
ध्रुव ओमर
कानपुर । बदलते परिवेश में ,व्यापार की प्रतिस्पर्धा में जहाँ नगरवासियों को लाभ होता है वही कुछ व्यापारी इस प्रतिस्पर्धा का गलत फायदा उठाते है । वर्तमान समय मे शहर में नशाखोरी का मकड़ जाल फैलता जा रहा है नशे का व्यापार करने वाले युवाओं को नशे का लती बनाने के लिए नए नए हथकंडे अपना रहे हैं । नशे की तपिश में जहां कानपुर का युवा सुलग (बर्बाद हो) रहा है, । शहर की हर गली के नुक्कड़ में नशे की दुकान सज रही है और समाज का हर तबका खुलेआम इस का शिकार हो कर अपने भविष्य को डुबो रहा है। वहीं शहर की पुलिस गन्धारी बनी हुई है
शहर में कई बाजारों में खुले आम परचून की दुकानों सहित पान की गुमटियो में छोटे छोटे पैकेट में ब्रांडेड भांग एवं चरस भर के पीने वाला कागज़ खूबसूरत पैकिंग में गोगो के नाम से बिक रहा है। सिगरेट-पान की दुकान चला रहे दुकानदार खुद ही केमिस्ट बनकर भांग के गोले को आयुर्वेदिक दवा बताकर बेचने का गोरखधंधा चला रहे हैं। जनपद की अधिकतर पान और परचून की दुकानों पर ओके, आनन्द, महादेव का गोला, विजया, मुनक्का आदि ब्रांड के नाम से आकर्षित करने वाली चमकीली पैकिंग में भांग का गोला व चरस भरने के लिए खाली सिगरेट बेची जा रही है। पैकेट के ऊपर लिखित में इसे आयुर्वेदिक दवा बताया गया है।
इसी प्रकार शहर के हुक्का बारों में हुक्के में फ्लेवर की जगह चरस और तम्बाकू का सेवन कराया जा रहा है जिन में से कुछ हुक्का बार आला अधिकारियों के कार्यालय की नाक के नीचे गोरख धंधा चला रहे हैं
हमारे एक सवांददाता ने जब ग्राहक बनकर किदवई नगर चौराहा स्तिथ पान की दुकान पर जाकर जब भांग का गोला मांगा तो दुकानदार ने एक मशहूर ब्रांड का पैकेट पकड़ाते हुए कहा कि पैकेट के अंदर पर्याप्त मात्रा में गोले में पूरा नशा है। एक बार इसे खाना शुरू कर दिया तो हर बार इसी ब्रांड के भांग के गोले की डिमांड करोगे। इसी तरह कानपुर के कमला टावर, घंटाघर, कलेक्टरगंज, नयागंज, हरबंसमोहाल, तिलियना, चटाई मोहाल, एक्सप्रेस रोड, बादशाही नाका, सुटरगंज , रेल बाजार सहित जिले के अन्य इलाकों में पान सिगरेट की खुली दुकानों पर भी भांग का गोला अलग अलग ब्रांड के नाम से दो,दो ₹ में बिक रहा है इसी तरह जब हमारे सवांददाता ने चरस भर के पीने वाला कागज़ एक पान की दुकान से खरीदा तो वो एक आकर्षक पैक में दस₹ का मिला उस कागज़ के साथ पैकेट में एक प्लास्टिक का पाइप भी है जिस को उस मे लगा के पीने से हाथों में किसी तरह की बदबू नही आती इस का ₹ शहर की दुकानों में अलग अलग है
भांग का नशा करने वाले एक युवक ने बताया कि उसने भांग का एक गोला खाने से शुरूआत की थी। इसके बाद धीरे-धीरे वो भांग की लत का शिकार हो गया और नशे की डोज बढ़ाता रहा। अब वो दिन में भांग के कई गोले खा लेता है। घर के आस पास ही पान सिगरेट की दुकान पर असानी से मिल जाने वाले भांग के गोले के चलते कम उम्र के युवाओं में इसके नशे का प्रचलन तेजी से बढ़ रहा है। ग्रामीण इलाकों में भी भांग की बिक्री तेजी से हो रही है।
समाज तथा राष्ट्र के निर्माण में किशोर वर्ग तथा नौनिहालों का महत्वपूर्ण योगदान माना जाता है, प्रशासनिक लापरवाही के कारण छोटी सी उम्र से ही नशा की लत में पड़ जाने से उनका भविष्य बर्बाद हो रहा है। जिससे वे राष्ट्र निर्माण के वाहक न रहकर विध्वंस और अव्यवस्था के प्रतीक बन रहे हैं। जनपद में इन दिनों किशोरों की कौन कहे छोटे-छोटे बच्चे में भी नशे की लत चिंता का विषय बनती जा रही है। छोटे-छोटे ये बच्चे भी मादक पदार्थों के आदी होते जा रहे हैं। विद्यालयों के सामने खुली पान-चाय की दुकानों पर विद्यार्थियों की भीड़ इसी का मुख्य कारण है कि वहां आसानी से चरस,गांजा भांग उपलब्ध है । चरस, गांजा, भांग आदि नशीली वस्तुएं जहां इसे खुले आम बढ़ावा दे रही है वही प्रशासनिक अमला इस बात को लेकर उदासीन बना हुआ है।
जब इस सम्बंध में आबकारी अधिकारी अभिमन्यु प्रताप सिंह से बात हुई तो उन्होंने बताया कि ये हमारे विभाग का मामला नहीं है । ये औषधि विभाग से लाइसेंस ले कर दवा के रूप में बेचा जा रहा है
उक्त सम्बन्ध में सवांददाता एस पी क्राइम से मिला तो उन्होंने अपना पल्ला झाड़ते हुए एसएसपी से मिलने को कहा
प्रसाशनिक अमला की उदासीनता का ही उदाहरण है कि शहर में रोज चरस,गांजा,अफीम बड़ी तादाद में पकड़ी जा रही है शहर की पुलिस इस को अपना गुड वर्क मान कर खुद ही अपनी पीठ थपथपा लेती है इस ओर ध्यान नही देती की शहर में इतनी तादाद में नशा क्यों आ रहा है और इसे शहर में कौन मंगा रहा है
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