कानपुर । आला हज़रत इमाम अहमद रजा खान फाजिल-ए–बरेलवी शरियत ओ तरीकत के संगम थे । आपको लगभग पचास से जियादा इल्म पर महारत प्राप्त थी आपने अपनी ज़िन्दगी में हजारों किताबें लिखकर इल्म का एक बड़ा ज़खीरा दिया । विषेश तौर पर कुरान पाक का उर्दू में अनुवाद किया और फतावा-ए-रिजविया जो 30 मोटे भागों में मौजूद है जिसकी रौशनी में आज भी उलमा फतवा जारी करते हैं ।आपके तर्जुमा-ए-कुरान का नाम कन्जुल ईमान है । आपने इश्क-ए-रसूल की जो शमा हमारे दिलों में रौशन की है वह रहती दुनिया तक कोई निकाल नहीं सकता है उक्त विचार मदरसा अशरफुल मदारिस गद्दियाना में आल इंडिया गरीब नवाज़ कोंसिल के तत्वाधान में आयोजित उर्से आला हज़रत के अवसर पर मौलाना मो. हाशिम अशरफी साहब इमाम ईदगाह गद्दियाना ने किया । अशरफी ने कहा कि मुजद्दीदे दीनो मिल्लत आला हज़रत इमाम अहमद रजा खान फाज़िले बरेलवी 10 शव्वाल 1272 हिजरी मोताबिक 14 जून 1856 को बरेली में जन्मे 04 बरस की छोटी उम्र में कुरान मजीद ख़तम किया 06 बरस की उम्र में लोगों के सामने मंच पर तकरीर की उर्दू अरबी फारसी पढने के बाद अपने पिता हज़रत मौलाना नकी अली खान साहब से उच्च सिक्षा प्राप्त किया 13 बरस की उम्र में फरागत प्राप्त की उसी वक़्त से फतवा लिखना शुरू कर दिया आप ने लगभग 50 विषय पर किताबें लिखी इसी लिए आपके छात्र और प्रशंशक समेत विरोधी भी आप को कलम का बादशाह कहा मक्का मदीना के उलमा ने आप का सम्मान किया 25 सफ़र 1340 हिजरी मोताबिक 1921 इसवी जुमा के दिन आप का निधन हुआ आप का मजार बरेली के मोहल्ला सौदागरान में सभी की आस्था का केंद्र है आप पूरी ज़िन्दगी भाई चारे,शांति,मानवता,इंसानियत का सन्देश देते रहे ।मेहमाने ख़ुसूसी खुर्शीद आलम साहब का हार व फूल से शानदार इस्तिक्बाल किया गया इस से पूर्व जलसे का आगाज़ कारी मो. अहमद अशरफी ने कुरान की तिलावत से किया और युसूफ रज़ा ने नात पढ़ी।संचालन हाफिज मो.नियाज़ अशरफ़ी ने की ।मुल्क की तरक्की और अमनो अमान व् कोरोना से निजात के लिए दुआ की गई।इस अवसर पर प्रमुख रूप से मौलाना शकील रसूल बख्श सुब्बा अली मौलाना सुहैब मिस्बाही,मौलाना महमूद हस्सान अख्तर,हाफिज मो.अरशद अशरफ़ी,हाफिज मसूद रज़ा,मौलाना कलीम अहमद,मौलाना अफज़ल हुसैन,मो.कासिम अशरफी,गुलाम गौस,वासिफ़ रज़ा,हाफिज मुश्ताक आदि उपस्थित थे ।
Leave a Reply