कानपुर । डॉ उत्तम पचारणे के नवीन दृष्टिकोण के अंतर्गत अमर शहीद क्रांतिकारी चन्द्रशेखर आज़ाद के जन्मस्थान पर कलाकारों द्वारा उपस्थित होकर स्पॉट पेंटिंग बनाने व उन्हें स्मरण करने का आयोजन हुआ । डॉ उत्तम पचारणे (अध्यक्ष ललित कला अकादमी ) शहीदों,क्रन्तिकारियों के विस्मृत वैभव को अमरता प्रदान करने के लिए नित नए प्रयास कर रहे है ,उसी क्रम में आज प्रातः 5 बजे सभी कलाकार व ललित कला के सभी सदस्य बस से सड़क मार्ग से बदरका पहुचे । कानपुर से 21 किलोमीटर की दूरी पर कानपुर मंडल में उन्नाव जिले के बदरका गांव में अमर शहीद क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद की अमिट यादें आज भी समाहित हैं । यहां घर-घर आजाद पूजे जाते हैं । इन्हीं की दो पुत्रियों में बड़ी जगरानी से सीताराम तिवारी का विवाह हुआ था । वह ससुराल में ही रह कर ससुर के पैतृक दूध के कारोबार में हाथ बटाती थीं । ननिहाल में ही सात जनवरी 1906 को आजाद का जन्म हुआ था । जब आजाद नौ वर्ष के हुए तो पिता सीताराम तिवारी मां जगरानी के साथ रोजगार के लिए मध्य प्रदेश के झबुआ गए थे । आजाद का बचपन गरीबी में बीता गांव में कक्षा चार तक शिक्षा ग्रहण की । इसके उपरांत संस्कृत विद्या पीठ काशी पढ़ने गए। आजाद के बाल सखा रहे इच्छा शंकर शुक्ल अब इस दुनिया में नहीं हैं, मगर वह अपने जीवन काल में जो बताते थे, उन्हीं स्मृतियों और बुजुर्गों के अनुसार बदरका में 82 वर्ष से तीन दिवसीय आजाद जयंती समारोह होता आ रहा है।उनके क्रांतिकारी साथियों में कानपुर के राम दुलारे त्रिवेदी, दुर्गा भाभी जिसे आजाद अपनी बहन मानकर रखी बंधवाते थे, के साथ रामचंद्र मुसद्दी व तारा अग्रवाल रहे हैं ।
ऐसी क्रांतिकारियों के भूमि पर पहुच कर सभी कलाकारों ने नमन स्वरूप अपनी कलाकृतियों से अमरत्व प्रदान किया । सभी ने वहां की मिट्टी का आलिंगन कर स्वयं का धन्य किया ।वहां आजाद से जुड़े विभिन्न स्थानों का अवलोकन करके ह्रदय देशभक्ति से ओतप्रोत हो गया । निश्चित ही ये ललित कला अकादमी व डॉ उत्तम पचारणे के वृहद सोच की वजह से संभव हो पाया ।
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