तनज़ीम पैग़ामे सुबहे अदब कानपुर के ज़ेरे एहतेमाम उर्से रज़वी मनाया गया
कानपुर । तनज़ीम पैग़ामे सुबहे अदब कानपुर के ज़ेरे एहतेमाम मदरसा अशरफिया गयासुल उलूम हाता छोटे मियां कर्नलगंज कानपुर में बाद नमाज़े इशा उर्से रज़वी बनाम महफ़िल रंगे रज़ा का एहतेमाम किया गया जिसकी सदारत हज़रत अल्लामा मुफ्ती मोहम्मद शहबाज अनवर साहब किब्ला मूफ्ति ऐ आज़म कानपुर वा सरपरस्ती हज़रत अल्लामा रियाज़ अहमद हशमती साहब किब्ला क़ाज़ी ऐ शहर कानपुर और कयादत मुखीरे क़ौम अलहाज सय्यद सुल्तान हाशमी ने की- उर्स का आगाज़ तिलावते कलामे रब्बानी से क़ारी शरीफ उवैसी ने किया हज़रत अल्लामा मुफ्ती मोहम्मद शहबाज अनवर साहब किब्ला मुफ्ती ऐ आज़म कानपुर ने अपने सदारती खेताब में फ़रमाया जब हम इस्लामी तारीख पर एक सर सरी नज़र डालते हैं तो हमें इस्लाम के परदा में इस्लाम के एैसे सपूतों की तस्वीर दिखाई देती हैं, जिन्होंने“ओलमाउ वा रसतूल अमबिया “का हक अदा कर दिया_ इमामे आज़म अबू हनीफा, हज़रत इमामे मालिक, हज़रत इमामे शाफई और हज़रत इमाम अहमद बिन हबंल के इलावा इमामे राज़ी वा इमामे गेज़ाली जैसी हस्तियां नज़र आती हैं जिन्होंने इल्मो फन की आबयारी के साथ फिक्री व अमल, इसलाह व तजदीद के अनमट नुक़ूश छोड़े हैं_ऐैसी ही सतोदा सिफात शख्सियतों में एक बहुत हि सुन्हैरा नाम मुफक्किरे इस्लाम ,शेखुल इस्लाम वल मुस्लिमीन इमाम अहमद रजा खान फाज़ले बरेलवी का हैं_ इमाम अहमद रजा खान बरेलवी एक अज़ीम शख्सियत थे आप ने उलूम व फुनून की खेती को सबज़ह ज़ार बना दिया, हिन्दुस्तानियों को अंग्रेजों की गुलामी से आजाद रहने का फहेमो शऊर बख्शा, लोगों में हिम्मत व जुर्रत की रूह फुंकी और इस्लाम की सही तस्वीर पेश फरमाकर इस्लामी क़वानीन की बलादस्ती का बर मला इज़हार फ़रमाया,आला हज़रत इमाम अहमद रजा खान फाज़ले बरेलवी रहमतुल्लाह अलैह अज़ीमुल मरतबत मुफस्सिर, जलीलुल क़द्र मुहद्दिस और बुलंद पाया फक़िह थे, आप की अज़ीम शख्सियत ने तन्हा वह काम अंजाम दिऐ जो एक अंजुमन और तहरीक अंजाम नहीं दे सकती, आप ने अपनी सारी ज़िन्दगी इस्लाम की नशर व अशाअत और देफाऐ अहले सुन्नत के लिए वक़्फ करदी थी, मुकर्रिरे खुसूसी हज़रत अल्लामा मुफ्ती डॉ मोहम्मद यूनुस रज़ा मोनिस उवैसी साहब ने अपने खिताब में फ़रमाया कि जब सरकार आला हज़रत अलैहिर रहमा दूसरी बार हज के लिए तशरीफ़ ले गए तो ज़ियारते मुस्तफा की आरजू लिए रौज़ा ऐ अतहर के सामने देर तक सलातो सलाम पड़ते रहे, मगर पहली रात कीसमत में ये सआदत ना थी, उस मौके पर वह मारूफ नातिआ ग़ज़ल लिखी जिसके मतले में दामने रहमत से वाबस्तगी की उम्मीद दिखाई हैं, वह सुऐ लाला ज़ार फिरते हैं : तेरे दिन ऐै बहार फिरते हैं, लेकिन मकता में मज़कूरा वाक़ेआ की यास अंगेज़ कैफियत के पेशे नज़र नक्शा यूं खिंचा ,कीई क्या पुछे तेरी बात रज़ा : तुझसे कुत्ते हज़ार फिरते हैं (आशिकाने रज़ा अदब में कुत्ते की जगह शैदा कहते हैं)ये ग़ज़ल अर्ज़ करके दीदार के इन्तजार में मोअददब बैठे हुए थे के किस्मत जाग उठी और चशमाने सर से बेदारी में ज़ियारते नबी ए अकरम सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम से मुशर्रफ हुए और आपने अपने खिताब में फ़रमाया कुर्बान जाए उन आंखों पर जिन्होंने आलमे बेदारी में महबूबे खुदा सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम का दीदार किया- क्यूं ना हो आप रहमतुल्लाह तआला अलैह के अंदर इशके रसूल सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम कूट-कूट कर भरा हुआ था और आप रहमतुल्लाह तआला अलैह “फनाफिर रसूल “के आला मनसब पर फाएज़ थे आप रहमतुल्लाह तआला अलैह के नातिआ कलाम इस अमर का शाहिद हैं सरकार आला हज़रत अलैहिर रहमा फ़रमाया करते,अगर कोई मेरे दिल के दो टुकड़े करदे तो एक पर लाइलाहा इल्लल्लाह और दुसरे पर मोहम्मदुर रसूलूल्ला लिखा हुआ पाओ गए– कारी अब्दुल कय्यूम उवैसी पिरिन्सिपल मदरसा हाज़ा अपने खिताब में कहा के मुजद्दिदे आज़म अलैहिर रहमा गुर्बा को कभी खाली हाथ नहीं लौटाते, हमेशा गरीबों की इमदाद करते रहते बल्कि आखिर वक़्त भी अज़ीज़ो अक़ारिब को वसीयत की के गुर्बा का खास ख्याल रखना- उनको खातिर दारी से अच्छे-अच्छे और लज़ीज़ खाने अपने घरों से खिलाया करना और किसी गरीब को ना झिड़कना – आप रहमतुल्लाह तआला अलैह अक्सर तसनीफो तालीफ में लगे रहते- नमाज़ सारी उम्र बाजमाअत अदा की, आप रहमतुल्लाह तआला अलैह की खूराक बहुत कम थी, और रोज़ाना डेढ़ दो घंटे से ज़्यादा ना सोते और शमसुल कमर साहब तर्जुमाने क़ाज़ी ऐ शहर कानपुर ने कहा के अल्लाह तबारक वताअला हमें फाज़िले बरेलवी अलैहिर रहमा के नक्शे कदम पर चलने की तौफीक अता फरमाए और फैज़ाने करम से मालामाल फरमाए उर्स मुफ्ति ए आज़म कानपुर मुफ्ती शहबाज अनवर साहब किब्ला नूरी की दुआ पर इखतेमाम पज़ेर हुआ,उर्स की तकरीब में मौलाना शहाबुद्दीन रज़वी,कारी तय्यब रज़वी,कारी मोहम्मद सफदर,मौलाना फाज़िल रज़वी, कारी इन्तेखाब कौसर,शब्बीर कानपुरी,कारी अनीस बरकाती, मोहम्मद शहबाज कानपुरी,कारी तारीक अज़हरी,डब्बू भाई, मोहम्मद महबूब, मोहम्मद शरीफ लाइट वाले अज़ीज़ अहमद चिश्ती मिडिया प्रभारी, मोहम्मद असलम उप संपादक दैनिक सहरा टुडे वग़ैरा खास मौजूद रहे निज़ामत की ज़िम्मेदारी मोहम्मद रेहान रज़ा सदर तन्ज़ीम पैगामे सुबहे अदब शाख हाता छोटे मियां ने बहुसन खूबी अन्जाम दी-आखिर में बानी तनज़ीम पैग़ामे सुबहे अदब कानपुर मौलाना हम्माद अनवर बरकाती साहब ने शोरका का शुक्रिया अदा किया ।
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