कानपुर 22 मई 2019 नदीम सिद्दीकी
जुआ सट्टा एक ऐसी महामारी है जो इसकी चपटे में आया समझो।उसने अपना सब कुछ गवाया जुए का रूप समय के साथ बदलता रहा है शतरंज से पहचान पाए जुए ने कई पीढ़ियो को को गर्त में धकेला है कभी ताश के पत्तो में लोगो को नचाया तो कभी मटके के खेल में घुमाया सेंसेक्स के चक्कर में फसाकर सैकड़ो लोगो को कंगाल बनाया बारह जानवरो के पोस्टर के पर्ची नोचु खेल में रिक्शो वालो को ऐसा दीवाना बनाया कि बेचारो के रिक्शे तक बिकवाया समय के साथ जुआ बन गया सट्टा जिसके चक्कर मे पड़कर अच्छो अच्छो का दिमाग सटका कि घर के बर्तन तक बेचने की नौबत आ गई
गरीबो के लाखो घर बर्बाद होकर चंद सटोरी को आबाद कर गए जब भी लगा कि लोग जागरुक होकर सट्टे से दूरी बना रहे है फिर नए ताम झाम के साथ सटोरी लोगो को चुम्बक बनकर खीचने लग जाते है दस रुपए का सट्टा लगाओ आठ सौ पाओ फिर भीड़ लगने लगती है दुकाने फिर से आबाद हो जाती है चांदी की।प्लेटों में मखनी दाल खायी जाने लगती है
ऐसा नही है प्रशासन ने जुए व सट्टे पर लगाम न लगाई हो पुलिस।विभाग के ईमानदार अधिकारियों ने तो नामी सटोरियों के ऐसी नकेल कसी कि सभी सटोरी जिले से तड़ीपार होने को मजबूर हो गए जिले से सट्टा रूपी महामारी से लोगो को निजात मिलने के आसार नजर आने लगे थे परन्तु अधिकारियों के जिले से पलायन करते ही फिर से सटोरी पिटारे से बाहर आने लगे कोशिश में लग गए कैसे अपनी दुकानें सजाए पूर्व अधिकारियों की दहशत सटोरियों पर अभी भी कायम है दुकान भी लगानी है
समय के साथ जुए के बदलते रूप ने अब मोबाइल का जामा पहन लिया है जी हां ज्यादातर।सटोरी सट्टे के काम को आगे।बढाने के लिए मोबाइल का सहारा ले रहे है पर्ची लगाने व भीड़।लगाकर सट्टा खिलाने के काम से सटोरियों को निजात मिल गई है जिसे सट्टा लगाना हो फोन पर नम्बर बोल दो सटोरियों के क्षेत्र में फैले गुर्गे नोट कर लेते है इनाम आने पर राशि घर तक पहुचा देते है सट्टा खेलने वालों को भी पर्ची देने से निजात मिल गई है बिना किसी भय के सटोरी भी अपनी दुकानें चलाने में राहत महसूस कर रहे है
लोगो से पता चला है पिछले कई महीनों से सटोरी मोबाइल पर सट्टा खिलवा रहे है सूत्र बताते है कुछ सटोरी वाट्सएप्प पर भी नम्बर लगवा रहे है इस काम के लिए सटोरी सस्ते मोबाइल का प्रयोग कर रहे है कुछ दिनों प्रयोग के बाद नम्बर भी बदल देते है ताकि पुलिस के रडार पर आने से बचे रहे वही लोगो से ये भी पता।चला है इस कार्य मे क्षेत्रीय पुलिस के अहम भूमिका रहती है बिना चढावे के पुलिस का आँख मूंदना मुमकिन नही है कुछ थाना क्षेत्र ऐसे भी है जहां आज भी सटोरिये अपनी दुकानें नही सजा पा रहे है उनके तबादले का इंतजार कर रहे है
ईमानदार पुलिस अधिकारियों के भय से जिले में जुए व सट्टे जैसी महामारी से लोगो को निजात मिली थी परन्तु उनके जाते ही फिर से चोरी छिपे जुए सट्टे की दुकाने सजना पुलिस पर सवालिया निशान छोड़ रही है जिसका जवाब शायद पुलिस के आलाधिकारी भी ना दे पाए
अगले अंक में हम आपको बताएंगे किस थाना क्षेत्र में कौन सटोरी अपनी दुकान चलाने की कोशिश में लगे है बने रहे हमारे साथ
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