
शावेज़ आलम
कानपुर: बलात्कार के आरोपी द्वारा जेल से रिहा होने के बाद महिला अधिवक्ता पर जानलेवा हमला किए जाने का मामला सामने आया है। इस घटना ने अधिवक्ता समाज को झकझोर कर रख दिया है। आरोपी के खिलाफ पुलिस द्वारा कार्रवाई न किए जाने पर अधिवक्ताओं में भारी आक्रोश है। अधिवक्ता संघर्ष समिति ने पुलिस कमिश्नर को ज्ञापन सौंपकर सख्त कदम उठाने और अधिवक्ता सुरक्षा अधिनियम को लागू करने की मांग की है। आरोप है कि अनन्त मिश्रा परमट निवासी बलात्कार आरोपी ने जेल से छूटने के तुरंत बाद अधिवक्ता नेहा दीक्षित पर हमला किया। नेहा अपने एक साथी के साथ रास्ते में थीं, जब आरोपी ने उन पर हमला कर दिया। हमले में दोनों गंभीर रूप से घायल हो गए। घटना के बाद पुलिस को मामले की सूचना दी गई, लेकिन पुलिस ने न तो मुकदमा दर्ज किया और न ही आरोपी के खिलाफ कोई कार्रवाई की।
अधिवक्ता समाज में आक्रोश:

इस घटना के बाद अधिवक्ता समाज में नाराजगी और असुरक्षा की भावना है। अधिवक्ता संघर्ष समिति ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए पुलिस कमिश्नर को ज्ञापन सौंपा। समिति का कहना है कि अधिवक्ता पर हमला केवल एक व्यक्ति पर नहीं, बल्कि पूरे न्याय तंत्र पर हमला है।
वरिष्ठ अधिवक्ताओं की मांग:
वरिष्ठ अधिवक्ता और पूर्व लायर्स अध्यक्ष रविंद्र शर्मा ने कहा, “अधिवक्ता समाज पर लगातार हो रहे हमले चिंताजनक हैं। इससे न्याय प्रणाली कमजोर होती है। पुलिस को तुरंत इस मामले में कार्रवाई करनी चाहिए। साथ ही, उत्तर प्रदेश सरकार को अधिवक्ता सुरक्षा अधिनियम लागू करना चाहिए, ताकि अधिवक्ताओं को न्याय दिलाने के दौरान खुद की सुरक्षा को लेकर चिंतित न होना पड़े।”
मांगें और अगले कदम:
- मुकदमा दर्ज कर आरोपी को गिरफ्तार करें:
समिति ने मांग की है कि आरोपी के खिलाफ तुरंत मुकदमा दर्ज कर उसे गिरफ्तार किया जाए। - अधिवक्ता सुरक्षा अधिनियम लागू करें:
राज्य सरकार से जल्द से जल्द अधिनियम लागू करने की मांग की गई है, ताकि अधिवक्ता अपने कार्यस्थल पर सुरक्षित महसूस कर सकें। - अधिवक्ता समाज का समर्थन:
समिति ने चेतावनी दी है कि यदि आरोपी के खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई, तो अधिवक्ता समाज बड़े पैमाने पर प्रदर्शन करेगा।
न्याय प्रणाली पर असर:
इस तरह की घटनाएं न केवल अधिवक्ता समाज को हतोत्साहित करती हैं, बल्कि न्याय प्रणाली में आम जनता के विश्वास को भी कमजोर करती हैं।
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