कानपुर । सूचना प्रौद्योगिकी मे पुस्तकालयों की तस्वीर और कार्यप्रणाली बदल दी है । यही कारण रहा कि कोरोना संक्रमण के कारण स्कूल-कालेज बंद रहने के बावजूद पुस्तकालय ऑनलाइन रहे और ई-लर्निंग, ई-कंटेंट,पोर्टल तथा सोशल मीडिया आदि के माध्यम से पढ़ाई-लिखाई को बाधित नहीं होने दिया । वर्तमान में ई-लाइब्रेरी और मोबाइल लाइब्रेरी के बाद भविष्य में आर्टिफिशियल इंटीलिजेंस का इस्तेमाल वर्चुअल लाइब्रेरी को इण्टरनेट के प्रयोग से अधिक प्रमाणिक, विश्वसनीय और सशक्त माध्यम बना सकता है । यह विचार दयानन्द गर्ल्स महाविद्यालय के पुस्तकालय विभाग द्वारा आयोजित अन्तरराष्ट्रीय वेबिनार “टेक्नालॉजिकल इन्नोवेशन एण्ड इन्वायरमेंटल चेंजस इन मार्डन लाइब्रेरीस” में व्यक्त किए गए । सेविनार को संबोधित करते हुए इण्टरनेशनल फेडरेशन ऑफ लाइब्रेरी एसोसिएशन की अध्यक्ष क्रिस्टीन मैकेंजी (नीदरलैण्ड) ने कहा कि डिजिटलीकरण होने से आज घर बैठे दुर्लभ, बेशकीमती और मनचाही पुस्तकों का अध्ययन और प्रिन्ट लेना संभव हो गया है । यही कारण रहा कि कोरोना काल में भी पुस्तकालय शिक्षण-प्रशिक्षण में अहम् भूमिका निर्वहन करने में सफल रहे । इण्डियन लाइब्रेरी एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रोफेसर बी.डी. कुम्मर ने अपने व्याख्यान में कहा कि पुस्तकालयों में बौद्धिक धरोहर सुरक्षित तरीके से संग्रहीत है । आधुनिक पुस्तकालय बौद्धिक संपदा की चोरी रोकने में सक्षम है । विशिष्ट अतिथि इंदिरा गाँधी नेशनल सेंटर ऑफ आर्ट्स के निदेशक प्रोफेसर रमेश सी. गौर ने कहा कि इण्टरनेट में भरे ज्ञान के अथाह भण्डार का उचित प्रयोग पुस्तकालयों के टेक्नोसेवी हुए बिना सम्भव नहीं है पुस्तकालय पढ़ने के प्रति प्रेम के साथ चिंतन-मनन का वातावरण प्रदान करके पाठक को जिज्ञासु बनाते हैं । वेबिनार के उद्घाटन सत्र में बोलते हुए दयानन्द शिक्षा संस्थान की वरिष्ठ सदस्या कुमकुम स्वरूप ने कहा कि कोविड-19 के दौर में पुस्तकालयों ने बच्चों को जरूरी पाठ्य सामग्री उपलब्ध कराने और विशेषज्ञ व्याख्यानों से जोडने का सराहनीय काम किया है । दयानन्द गर्ल्स पी०जी० कॉलेज की प्राचार्या डॉ० साधना सिंह ने सभी अतिथियों एवं वक्ताओं का स्वागत किया एवं बताया कि पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान विषय में अन्तरराष्ट्रीय बेबिनार कानपुर में पहली बार हो रही है । पंजाब विश्वविद्यालय के डॉ० सुभाजीत पाण्डा, केआईआईटी उडीसा की ससुमीता पात्रा,नार्थ बंगाल विश्वविद्यालय के डॉ० शुभाशु मिस्त्री, वर्धमान विश्वविद्यालय के डॉ० राजेश दास,काजी नजकल विश्वविद्यालय के विश्वजीत साहा, आदि के साथ-साथ अनेक छात्र-छात्राओं ने भी विचार व्यक्त किए।तीन तकनीकी सत्रों में आयोजित अन्तरराष्ट्रीय वेबिनार में देश भर के केस स्टडी सहित दो दर्जन शोध पत्र प्रस्तुत किए गए जिनमें प्रमुख रूप से कोबिड के दौरान आयी चुनौतियों से निपटने से लेकर भविष्य की संभावनाओं–सुविधाओं और बौद्धिक संपदा अधिकार पर चर्चा की गयी । वेबिनार में अमेरिका, यूरोप के देशों के साथ आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैण्ड, बांग्लादेश, मिस आदि से प्रतिभागी शामिल रहे ।
वेबिनार की कार्यक्रम संयोजिका डॉ० क्षमा त्रिपाठी ने बताया कि तकनीकी सत्रों की अध्यक्षा प्रो० विक्रम कुमार असम विश्वविद्यालय, प्रो० आदित्य कुमार त्रिपाठी, बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय, प्रो० शिल्पा वर्मा, डॉ० भीमराव अम्बेदकर विश्वविद्यालय, डॉ० सोनल सिंह, डॉo मनीष बाजपेई, डॉ० विभूति भूषण साह, डॉ० विनीत कुमार, डॉ० विपिन पाण्डेय व श्रीमती दीपमाला निगम उपस्थित रहे ।
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