सुरेश राठौर

कानपुर । महानगर जिसे विकास का आधार माना जाता है। यहां दो वर्ग के लोग रहते हैं- जिसके पास व्यापार है सत्ता, संपत्ति है,जो हर सुख के साथ जीवन व्यापन करता है।जिसके पास बड़े पैमाने पर मकान हैं और दूसरा वर्ग वह है जो अमीर बनने की चाहत या लालसा में गांव से बाहर शहर या शहर छोड़ कर जाता है। और यहां पर लोग फुटपाथ सड़को पर सोने के लिए मजबूर हो जाते है। इसका कारण उसकी सीमित आर्थिक क्षमता है महँगाई और गरीबी आदि के कारण इन लोगों का खाना या जीवन व्यापन करना मुश्किल हो जाता है। घर पर एक सपना होता है। इस सपने को पूरा करें के लिए यह वर्ग चला आ रहा है। सरकार की योजनाएं गरीबों के मुंह में चली जाती है और गरीब सुविधाओं की प्रतीक्षा करना रहती है। कानपुर शहर में फुटपाथ, सड़क किनारे चौराहे को बनाया सोने का ठिकाना जहा शहर को वर्तमान सरकार स्मार्ट सिटी बनाना चाहती है वहीं एक तरफ ये तस्वीर स्मार्ट सिटी को मुंह चिढ़ाती नज़र आ रही है। हम आपको बताते चले की सरकार बड़े बड़े दावे कर रही है। वही सड़को पर सोते लोग हादसे से मौत को दावत दे रहे है। बासमंडी, लाटूश रोड, मूलगंज, मोती मोहाल, किदवई नगर, बाकर गंज, बाई पास, पर सड़कों फुटपाथ सड़को के बीच में बने डिवाइडर, चौराहे को रातों में बनाते है अपना मौत का आशियाना।
नगर निगम ने रातों को ठहरने के लिए सेल्टर होम रेन बसेरा जैसी सुविधा उपलब्ध कराई है। फिर भी रात गुजारने को क्यू है मजबूर हैं ये लोग ?
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