कानपुर । शरई दारूल कज़ा रजबी रोड़ कानपुर में शहर क़ाज़ी कानपुर हज़रत मौलाना मुफ्ती मोहम्मद साकिब अदीब मिस्बाही की अध्यक्षता में उल्मा ए किराम ने समाज में बढ़ता दहेज़ चलन शादियों में बैंड बाजा नाच गाना आदि फुजूल खर्ची एवं समाज को शर्मसार करने वाली बुराईयों की रोकथाम कैसे हो पर विचार विमर्श करते हुए कहा कि
मुसलमानों में दहेज का बढ़ता चलन इस कदर नासूर बनता जा रहा है कि आज बेटे के लिए दुल्हन तलाशने वाले मुस्लिम वाल्देन लड़की के गुणों से ज़्यादा दहेज को प्राथमिकता दे रहे हैं । जबकि ‘इस्लाम’ में दहेज प्रथा नाम की कोई चीज़ ही नहीं है । जिस तरह से आज दहेज़ लिया और दिया जा रहा है वह कतई तौर पर इस्लाम में हराम है । अफसोस आज मुस्लिम समाज में ऐसी हज़ारों लड़कियां मिल जाएगी । जिनकी खुशियां दहेज रूपी लालच निग़ल चुकी है । शहर क़ाज़ी कानपुर हज़रत मौलाना मुफ्ती मोहम्मद साकिब अदीब मिस्बाही ने मुस्लिम समाज में बढ़ती दहेज की कुप्रथा पर चिंता ज़ाहिर करते हुए इसे रोकने हेतु मुहिम शुरू करने का फ़ैसला किया । उन्होंने कहा कि दहेज़ प्रथा शादियों पर बैंड बाजा गोला तमाशा यह इस्लामी तरीका नहीं है इसे करने वाले शरीयत का मज़ाक उड़ा रहें हैं इस पर मुहिम चलाकर समाज को जागरूक किया जाएगा । निकाह सिर्फ़ मस्जिदों में ही हो ताकि फिजूलखर्ची रोकी जा सके इसकी भी कोशिश की जाएगी साथ ही लड़के वाले अपनी हैसियत के हिसाब से वलीमें करें । साथ ही इस बात का भी ख़्याल रखा जाए कि लड़की वालों पर ख़र्च का ज़्यादा बोझ न पड़े, जिससे ग़रीब परिवारों की लड़कियों की शादी आसानी से हो सके । इस्लाह-ए-मुआशिरा (समाज सुधार) की यह मुहिम शहर के उल्मा व अइम्मा को साथ लेकर चलाई जाएगी जरूरत पड़ने पर मैं खुद हर मस्जिद में सिलसिले वार पहुंचकर इन बुराईयों के खिलाफ तकरीर करूंगा सोशल मीडिया पोस्टर बैनर तथा जगह जगह कैंप लगाकर भी लोगों को जागरूक करेंगें ।
कुल हिंद जमीअतुल आवाम के महामंत्री महबूब आलम खान ने कहा कि अगर यह समाजिक बुराईयां दूर हो जाए और फिजूलखर्ची रूक जाए तो मुसलमान भी तरक्की और खुशहाली की राह पकड़ सकता है और हर गरीब के बेटी के घर बसाने का सपना साकार हो सकता है ताकि कि दहेज की वजह से आयशा जैसी दूसरी बेटियां आत्महत्या करने पर मजबूर ना हो ।
Leave a Reply