कानपुर 19 मई । ब्रिटेन में हुई एक रिसर्च के अनुसार धूम्रपान करने वालों और सीओपीडी क्रॉनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पलमोनरी डिसऑर्डर के मरीजों में कोविड-19 के कारण जान जाने का ज्यादा खतरा रहता है भारत में सबसे ज्यादा खाई जाने वाली तंबाकू और पान मसाला के खाने व थूकने के कारण महामारी बढ़ने की चेतावनी जॉन हापकिंस यूनिवर्सिटी द्वारा जारी की जा चुकी है, ऐसे लोगों में वायरस के लक्षण गंभीर होते हैं,सीओपीडी फेफड़ों की बीमारी है जिससे मरीज को सांस लेने में दिक्कत होती है इसे विज्ञान पत्रिका पी एल os1में प्रकाशित भी किया गया है कोविड-19 का कारण बनने वाले कोरोनावायरस की चपेट में आने वाले लोगों को सांस लेने में दिक्कत का सामना करना पड़ता है, उपरोक्त बात सोसाइटी योग ज्योति इंडिया के तत्वाधान में स्वच्छ क्रांति अभियान संस्था के सहयोग से करोना मिटाओ नशा हटाओ अभियान के तहत लॉक डाउन पीरियड में ऑनलाइन स्वास्थ्य सभा विषय “क्या नशे की खुली दुकानें कोरोना जंग की धार को कुंद कर रही हैं”पर अंतरराष्ट्रीय नशा मुक्त अभियान के प्रमुख योग गुरु ज्योति बाबा ने कही । ज्योति बाबा ने आगे कहा कि उत्तर प्रदेश में पान मसाला, तंबाकू का बिकना केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के लगाए गए प्रतिबंधों के बावजूद सिस्टम का फेल होना ही माना जाएगा । एक ओर सरकार करोना महामारी को समूल समाप्त करने हेतु जनता से तन ,मन व धन का सहयोग मांग रही है,लेकिन वही दुनिया की रिसर्च समेत डब्ल्यूएचओ की गाइडलाइंस है कि पान मसाला ,तंबाकू ,सिगरेट व शराब की खुली दुकानें कोरोना मिटाने की जंग को जीतने में सबसे बड़ी बाधा हैं उन सब रिपोर्ट्स एवं गाइडलाइंस को दरकिनार करते हुए चंद राजस्व के लिए लॉक डाउन के मकसद से सरकार क्यों भटक रही है,सरकार के इस निर्णय से कोरोना योद्धाओं को अपमानित होने के साथ प्रदेश की आधी आबादी के कोप का भाजन भी बनना पड़ रहा है साथ ही मेडिकल कर्मियों पर शराब की हिंसा से अतिरिक्त बोझ भी पड़ रहा है, जिससे मेडिकल कर्मी गंभीर मानसिक रोगों का शिकार बन रहे हैं । ऑनलाइन स्वास्थ्य सभा में प्रमुख विचार रखते हुए डॉ. शरद बाजपेई,प्रमुख नेत्र विशेषज्ञ डॉ. मनीष विश्नोई स्माइल आफ टुमारो नीरज सिंह, स्वच्छ क्रांति,जितेंद्र बाल्मीकि,सर्व धर्म सेवा समिति,राजशेखर राजेंद्र,संविधान रक्षक दल,कृष्ण मोहन गिरी,प्रेम नगर कमेटी लखनऊ आदि ने एक स्वर से नशे की खुली दुकानों पर कोविड-19 मुक्ति के लिए प्रतिबंध लगाने की मांग की है ।
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