आज़म/शाह
कानपुर । शहर की चिलचिलाती धूप और तपती गर्मी से बे हाल यहां के वासी 45 डिग्री से ऊपर तक का पारा झेल चुके हैं । गर्मी को देखते हुए नगर निगम हर साल जगह जगह पौशाले लगाता है । परंतु कुछ सालों से ये पौशाले केवल कागज़ों पे चल रहे हैं । पौशालों के लिए नगर निगम हर चौराहों पे जगह घेर कर घास फूस का पौशाला तो बना देती है परंतु उस मे पानी की कोई व्यवस्था नही रहती । ठीक उसी तरह जिस तरह हाथी के दाँत दिखाने के कुछ और खाने के कुछ । ऐसा ही एक नज़ारा मूलगंज चौराहे पे देखने को मिलता है । ये क्षेत्र ऐसा क्षेत्र हैं जहां हमेशा मज़दूर ,रिक्शेवाले, और दुसरे शहर के व्यापारियों की मौजूदगी बनी रहती है। इतनी गर्मी में पौशाला देख कर जहां इन को अपनी प्यास बुझाने की ललक होती है । जैसे ही इस पौशाला के पास जाते है तो ये अपने को ठगा महसूस करते हैं । मूलगंज में 20 साल से मज़दूरी के लिए आ कर खड़े होने वाले एक मजदूर ने बताया कि की भय्या पौशाला बनते हुए तो देखा लैकिन मटके और पानी को नही देखा । मूलगंज तो बानगी पर है। यही हाल हर चौराहे का है। जब हमारे सवांददाता नगर निगम के पौशाला की तलाश में घंटा घर तक पहुच गए तो वहां और भयावह स्थिति दिखी । एक्सप्रेस रोड जो होलसेल मार्किट है और हज़ारो व्यापारी रोज़ इस मार्किट में आते है । लेकिन कही भी घंटा घर से नरौना चौराहे तक लगभग 1 किलो मीटर तक नगर निगम का हैण्ड पम्प व पौशाला नही है। के डी ए द्वारा बनाई गई इस मार्किट में पौशाला के लिए जगह तो बनाई गई है । लेकिन पानी का कोई इंतेज़ाम नही है । वर्तमान समय मे इन जगहों पे दबंगो का कब्ज़ा है । यही स्थिति कचेहरी के पास है। जहां हज़ारो की सख्या में वादकारी आते है। शताब्दी द्वार के सामने एस एस पी कार्यालय के पास एक पौशाला का ढांचा मिला लेकिन पानी नही ।
आश्चर्य की बात है कि इस ओर न तो शहर के आला अधिकारियों व विधायक ,अपने अपने क्षेत्र के पार्षद ,अपने को जनसेवक कहलाने वाले भी आँखे बंद किये हुए हैं ।
इतनी भीषण गर्मी में इन प्यासों (शहर वासियों)के साथ इस तरह का मजाक क्यों ? ए.सी. में बैठ कर काम करने वाले नगर निगम के बाबू क्या जाने की गर्मी और प्यास क्या होती है ?
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