कानपुर । महिलाओं के साथ घरेलू हिंसा,बच्चों के साथ होने वाली हिंसा,यौन उत्पीड़न,इत्यादि के संबंध में आज पी पी एन इंटर कॉलेज में परिचर्चा का आयोजन किया गया ।प्रधानाचार्य राकेश कुमार यादव ने बताया कि विद्यालय में शासन द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के अनुरूप महिलाओं एवं बालिकाओं के मध्य हो रहे घरेलू हिंसा,बाल हिंसा,यौन उत्पीड़न,चाइल्ड हेल्पलाइन और महिला हेल्पलाइन नंबर के संबंध में विस्तृत परिचर्चा का आयोजन किया गया । महिलाओं के खिलाफ बढ़ता अपराध रुकने का नाम नहीं ले रहा है । इन घटनाओं पर कभी कभार शोर भी होता है । लोग विरोध प्रकट करते हैं । मीडिया सक्रिय होती है पर अपराध कम होने की जगह बढ़ ही रहे हैं । महिलाओं या युवतियों पर कहीं एसिड अटैक हो रहे हैं तो कहीं लगातार हत्याएं बलात्कार हो रहे हैं । इन घटनाओं से निपटने के लिए भारतीय नेतृत्व में इच्छा।शक्ति तो बड़ी है । लेकिन विडंबना ही कही जाएगी कि सरकार,प्रशासन,न्यायालय,समाज और सामाजिक संस्थाओं के साथ-साथ मीडिया भी इस कुकृत्य में कमी लाने में सफल नहीं हो पाई है ।
देश के हर कोने से महिलाओं के साथ दुष्कर्म,यौन प्रताड़ना ,दहेज के लिए जलाया जाना शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना और स्त्रियों की खरीद-फरोख्त के समाचार सुनने को मिलते रहते हैं । महिला सशक्तिकरण के तमाम दावों के बाद भी महिलाएं अपनी असल अधिकार से कोसों दूर हैं । यदि हम दृष्टिपात करें कि आखिर क्यों कम नहीं हो रही महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध तो हमें निम्न बातें दृष्टिगोचर होती हैं । जैसे न्याय में देरी भारत में बीते एक दशक में बलात्कार के जितने भी मामले दर्ज हुए हैं । उनमें केवल 12 से 20 फ़ीसदी मामलों में सुनवाई पूरी हो पाई है दुष्कर्म और फिर हत्या के मामलों में न्याय में देरी होने के कारण ही गुनहगारों में सजा का भय खत्म होता जा रहा है । कानून में मौत की सजा के प्रावधान होने के बाद भी बलात्कार की घटनाओं में कोई कमी नहीं दिखाई दे रही है ।दुनिया भर के समाजशास्त्री,राजनेता और कानून विद का मानना है कि पोर्नोग्राफी बढ़ते यौन अपराधों का एक बड़ा कारण है । टेलीकॉम कंपनियों द्वारा सस्ती दरों पर उपलब्ध कराए जा रहे डेटा का 80 फ़ीसदी उपयोग मनोरंजन व अश्लील सामग्री देखने मैं हो रहा है । जबकि इसे सूचनात्मक ज्ञान बढ़ाने का आधार बताया गया है । महिला अत्याचार के खिलाफ कुछ बड़े कानून हैं । जैसे घरेलू हिंसा से महिला संरक्षण अधिनियम 2005,कार्यस्थल पर महिलाओं के साथ यौन उत्पीड़न अधिनियम 2013,नाबालिक बच्चों के साथ होने वाले अपराधों के मामलों में कार्यवाही करने और उन्हें यौन उत्पीड़न,यौन शोषण और पोर्नोग्राफी जैसे गंभीर अपराधों से सुरक्षा प्रदान करने के मकसद से लैंगिक उत्पीड़न से बच्चों के संरक्षण का अधिनियम 2012 पारित किया गया है । 18 साल से कम उम्र के नाबालिक बच्चों के साथ किया गया किसी भी तरह का यौन व्यवहार इस कानून के तहत आता है । पॉक्सो एक्ट लड़के और लड़कियों को समान रूप से सुरक्षा प्रदान करता है । सरकार द्वारा महिला हेल्पलाइन 1090 की व्यवस्था किया गया है और इसके साथ ही साथ चाइल्ड हेल्पलाइन नंबर 1098 उत्तर प्रदेश शासन द्वारा व्यवस्था की गई । सरकार ने महिलाओं की सुरक्षा के लिए बड़े कानून तो बना रही हैं फिर भी उनकी सुरक्षा के लिए अन्य सुझाव को अमल में लाया जा सकता है । सरकार प्रत्येक चिन्हित शहर में ऐसे स्थानों की पहचान करें जहां अपराध ज्यादा होते हैं । इन स्थानों पर सीसीटीवी की निगरानी बढ़ाई जानी चाहिए । महिला पुलिस कर्मियों के द्वारा गश्त बढ़ाई जानी चाहिए । हर पुलिस स्टेशन में महिला सहायता डेस्क की स्थापना की जाए । वास्तव में महिला सुरक्षा के लिए खुद महिलाओं को भी सक्षम होना होगा । हिम्मत,वीरता जैसे साधनों को उसे अपना महत्वपूर्ण गुण बनाना होगा । बलात्कार की घटनाओं में कुछ हद तक कमी धीरे-धीरे लाई जा सकती है यदि हम महिला सशक्तिकरण के साथ-साथ पुरुष मानवीकरण के लक्ष्य को भी सामने रखें । घर में पिता-पत्नी और बेटी का और बेटा मां का और बहन का सम्मान करें । बाहर किसी भी स्त्री को कोई भी पुरुष इंसान की तरह मान कर सम्मान करें । यदि हम इन सब बिंदुओं को ध्यान में रखे तो महिलाओं एवं बालिकाओं के मध्य हो रहे घरेलू हिंसा,यौन हिंसा और बलात्कार इत्यादि में कमी लाई जा सकती है ।
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