मनीष गुप्ता…..
मध्य प्रदेश/जयपुर में सितंबर में अंतरराष्ट्रीय मैत्री सम्मेलन और राष्ट्रीय रेड डायमंड एचीवर अवॉर्ड के लिए मध्यप्रदेश से सुरीली आवाज और अपनी अनूठी बखूबी गायन प्रतिभा के लिए चुने गए “अजय कुमार” जी की हम यहां बात कर रहे हैं । जिन्हे जयपुर में गोल्ड मैडल,अवॉर्ड,और सम्मान पत्र के अलावा और भी बहुत कुछ दिया जाना है । म,प्र, के छतरपुर बुंदेलखंड में १२ सितंबर “डोल गयारस” को जन्मे अजय कुमार को नाना नानी ने घर का प्यार से नाम दिया “डुग्गे” । शुरू से ही ये जिद्दी और कला के शोकीन रहे डुग्गे घर में चार बड़े भाइयों में सबसे छोटे रहने के कारण सभी की डांट भी खाते पर माता पिता से हमेशा प्यार ही पाते पिताजी श्री के एल श्रीवास्तव सिंचाई विभाग में केनाल डिप्टी कलेक्टर रहे जो कि ललितपुर के मेहरोनी जिले में ग्राम चंदावली के थे जो पदोन्नति के चलते छतरपुर होशंगाबाद होते हुए इटारसी आकर बस गए । जिस कारण इन्हें बचपन से लाड़ प्यार के साथ बो सभी मिला जो सबको नहीं मिल पाता शुरू से ही खाली वक्त में पेंटिंग करना और किशोर दा के फिल्मी गीत सुनना ही इन्होंने अपनी दिनचर्या बना ली । जिस कारण पड़ाई में पीछे होते गए जब हाई स्कूल गए तो वहां से ये डुग्गेे , डुग्गेे भाई कहलाने लगे और स्कूल में भी खाली वक़्त में दोस्तों के कहने पर किशोर दा के गीत सुनाते जब ये सिलसिला ज्यादा चल निकला तो १९९० में दोस्तो कि ही सलाह पर इटारसी शहर की ऑर्केस्ट्रा ज्वाइन की । और फिर जो इनकी मांग निकली तो फिर तो हर प्रोग्राम में इनकी विशेष मांग होती किशोर दा के गीतों की और इस तरह ये इस शहर उस शहर और जिले से प्रदेश में और प्रदेश से दूसरे प्रदेश मे संगीत के आकाश पर छाने लगे । किशोर दा को गुरु मान शुरू से ही उनकी पूजा करने वाले अजय भाई बताते हैं कि घर में कोई भी संगीत में रुचि नहीं रखता और पापा जी अधिकारी रहे तो उन्हें तो समय ही नहीं मिलता था और बड़े भाइयों ने शुरू से ही मेरे संगीत में कोई रुचि नहीं दिखाई , और कभी मेरे गाए गीत सुनते तक नहीं थे , हां मेरी मम्मी जी जरूर मेरे गाए गीतों को सुनती हैं । फिर भी मैं चल ही पड़ा था अकेले ही मंजिल पाने, गुरुदेव किशोर दा के गीतों को अपना साथी बनाकर और १९९० से शुरू किया अपना सफर अकेले ही । अवॉर्ड मिलने पर से अजय कुमार बोलते हैं की ये अवॉर्ड अजय कुमार को नहीं ,अजय कुमार में जो शुरू से ही किशोर कुमार ही रचे बसे हैं और इसी कारण मेरी आवाज़ में उनकी जरा सी झलक है उस आवाज़ को अवॉर्ड मिल रहा मेरे उस गुरु किशोर दा को मिल रहा मै तो बस एक जरिया हूं मेरे गुरुदेव का और मुझे शुरू से ही अवॉर्ड या नाम की कोई चाह नहीं ,मुझे तो बस अंतिम समय तक स्टेज पर किशोर दा के गीत ही गाते रहना और कुछ भी नहीं चाहिए । मैंने आज अकेले अपने खुद की, किशोर दा की दम पर इतना कर लिया ये बहुत है । वरना आज तो ऐसे भी जगह जगह एक से एक कलाकार पड़े जिन्हे कोई उनके ही एरिए में नहीं जानता और इस नजरिए से देखा जाए तो,मुझे तो आज कई प्रदेशों में मेरे नाम से जाना जाता है,इतना भी क्या कम है और फिर मेरा सबसे बड़ा अवॉर्ड तो मुझे मिल ही चुका,कि आज मेरे नाम के आगे “वॉइस ऑफ किशोर दा” लगाया जाता , ये मेरे लिए सबसे बड़ा इनाम जो आप सभी मीडिया वाले और श्रोताओं ने दिया । में आप सभी पत्रकार भाइयों और मेरे प्यारे दर्शकों का सदा दिल से आभारी रहूंगा । इन्होंने संगीत की विधिवत शिक्षा कभी किसी से भी नहीं ली और जब भी किशोर कुमार की कभी भी बात होती है वहां अजय कुमार के नाम का जिक्र न हो ऐसा असंभव । जब अजय कुमार को किशोर दा की पूजा का आशीर्वाद स्वरूप प्रसिद्धी मिलते गई तो १४ अप्रैल २०१६ को इन्होंने अपने नाम से “अजय कुमार म्युजिकल ग्रुप” की स्थापना की और शादी,पार्टी में स्टेज शो करने लगे ,मांग बढ़ने लगी और इस प्रदेश से उस प्रदेश ऐसे करते करते आज मेहनत रंग लाई और राजस्थान जयपुर में पहली बार इतना बड़ा मंच, अवॉर्ड और नाम मिलना है । अजय कुमार की हम बात करें तो इनके गले में मा सरस्वती निवास करती ये किशोर दा की आवाज़ के साथ तो पूरा न्याय करते ही पर साथ साथ मुकेश जी,मो रफी साहब जी,हेमंत कुमार जी,और नए गीतों में कु शानू,अभिजीत,विनोद राठौड़,अमित कुमार जी सभी को हूबहू ही गाते । पर अजय जी खुद बताते की मुझे जिसमें सुकून और ऊर्जा मिलती बो मेरे गुरुदेव किशोर दा के गीतों को ही गाने में । अजय जी बताते कि आज मुझे यहां तक लाने का श्रेय मेरे बड़े भाई श्री प्रमोद जी का है ये में कभी नहीं भूल सकता । जिन्होंने मुझे “पैसों और समय ” दोनों ही से हमेशा ही मेरी मदद भी की ,मुझे प्रोत्साहित भी करते आए । अजय कुमार संदेश देते हैं की ” जिस किसी भी गायक के गीत गाओ पर गाने से पहले गीत के भावों को समझो , जानो उस गीत में खो जाओ पर फिर उसने डूबकर गाओ ” सफलता अपने आप कदम चूमेगी ।। मेरे पास मेरे संगीत से बड़ी कोई विरासत नहीं और किशोर दा के गीत से बड़ी कोई बसियत नहीं ।।
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