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शावेज़ आलम
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नई दिल्ली। पाकिस्तान से जारी तनाव के बीच भारत को उस समय बड़ी कूटनीतिक कामयाबी मिली, जब पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने आज दोपहर बाद अपनी संसद में विंग कमांडर अभिनंदन वर्तमान को रिहा करने का ऐलान किया। इमरान खान ने कहा कि शांति बहाली की दिशा में पहल के तहत पाकिस्तान ने यह कदम उठाया है। लेकिन मौजूदा हालात और घटनाक्रम को देख कर यह स्पष्ट हो जाता है कि “शांति की पहल” की बात महज दिखावा है। दरअसल, अभिनंदन की सुरक्षित रिहाई मजबूरी थी न कि शांति की पहल। इसके पीछे कई कारण साफ नजर आते हैंः
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–भारत ने स्पष्ट कर दिया था कि अभिनंदन की रिहाई के बदले वह पाकिस्तान के साथ कोई “डील” नहीं करेगा। भारत ने काउंसलर एक्सेस नहीं, तत्काल रिहाई की बात सख्त लहजे में कही।
पकिस्तान ने कई मोर्चे पर बोला हैं झूट 👇👇👇👇👇👇👇
भारत ने दुनिया के सामने यह साबित कर दिया कि पाकिस्तान ने पुलवामा हमले के बाद कई मोर्चों पर झूठ बोला। जैसे- पीओके में जैश के आतंकी कैंप नहीं हैं, भारत के दो पायलट उसके कब्जे में हैं, भारत ने पहले मिसाइल दागी।
झूठे, बर्बर और अप्रिय वीडियो भी पाकिस्तानियों ने सोशल मीडिया पर फैलाए।
दुनिया में भारत की साख पाकिस्तान पर भारी पड़ी
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भारत ने अपने कूटनीतिक कौशल के जरिये पाकिस्तान दुनिया में अलग-थलग कर दिया। पाकिस्तान के आतंकी देश होने की बात मुहर लगी। यह साबित हुआ कि यह मुल्क आतंकवाद को बढ़ावा देता है और अपने यहां आतंकियों को पनपने का मौका देता है।
अमेरिका, फ्रांस, रूस, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया समेत कई देश भारत के साथ खड़े हैं
अहसान नहीं, मजबूरी
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भारत के सख्त रवैये से इमरान खान को पाकिस्तान की गलती का आभास हो गया था। दरअसल, पाकिस्तान तभी गलती कर बैठा था, जब उसने अभिनंदन की तस्वीरें और वीडियो जारी किए। भारत ने इसे जिनेवा कन्वेंशन का उल्लंघन साबित कर दिया। यही कारण है कि इमरान खान को बैकफूट पर आना पड़ा। इस तरह अभिनंदन को रिहा कर पाकिस्तान ने कोई अहसान नहीं किया, बल्कि ऐसा करना उसकी मजबूरी था। विंग कमांडर अभिनंदन की वापसी से बात खत्म नहीं होगी। कई सबक हैं, जो पाकिस्तान को सीखने होंगे।
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