मो0 नदीम सिद्दीकी………
कानपुर-सट्टा और जुआ ये वो शॉर्टकट पथ है जिस पर चलकर लोगबाग बिना परिश्रम किए धनवान बनने का सपना देखते है परंतु होता उल्टा है जब आँख खुलती है सब कुछ लुट चुका होता है कर्ज में डूबे लोगो के पास आत्महत्या या फिर भूखो मरने की नौबत तक आ जाती है सट्टा व जुआ रूपी महामारी का कोई इलाज नही है सट्टे के चंगुल में फसे हजारो भोले भाले लोग इस आशय से सट्टा खेलते है शायद आज भगवान उनकी सुन ले इसी आज के चक्कर में फंसकर वो अपना कल बर्बाद कर रहे है रोजाना गरीबो के लाखो रुपए डकारने वाले सटोरियो ने पैसे व रसूख के दम पर ऐसा चक्रव्यूह तैयार किया हुआ था जिसे तोड़ना किसी ऐरे गैरे के बस की बात नही थी
सटोरियों की पकड़ थाने के एक अदने से सिपाही से लेकर थानेदार तक होती है थाने पर तैनात प्रत्येक कारिंदे को खुश करने का ठेका भी सटोरियो के गुर्गों ने ले रखा था इसके अलावा माह की पहली तारीख पर एक मोटा चढ़ावा चढ़ाना भी इनका दायित्व बनता है ना नुकुर किए बगैर हँसी खुशी इनके गुर्गे चढावा असली हाथो तक पहुचा देते है भला पहुचाएंगे क्यो नही जब महीने में लूट कर लाखों अंदर करेंगे तो हजारों खर्च करने में क्यो आना कानी करेंगे पुलिस पर खर्च करने के फायदे भी अनेक है जैसे कोई पड़ोसी या क्षेत्रीय व्यक्ति शिकायत करता है तो उसे फटकार कर भगा देना अन्य थाने से कोई दबिश पड़ने की सूचना समय रहते देना उच्चाधिकारियों को मामले की भनक लगने पर गुमराह कर देना क्षेत्रीय पुलिस के रहते सीना तानकर सट्टा खिलाना जब पुलिस से इतनी सहूलियत मिल रही है तो थोड़ा सा चढ़ावा तो बनता ही है चढ़ावे की भरपाई के लिए गरीब को सट्टे की भट्टी पर ही क्यों ना भुनना पड़े इनकी बला से इन्हें तो बस राम राम जपना पराया माल अपना करने से मतलब है कहते है अति की भी एक सीमा होती है
अनुराग आर्य की दहशत से जिले में सटोरी बुकेडी हुए थे रफूचक्कर
कहते है अति की भी एक सीमा होती है पुलिस विभाग के एक तेज तर्रार ऑफिसर के जिले में कदम पड़ते ही सटोरियो से लेकर अपराधियो में दहशत फैल गई थी *I.P.S* एस पी पूर्व अनुराग आर्य ने कमान संभालते ही सख्त तेवर अपनाते हुए सबसे पहले जुआड़ खानो व सटोरियो को निशाना बनाया इस काम को अंजाम देने के लिए उन्होंने स्वाट टीम को अपने साथ लिया देखते ही शहर के नामी सट्टेबाजों पर गाज गिरने लगी प्रत्येक दबिश में लाखों का माल बरामद होने लगा सट्टेबाजों में दहशत फैल गई सटोरिये अनुराग आर्य के डर से सट्टा खुलकर नही चला पा रहे थे क्षेत्रीय पुलिस से भी कोई मदद नही मिल पा रही थी कारण थानेदारो को बिना सूचना दिए ही दबिशें पड़ रही थी अनुराग आर्य भाप चुके थे जुए सट्टे का कारोबार क्षेत्रीय पुलिस की मिलीभगत के बिना होना असंभव है इसलिए उन्होंने सबको दरकिनार किया हुआ था सट्टे बाजो से लेकर थानेदारो तक मे अनुराग आर्य की दहशत देखते ही बनती थी डर के मारे कई सटोरी तो अपना बुरिया बिस्तर समेटकर अंडर ग्राउंड भी हो गए थे पकड़े गए सटोरियो को तत्काल गम्भीर धाराओ में जेल भेजने की कार्यवाही भी तेजी से की जाने लगी साथ ही दोषी पाए जाने पर थानेदारो को भी लाइन हाजिर किया गया ताकि अन्य ये जान ले कि पुलिस का काम अपराध को नियंत्रण करना है ना कि बढावा देना है अनुराग आर्य के कार्यकाल में सट्टा जुआ के अलावा चैन स्नैचर, वाहन चोर,लुटेरे,रोड रोमियो,आदि अपराधों पर भी रोक लगी इसके अलावा सड़क पर हो रहे अतिक्रमण से भी लोगो को निजात मिली कल तक पुलिस विभाग को अपनी बपौती समझे बैठे सटोरियो को छुपने के लिए भी जगह नही मिल रही थी सट्टा चलाना तो दूर की बात थी सटोरी अपने ही घरों में घुसने से घबराने लगे थे ये सब मुमकिन हुआ एस पूर्वी के अथक प्रयासों से अनुराग आर्य ने बेहद ईमानदारी के साथ अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए जनता की समस्याओं का समाधान किया शायद यही वजह है कि उनके जाने के बाद आज भी लोग उन्हें अच्छे आचरण की वजह से याद करते है
एसपी राजकुमार अग्रवाल सटोरियो पर लगाएंगे लगाम !
पुलिस द्वारा सट्टा व जुए को लेकर ताबड़तोड़ होती कार्यवाही ने शहर को अपराध मुक्त सा कर दिया था कि अचानक IPS अनुराग आर्य का मेरठ जिले में ट्रांसफर हो गया उनके जाने का इंतजार कर रहे सटोरियों को जैसे मानो मुह मांगी मुराद मिल गई अपना बोरिया बिस्तर समेटकर जिला बदर हुए सटोरी एक बार फिर से जुगत भिड़ाने में लग गए कि किस तरह से पूर्व एसपी द्वारा किए गए नुकसान की भरपाई की जाए साथ ही ये भी जानने की कोशिश में लग गए कि नए एसपी (पूर्वी) राजकुमार अग्रवाल सटोरियों को लेकर कौन सी रणनीति अपनाएंगे परन्तु कहते है अगर कोई रंग किसी पर सही से चढ़ जाए तो उसे उतारना मुश्किल होता है एसपी राजकुमार अग्रवाल ने चार्ज लेने के बाद सभी थानेदारो को हिदायत दे दी क्षेत्र में सट्टा व जुआ जैसे अपराध पनपने ना पाए अगर ऐसा होता कही पाया जाए तो उसके ख़िलाफ़ सख्त से सख्त कार्यवाही की जाए लाख प्रयत्न जे बाद भी सटोरियों को जमने का मौका नही मिल पा रहा है एक आध सटोरियों ने हिम्मत दिखाई परन्तु पुलिस के बदले तेवर देखकर दुबकने में ही भलाई समझी सूचना मिली है कुछ सटोरी अभी भी चोरी छिपे मोबाइल व पर्ची के माध्यम से सट्टा चला रहे है इसके अलावा सटोरिये व जुआ संचालक दीपावली के पर्व में जमकर जुआ व सट्टा खिलाने की तैयारी किए बैठे है (जिस का उदाहरण अभी पकड़े गए सट्टेबाज़ और जुएँ की फड़ )त्योहार की वजह से पुलिस में स्टाफ की कमी रहती है जिसका फायदा सटोरी उठा सकते है अब देखना ये है नए एसपी राजकुमार अग्रवाल पूर्व एसपी अनुराग आर्य की तरह तेवर अपनाकर सट्टे व जुए को जड़ से नेस्तनाबूत कर अपराधों पर रोक लगाने के लिए कौन सी रणनीति अपनाएंगे
Leave a Reply