कानपुर । फलक चैरिटेबल एंड एजुकेशनल ट्रस्ट,मायरा फाउंडेशन ट्रस्ट,उन्नति सेवा संस्थान एवं पेशेंट हेल्थ केयर सोसायटी के सदस्यों ने रेल बाजार चौराहे पर बटुकेश्वर दत्त को नम आंखों से श्रद्धांजलि देते हुए उनकी फोटो पर माल्यार्पण करने के साथ लौ प्रज्वलित किया । राकेश मिश्रा द्वारा उनके जीवन और स्वतंत्रता संग्राम पर प्रकाश डाला गया । बटुकेश्वर दत्त:जिन्हें इस मृत्युपूजक देश ने भुला दिया क्योंकि वे आज़ादी के बाद भी ज़िंदा रहे ।
बटुकेश्वर दत्त जैसे क्रांतिकारी को आज़ादी के बाद ज़िंदगी की गाड़ी खींचने के लिए कभी एक सिगरेट कंपनी का एजेंट बनकर भटकना पड़ता है तो कभी डबलरोटी बनाने का काम करना पड़ता है ।
क्रांतिकारी बटुकेश्वर दत्त. (जन्म: 18 नवंबर 1910 – मृत्यु: 20 जुलाई 1965).पिछले कुछ सालों से जब फेसबुक पर भगत सिंह की शहादत को याद करने की रस्म अदायगी देखता हूं तो बटुकेश्वर दत्त याद आ जाते हैं । वही बटुकेश्वर दत्त जिन्होंने 1929 में अपने साथी भगत सिंह के साथ मिलकर अंग्रेजी सेंट्रल लेजिस्लेटिव एसेम्बली में बम फेंक कर इंक़लाब ज़िंदाबाद के नारों के साथ ज़िंदगी भर को काला-पानी तस्लीम किया था और वही बटुकेश्वर दत्त जिन्हें इस मृत्युपूजक और मूर्तिपूजक देश ने सिर्फ़ इसलिए भुला दिया, क्योंकि वे आज़ादी के बाद भी ज़िंदा बचे रहे थे । भला हो उनकी पत्नी की नौकरी का जिसकी वजह से गाड़ी का कम से कम एक पहिया तो घूमता ही रहा । कार्यक्रम में प्रमुख रूप से शामिल रहे राकेश मिश्रा,सुरेश सितारा,सुमित गौड़, सुमित शुक्ला,आयुष सिंह,प्रशांत त्रिपाठी,अभय शुक्ला जी, मनीष शर्मा,अभिषेक श्रीवास्तव,श्याम जैन,रवि यादव विजय सिंह,नवीन अग्रवाल,सुनीत तिवारी,विवेक हिंदू,संजीव चौहान, मीनाक्षी गुप्ता,आकांक्षा श्रीवास्तव,अधिवक्ता मधु यादव,रवि शुक्ला,आयुष पाठक इत्यादि लोग मौजूद रहे ।
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