इमामे हुसैन से मोहब्बत अस्ल में बुराईयों से दूर रहना
इमामे हुसैन दीन और दीन की बुनियाद है
कानपुर, 6 सितम्बर। हज़रते सैय्यदना इमामे हुसैन इब्ने अली दीन और दीन की बुनियाद है। बेशक आपसे मोहब्बत अल्लाह और उसके रसूल से सच्ची मोहब्बत है और मोहब्बते इलाही का बदला जन्नत है। आपसे असल मोहब्बत बुराइयों से दूर रहना है। उक्त विचार अन्जुमन इस्लामिया कमेटी आचार्य नगर के तत्वाधान में आयोजित ज़िकरे शहीदाने कर्बला के जलसे को सम्बोधित करते हुए हज़रत मौलाना अहमद रज़ा खतीब व इमाम मस्जिद भन्नानापुरवा ने टेनरी वाला हाता में व्यक्त किये।
श्री रज़ा ने कहा कि करबला का इतिहास पूरी दुनिया को यह बात बता चुका है कि हमेशा सच्चाई की जीत होती है और असत्य हमेशा परास्त होता है। हज़रते इमामे हुसैन ने अपने नाना हज़रत मोहम्मद मुस्तफा (सल्ल.) के दीन की हिफाज़त के लिये जानो माल तनो धन सब कुछ कुरबान कर दिया, परन्तु नाना के दीन में मामूली बराबर भी किसी तरह का कोई बदलाव न होने दिया। हज़रते इमामे हुसैन के पुख्ता इरादा ने यजीदी सपना को चकनाचूर कर दिया है। इनके किसी इरादे में कामयाब न होने दिया। श्री रज़ा ने कहा कि मोहर्रम का महीना दुनिया-ए-इस्लाम के लिये अमन व ऐहतराम का महीना है। इस्लाम से पहले भी मोहर्रम की दसवीं तारीख (यौमे आशूरा) को बहुत अहम माना जाता था। पैगम्बरे इस्लाम ने यौमे आशूरा (मोहर्रम की दस तारीख) के ऐहतराम का हुक्म दिया हैं अफसोस की बात है कि मोहर्रम का चांद निकलते ही मुसलमान इस्लामी तहज़ीब (परम्परा) से दूर होकर ढोल, ताशे, गाने बाजे और न जाने कैसी कैसी बुरी बिदअतों में लग जाते हैं। एक बार भी उसे ख्याल तक नहीं आता कि इमामे हुसैन ने इन बुरी चीजों गाने बजाने आदि को मिटाने और अच्छाइयां कायम रखने के लिए अपने तन-धन को कुरबान कर दिया। हज़रते इमामे हुसैन एक सच्चे पक्के अल्लाह और रसूल को राजी करने वाले बन्दा है। जिन्होंने रात भर जागकर इबादतें की है। अपने 25 पैदल हज किए है। बेशक आपकी जिन्दगी दुनिया के लिये नमूना है। आपके बताये हुए रास्ते पर चलकर इन्सान जरूर कामयाब हो सकता है।
श्री रज़ा ने कहा कि हज़रते हुसैन की शहादत रहती दुनिया तक के लिये मिसाल है। आपका रास्ता जन्नत का रास्ता है। आपसे मुंह मोड़ना अल्लाह और रसूल से रिश्ता तोड़ना है। इससे पूर्व जलसे की शुरूआत तिलावते कुरआन पाक से हाफिज़ साबिर हशमति ने की और बारगाहे रिसालत में हाफिज़ इरफान रज़ा हशमति, सैय्यद समीर रज़ा, शोएब वारसी, हाफिज़ मेराज अहमद, शोएब अज़हरी ने नात शरीफ का नजराना पेश किया। जलसे में प्रमुख रूप से मोहम्मद शाह आज़म बरकाती, अब्दुल नईम उर्फ राजू, नादिर अली, फरज़न्द अली, अब्दुल मोईन, शेर खां अकबर, अब्दुल ख्वाजा, असलम, महफूज़, लतीफ अहमद, मोहम्मद इरशाद, शानू, नदीम, आसिफ, सलमान, परवेज़ अशरफ, बकरीदी खां, कललू भाई, छोटू भाई आदि उपस्थित रहे।
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