फैसल हयात
शहाबुद्दीन और उन की टीम की बेहतरीन कोशिश को नकार कर कौम को मायूसी और बेबसी के कुएं में धकेलने की कोशिश की हैं
अस्पताल कमेटी की इजाज़त कौम के कुछ लोगों की बचा सकती है जान !
अब कौम के लोगों को आगे आना चाहिए और इस कमेटी से पूछना चाहिए कि ये सफेद हाथी किस काम का जब हमारे काम न आये
कानपुर । कोविड19 सक्रमण से जहां पूरा देश जूझ रहा हैं वहीं अपने शहर कानपुर की भी स्तिथि बाद से बदतर हैं । न अस्पतालों में लोगों को बेड मिल रहा हैं न ऑक्सीजन सिलेंडर जिस कारण लोगों की म्रत्यु हो रही हैं लोग अपनो को खो रहे हैं उन की बेबसी मायूसी लफ्जों में बयां नही की जा सकती हैं । लोगो की इस तरह बिना इलाज मरते हुए तथा लोगों को सही इलाज पहुचाने के उद्देश्य से समाजसेवी और संभ्रात लोग कोशिश कर रहे हैं ऐसी ही एक कोशिश हलीम कॉलेज छात्रसंघ के पूर्व महामंत्री शहाबुद्दीन और उन की टीम ने की लेकिन कुछ इंसानियत के दुश्मन व अपने को कौम का हमदर्द का दिखावा करने वालों ने इस टीम की बेहतरीन कोशिश को नकार कर कौम को मायूसी और बेबसी के कुएं में धकेलने की कोशिश की हैं ।
आप को बताते चलें कि मुस्लिम क्षेत्र में स्थित मुस्लिमों के लिए बनाया गया चेरिटेबिल मोहम्मदिया अस्पताल जो 4500 गज पर 120 बेड़ो का ये अस्पताल चंद मरीजो का इलाज कर रहा है । इस अस्पताल में ऑक्सीजन लाइन,एम्बुलेंस एव अन्य अस्पताल से सम्बंधित सारी चीजें मुहैय्या हैं । फिर भी ये अस्पताल कौम के लिए हाथी के दांत बना हुआ है दिखाने का कुछ,खाने का कुछ ।
शाहबुद्दीन और उन की टीम ने इस अस्पताल को वक़्ती तौर पर कौम की ज़रूरत को देखते हुए इस अस्पताल को कौम के लिए चालू कराने की कोशिश करने लगे इस टीम के अनुसार जिस का सारा खर्चा भी ये टीम एव संभ्रात लोग उठाने को तैयार थे तथा डॉक्टरों से भी बात कर ली थी । सिर्फ इस अस्पताल के जिम्मेदारों से परमिशन लेनी थी । इस अस्पताल को संचालित करने वाली कमेटी कार्यवाहक अध्यक्ष हाजी मिस्बाह एव अन्य पदाधिकारियों ने कौम को राहत पहुचाने वाले इस कार्य के लिए अस्पताल को अपनी जायदाद समझते हुए देने से मना कर दिया । इस अस्पताल में मुस्लिमो द्वारा दी जाने वाली ज़कात,फितरा भी खूब आता था । अब सवाल ये उठता हैं कि ऐसे भयानक सक्रमण के समय ये अस्पताल अपने कौम के काम नही आएगा तो कब काम आएगा । इस टीम ने अपनी पूरी कोशिश कौम को इस सक्रमण से कुछ हद तक बचाने की कोशिश की । जिस में उन को अस्पताल कमेटी न उन की कोशिशों को रोक दिया । अब कौम के लोगों को आगे आना चाहिए और इस कमेटी से पूछना चाहिए कि ये सफेद हाथी किस काम का जब हमारे काम न आये । अस्पताल कमेटी की इजाज़त कौम के कुछ लोगों की बचा सकती है जान !
अस्पताल कमेटी ने अपने कुछ मफाद के लिए कौम को मरने, मायूस और बेबस होने के लिए छोड़ दिया है ।
जब इस सम्बंध में यूएन्टी के स्वंददाता अस्पताल की कमेटी से मिलने की कोशिश की तो किसी ज़िम्मेदार से भेंट न हो पाई ।
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