज़ाम करो,हो सके तो मदरसे,स्कूल, कालेज बनवा कर तालीमी माहौल पैदा करो इस लिए कि मरने के बाद तीन चीज़ों का सवाब मिलता है । हदीस में है कि मरने वाला इल्म छोड़ जाये या सदक़ा-ए-जारिया कर जाये या नेक औलाद छोड़ जाये तो इन का सवाब कब्र में पहुँचता रहता है । इन विचारों को मोलाना मोहम्मद हाशिम अशरफी कौमी सदर आल इण्डिया गरीब नवाज़ कोंसिल ने अहमद नगर जाजमऊ के जलसे मिलादुन्नबी में व्यक्त किये उन्होंने कहा हर जानदार की मौत का वक्त और जगह मुक़र्रर है मौत इस दुनिया की सब से बड़ी सच्चाई है । हर व्यक्ति चाहे वो किसी भी धर्म और ख्याल का हो इसे मानता है कोरोना महामारी में कितने लोग अल्लाह को प्यारे हो गए कुरान में अल्लाह पाक का फरमान है हर जानदार को मौत का मज़ा चखना है । इन्सान हर दिन हर घड़ी अपनी मौत क करीब होता जा रहा है हमें हर वक्त मौत को याद करना चाहिए मौत की याद लाज्ज़तो को ख़त्म कर देती है हमें हर वक्त मौत को याद करना चाहिए और आने वाली जिंदगी के लिए नेक काम ज़रूर करना चाहिए । हम दुनिया में ऐसे काम करे कि मरने के बाद हमारा चेहरा बता दे कि किसी ईमानदार का चेहरा है इस से पूर्व कारी मो.अहमद अशरफ़ी ने कुरान की तिलावत से जलसा शुरु किया मो.हसन शिबली, गुलाम गौस ने नात पढ़ीं इस अवसर पर प्रमुख रूप से खुर्शीद आलम,मोईज़ आलम,फहद आलम,मौलाना सुहैब मिस्बाही,मो.कासिम अशरफी,हाफिज मो.अरशद अशरफी, मो.अम्मार अशरफ आदि उपस्थित थे ।
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