कानपुर । स्वतंत्रता दिवस खुशियों का कौमी त्यौहार है इस अवसर पर तिरंगा फहराने से मुल्क की मुहब्बत ज़ाहिर होती है इन विचारों को कौन्सिल के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना मो0 हाशिम अशरफ़ी ने मदरसा जामिया अशरफुल मदारिस गद्दियाना के संजीदा हाल में सरकारी निर्देशों के अनुसार आल इंडिया ग़रीब नवाज़ कौन्सिल के तत्वाधान में आयोजित ‘’मुल्क की आज़ादी और उलमा-ए-अहले सुन्नत की कुर्बानी’’ नामी प्रोग्राम में व्यक्त किये । यौम-ए-आज़ादी के अवसर पर हम अहद करें कि पूरे भारत के लोग एकजुट होकर कोरोना को एहतियाती तदबीरों से शिकस्त देंगे उन्होंने कहा मुल्क की आज़ादी में हज़ारों उलमा को फाँसी दी गयी बहुतों को काले पानी की सज़ा हुई मगर उलमा पीछे नहीं हटे और डट कर आखरी दम तक मुल्क की आज़ादी के लिए लड़ते हुए शहीद हो गए उन्हों ने जांबाज़ बहादुरों में से एक नाम अल्लामा फजले हक खैराबादी का है उन्हों ने अंग्रेजों के खिलाफ जिहाद का फतवा दिया और 1857 की जंग में बहादुर शाह ज़फर के साथ थे जिस की वजह से अंग्रेजों ने आप को काले पानी की सज़ा दी और आप का इन्तिकाल हो गया वहीँ आप का मज़ार है इसी तरह शाह वली उल्लाह मोहद्दिसे देहलवी,मौलाना हसरत मोहानी,मौलाना अब्दुल खलील,मौलाना मो.फैज़ अहमद बदायुनी,मौलाना इनायत अहमद काकोरवी,अल्लामा फजल इमाम खैराबादी, मौलाना अहमद उल्लाह शाह मद्रासी,मौलाना किफ़ायत अली काफी मुरादाबादी,मुफ़्ती सद्रुद्दुइन आज़ुर्दा,मौलाना रजा अली बरेलवी,मुफ़्ती मजहर करीम दरयाबादी,मौलाना लियाक़त अली इलाहाबादी,मौलाना वहाजुद्दीन मुरादाबादी,मौलाना लुत्फुल्लाह अलीगढ़ी,क़ाज़ी फैज़ुल्लाह कश्मीरी,मौलाना कासिम दानापुरी आदि उलमा-ए अहले सुन्नत की एक लम्बी फेहरिस्त है । जिन्हों ने अपने कलम और तकरीरों से कौम के अन्दर वतन पर जान कुर्बान करने का जज़बा पैदा कर दिया और खुद भी वतन पर जान कुर्बान करके अमर हो गए इस अवसर पर काउन्सिल ने गुज़ारिश की मुल्क के संविधान ने हमें जो मज़हबी आज़ादी का हक दिया है उसमें छेड़ छाड़ ना करें इस अवसर पर अशरफी ने चाइना के रवय्ये और धोखे बजी की कड़ी निंदा करते हुए कहा तुरंत चाइना भारत की ज़मीन से वापस जाओ इसी में भलाई है वरना चाइना का अंजाम बहुत भयानक होगा जिसे दुनिया सदियों तक याद रखेगी।इस से पूर्व प्रोग्राम का आगाज़ कुरान पाक की तिलावत से हाफिज मिन्हाजुद्दीन क़ादरी शहरी जनरल सेक्रेटरी ने किया।इस अवसर पर प्रमुख रूप से मौलाना कलीम अहमद, मो0कासिम अशरफी,सुब्बा अली,हाफिज मुश्ताक,मौलाना मसूद,सिराज आलम,परवेज़ रज़ाआदि उपस्थित रहे ।
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