*मो0 नदीम सिद्दीकी की रिपोर्ट*
अप्रैल माह के आते ही सूर्य देव के तेवर देखते ही बनते है भीषण के गर्म की मार से जनजीवन अस्त व्यस्त सा प्रतीत होता है इसका सबसे बड़ा प्रभाव यात्रा के समय देखने को मिलता है पानी जिसका कोई मोल नही वो अनमोल हो जाता है जल माफियाओ का जिन्न पूरी जमात के साथ रेलवे में काबिज होकर यात्रियो की जेबो पर डाका डालने के लिए खड़ा हो जाता है यात्री भी मरता क्या ना करता बेचारा शीतल पानी के लालच में लूटने को तैयार हो जाता है परन्तु उसे कम दर्जे का घटिया पानी नसीब होता है मोटी कमाई के लालच में विभागीय अधिकारी भी जल माफियाओ के साथ हो जाते है
*कानपुर* सेंट्रल रेलवे स्टेशन में रोज़ाना सैकड़ो यात्रियों का आना जाना लगा रहता है जाहिर है कि स्टेशन आने पर यात्री खाने पीने के सामान की खरीदारी भी करते है जिसमे पानी प्रमुख रूप से आता है चूँकि जल ही जीवन है इसी का फायदा उठाकर सेंट्रल रेलवे पर जल माफियाओ द्वारा रेल नीर की जगह,अवैध रूप से नीचे दर्जे के ब्रांडों का पानी खुले आम बिकवाया जा रहा है और यात्रियों की जेब के साथ-साथ स्वास्थ्य के साथ भी खिलवाड़ किया जा रहा है कई प्लेटफार्म पर बिक रहे अवैध पानी पर जी0 आर0 पी0 और आर0 पी0 ऍफ़ की खास कृपा दृष्टि की बात सामने आ रही है शायद यही वजह है कि रेल नीर जैसे स्वच्छ और वैध पानी की जगह पर नीचे दर्जे के अवैध पानी को अवैध कारोबारी बिकवा रहे है
*क्यों बिक रहा है नीचे दर्जे का पानी*
बताना चाहेंगे रेलवे विभाग ने यात्रियों के स्वास्थ्य को देखते हुए रेल नीर पानी को जाच पड़ताल के बाद उत्तम और शुद्ध माना है इसीलिए रेल नीर को सिर्फ रेल यात्रियों के लिए ही वैध किया गया है इसे रेलवे के बाहर बेचना अवैध है रेल नीर की थोक कीमत 12.50 रूपए है और उसे 15 रूपए से ज्यादा नहीं बेच सकते है सिर्फ 2.50 रूपए का मुनाफा इसके अलावा इसे अगर कोई बाहर बेचता पकड़ा जाता है तो रेलवे उसके खिलाफ कड़ी कार्यवाही करता है वही कई सस्ते मानक के विपरीत ब्रांड धड़ल्ले से अवैध वेंडरो द्वारा चोरी छिपे 20 रूपए में बेचे जा रहे है जिनकी असली थोक कीमत मात्र 5.50 रूपए है एक बोतल पर ही 14.50 रूपए का मुनाफा यानी रेल नीर के मुकाबले नीचे दर्जे के पानी से अवैध कारोबारियों की चांदी ही चांदी है पानी के इस अवैध प्रकरण में संचालक के रूप में अतुल के अलावा कई नाम निकलकर सामने आ रहे है सूत्रों का कहना है इन्हें रेलवे पुलिस का पूर्ण संरक्षण प्राप्त है शायद यही कारण है जिसकी वजह से पानी के अवैध कारोबारी बिना किसी भय के रेलवे में चोरी छिपे अपनी अवैध दुकाने चला रहे है
बहरहाल मामला कुछ भी हो अगर रेलवे प्रशासन अपने पर आ जॉय तो रेलवे परिसर पर कोई एक माचिस की डिब्बी तक नहीं बेच सकता है तो ये अवैध पानी क्या चीज है अवैध पानी के प्रकरण में ये बात साफ़ नज़र आती है कि उच्चधिकारी हर सम्भव कोशिश में लगे हुए है जिससे रेलवे का विकास हो साथ ही यात्रियो को भी उच्च सुविधाए मिले परन्तु विभागीय अधिकारी कमाई के लालच में उनके अच्छे कार्यो पर पर पानी फेरने पर का कार्य कर रहे है
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