
कानपुर में एक विद्यालय़ में सिख अध्यापक पर मैनेजमेन्ट ने नस्लीय टिप्पणी की। इतना ही नही विरोध करने पर उसे विद्यालय से निकाल दिया गया। जातीय आधार पर की गयी टिप्पडी से आहत टीचर ने पुलिस में एफआईआऱ दर्ज करायी है। वहीं इस घटना से सिख समुदाय में आक्रोश देखने को मिल रहा है।
देश का संविधान जातीय आधार पर भेदभाव की आजादी नही देता। ऐसा करना एक गुनाह माना जाता है। वहीं कानपुर में शिक्षा के मंदिर में मर्यादाओं को कलंकित करने का मामला सामने आया है। शहर के प्रतिष्ठित सरपदमपति सिंघानिया एजूकेशनल इंस्टीट्यूट में सीबीएसई बोर्ड के परीक्षा परिणाम के बाद कॉलेज में शिक्षकों और मैनेजमेंट की बैठक बुलायी गयी। जिसमें कॉलेज का रिजल्ट गिरने का ठीकरा कई शिक्षकों पर फोडा गया। कॉलेज में 11वीं और 12वीं कक्षा में कॉमर्स पढाने वाले शिक्षक महेन्द्रवीर सिंह पर कॉलेज मैनेजमेंट के पार्थो पीकर ने नस्लीय टिप्पडी करते हुए भला बुरा कहना शुरू कर दिया।
महेन्द्रवीर सिंह,पीडित शिक्षक
महेन्द्रवीर सिंह ने जब नस्लीय टिप्पडी का विरोध किया तो प्रबंधन के लोगों ने उसके साथ मारपीट शुरु कर दी। महेन्द्रवीर सिंह का आरोप है कि इस दौरान उसकी दाढी के बाल काटने की बात कही गयी। जब उसकी पगडी जमीन पर गिर गयी तो पार्थों ने उस पर लात मार दी। इसके बाद 11 जुलाई को पोस्ट से महेन्द्र सिंह को कॉलेज से हटाए जाने का टर्मिनेशन लेटर भेज दिया गया।
महेन्द्रवीर सिंह,पीडित शिक्षक
महेन्द्रवीर सिंह ने अपने साथ हुई घटना की सूचना अपने समुदाय के लोगों को दी। साथ ही साथ पुलिस को तहरीर भी दी। पुलिस ने महेन्द्रवीर सिंह के आरोपों के आधार पर कॉलेज प्रबंधऩ के चार लोगों पर एफआईआऱ दर्ज कर ली है। वहीं सिख समुदाय भी नस्लीय आधार पर की गयी ज्यादती के विरोध में खडा नजर आ रहा है। सिख समुदाय मामले में उचित कार्यवाई नही किए जाने पर आन्दोलन करने की बात कह रहा है।
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