अकबर अली/मो. अनीस
कानपुर ।अतिक्रमण और जाम दोनो एक सिक्के के दो पहलू है । ये दोनो शहर की एक ऐसी बीमारी है जिस से पूरा शहर ग्रसित है । वर्तमान समय मे ये बीमारी ला इलाज होती नजर आ रही है । क्योंकि इस बीमारी को दूर करने वाले जिम्मेदार आँखे बंद किये हुए हैं । इस बीमारी की खास बात ये है कि इस को फैला भी हम आप ही रहे हैं और ग्रसित भी हम आप ही हैं । वैसे तो ये बीमारी पूरे शहर में फैली हुई है । लेकिन हम बात कर रहे हैं मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र बेकनगंज की जी टी रोड हलीम कॉलेज चौराहे से परेड को जोड़ने वाली ये रोड यहां से गुजरने वालों के लिए मुसीबत का सबब बनी हुई है क्योंकि अतिक्रमण के साथ साथ इस रोड पे चल रहे खाने पीने के होटल खास तौर पे बाबा स्वीट हाउस पे आने वाले ग्राहक अपनी गाड़ियों को रोड पे बेतरतीब खड़े करते हैं क्योंकि इन होटलों ने अपनी दुकानें तो खोल ली हैं लेकिन आने वाले अपने ग्राहकों की गाड़ी खड़ी करने का कोई इंतेज़ाम नही किया जिस कारण यहां आने वाले ग्राहक अपनी गाड़ी आड़ी तिरछी गाड़ी खड़ा कर के वहाँ से गुजरने वालों के लिए मुसीबत बनते हैं और हर वक़्त यहां जाम की स्थिति बनी रहती है । दिन में हलीम कॉलेज से परेड तक पहुँचना लोहे के चने चबाने के बराबर हैं । यहां के रहने वाले बताते हैं कि कभी कोई आकस्मिक कार्य या किसी बीमार को अस्पताल ले जाने की आवश्यकता पड़ने पर बहुत ज्यादा कठिनाई का सामना करना पड़ता है आइये आज हम आप को अपनी कलम से हलीम चौराहे से परेड ले चलते है । वैसे तो आप इस रोड से गुजरे होंगे लेकिन जिस कारण ये समस्या उत्पन्न हो रही है, जिस को नज़र अंदाज़ कर के आगे बढ़ जाते है हम आज उसी ओर आप सब का ध्यान आकर्षित करना चाहते हैं। हलीम चौराहे से परेड के लिए जैसे ही आगे बढ़ते हैं हमें मनामा अस्पताल मिलता हैं जहाँ मरीज़ के तीमारदारों की बेतरतीब गाड़िया खड़ी मिलती है ठीक इस के सामने गाड़ी धुलाई केंद्र है जहां रोक के बावजूद धुलाई के लिए गाड़ी लाइन में लगी रहती हैं । कुछ कदम बढ़ते ही एक छोटी सी मुर्गा मार्किट रोड पे मिलती है। इस के आगे बढ़ते ही रूपम चौराहे से पहले सीज़नी फलों की मार्किट सजी मिलती है अगर रूपम,सत्यम,नारायण, जो अब मैरिज हाल बन चुके हैं अगर इन मे शादियों के प्रोगाम लगें है तो ये समस्या यहां पे कॉकटेल बन जाती है। यहां से किसी तरह निकले और आयशा गर्ल्स स्कूल की छुट्टी हुई तो आप अपनी समय सीमा से पहुचने की आशा खत्म कर दें। यहां से किसी तरह आगे बढे अगर बाजार का दिन हुआ तो आप को महिलाओं की टिप्पणी सुनते हुए निकलना पड़ेगा ।अब आते हैं इस क्षेत्र का सब से मशहूर बाबा स्वीट हाउस जहां पर ग्राहक की आड़ी तिरछी गाड़ियां दाद में खाज का कार्य करती हैं यहां से रहमानी मार्किट पहुचें यहां तो गाड़िया इस तरह से खड़ी मिलती है जैसे इस क्षेत्र का गाड़ी स्टैंड। लाल कुआँ को पार कर के खुली हवा में जैसे ही डॉ. नईम हॉस्पिटल को पार किया एक बार फिर खाने पीने के होटल,जो अभी नए खुले हैं,उन को पार करते हुए यतीम खाने तक पहुँच गए। इस समस्या का दूसरा पहलू इस क्षेत्र की दुकान तो अंदर पर सारा सामान फुटपाथ पर सज़ा होता है। सोने पर सुहागा तब होता है कि ग्राहक दुकान के आगे अपनी आड़ी तिरछी गाड़ी खड़ी कर देता है और जब ऐसे में वहां के दुकानदारों से बात करो तो वो अपना पल्ला झाड़ लेते है। नौबत तो कभी कभी मार पीट तक आ जाती है।
इस रोड पर सैकड़ो दुकाने है लेकिन सुरक्षा के नाम पर कोई भी सुविधा नही है अगर भविष्य में वहां आग लग जाये या कोई दुर्घटना हो जाये तो सहायता कर्मी पहुचते पहुचते तो इस क्षेत्र का एक हिस्सा पता भी ना चलेगा। इस सम्बंध में जब सुशील कुमार (यातायात अधीक्षक) से मुलाकात की तो बेकन गंज का नाम सुनते ही उन को अर्जेंट काम याद आ गया और समस्या सुनने के बाद भी साहब बगैर कोई जवाब दिए चले गए।
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