कानपुर । हाल ही में लक्षद्वीप के प्रशासक प्रफुल पटेल द्वारा लिये गए फैसलों की मुस्लिम स्टूडेंट आर्गेनाइजेशन (एम.एस.ओ.) कानपुर यूनिट ने आलोचना की है । एम.एस.ओ. कानपुर यूनिट के पदाधिकारी वासिक बेग बरकाती ने लक्षद्वीप के प्रशासक के फैसलों को ग़ैरलोकतांत्रिक क़रार दिया है । बरकाती ने एक बयान जारी कर कहा है कि लक्षद्वीप में 96 प्रतिशत मुस्लिम आबादी है, वहां पर बीफ पर प्रतिबंध नहीं था, लेकिन शराब पर प्रतिबंध था, लेकिन अब लक्षद्वीप के प्रशासक ने बीफ को प्रतिबंधित करते हुए शराब पर लगा प्रतिबंध हटा दिया है । यह लक्षद्वीप की संस्कृति और संघीय ढ़ांचे को चुनौती देने वाला अलोकतांत्रिक क़दम है ।
एम.एस.ओ. ने प्रफुल पटेल की नियुक्ति पर भी सवाल उठाया है । वासिक बेग ने बताया कि प्रफुल पटेल पहले मोदी सरकार में मंत्री थे, उसके बाद उन्हें प्रशासक बनाया गया । उन्होंने कहा कि प्रफुल पटेल की छवि विवादित रही है, उन पर इस साल की शुरुआत में, दादर और नगर हवेली के सांसद मोहन डेलकर की आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला भी दर्ज हुआ था । सांसद मोहन डेलकर ने अपने 15 पन्नों के सुसाइड नोट में पटेल का नाम लिखा था । 22 जनवरी को डेलकर अपने होटल के कमरे में लटके पाए गए थे ।
बरकाती ने आगे कहा कि प्रफुल पटेल लक्षद्वीप के प्रशासक हैं, लेकिन उनके द्वारा लिये गए फैसले भाजपा की सियासत से प्रेरित हैं । उत्तर भारत में बीफ के नाम पर जिस तरह नफ़रत की सियासत परवान चढ़ी है वह सबके सामने है, अब ग़ैर हिंदी भाषी राज्यों में भी भाजपा इसी ऐजेंडा को बढ़ाने में लग गई है । उन्होंने कहा कि जानवरों के संरक्षण के नाम पर प्रफुल पटेल द्वारा लक्षद्वीप की जनता पर थोपे जा रहे अलोकतांत्रिक और जनविरोधी नियम, लोगों की जिंदगी और पसंद के खाने की आजादी के खिलाफ है, इन अलोकतांत्रिक नियमों के चलते लक्षद्वीप में लोगों की आजीविका ख़तरे में पड़ जाएगी ।
वासिक बेग बरकाती ने कहा कि लक्षद्वीप में बीफ बैन करने और शराब से प्रतिबंध हटाने की मांग कभी नहीं उठी लेकिन इसके बावजूद लक्षद्वीप के मौजूदा प्रशासक ने ऐसा अलोकतांत्रिक फैसला लिया है जिससे राज्य की सामाजिक-सांस्कृतिक नष्ट हो जाएगी । उन्होंने कहा लक्षद्वीप में भाजपा का ऐजेंडा लागू करने वाले प्रशासक प्रफुल पटेल द्वारा लिये गए फैसले आपसी सद्धभाव के लिये भी ख़तरा हैं ।
Leave a Reply