कानपुर । हजरत अलाउल हक वददीन हज़रत मखदूम शाह आला जाजमऊ का जन्म 21 रमजान 571 हिजरी मोताबिक अगसत 1175 को ईरान के ज़नजान में हुआ । प्रारंभिक शिक्षा के बाद उच्च शिक्षा का आदिग्रहण के लिए बगदाद का सफ़र किया जहाँ दो साल तक रहे उन दिनों में आप ने कुरान हदीस फिकह अदब इतिहास आदि सीखा वहां से ईरान वापस आए और वहां से दिल्ली होते हुए जाजमऊ आए । क्रूर शक्ति का नाश किया और पुरे छेत्र को शांतिपूर्ण बना दिया उक्त विचार मदरसा अशरफुल मदारिस गद्दियाना में आल इंडिया गरीब नवाज़ कोंसिल के तत्वाधान में आयोजित जश्ने मखदूम शाहे आला में हज़रत मोलाना मोहम्मद हाशिम अशरफी साहब इमाम ईदगाह गद्दियाना ने किया । मौलाना अशरफी ने कहा कि हज़रत मखदूम शाह आला ने अपना 60 साल का जीवन जाजमऊ में बिताया 27 सफ़र को आप का निधन हुआ । आप का मजार एतिहासिक स्थान जाजमऊ में आस्था का केंद्र है जहाँ हर धर्म और जाती के लोग अपनी मन्नते पूरी पाते हैं आप के मज़ार और गुंबद की तामीर फ़िरोज़ शाह तुगलक़ ने करवाई जो देखने के लायक है इस से पूर्व जलसे का आगाज़ कारी मो. अहमद अशरफ़ी ने कुरान की तिलावत से किया और खुर्शीद आलम ,अजरत अली,मो.शारिक ने नात व् मंक़बत पढ़ी | संचालन हाफिज मो.अरशद अशरफ़ी ने की | मुल्क की तरक्की और अमनो अमान के लिए दुआ की गयी बड़े पैमाने पर तबर्रुक तकसीम किया गया । इस अवसर पर प्रमुख रूप से मौलाना फ़तेह मो.कादरी,मौलाना महमूद हस्सान अख्तर ,हाफिज मिन्हाजुद्दीन क़ादरी ,कारी मो.आज़ाद अशरफी, हाफिज़ नियाज़ अशरफी,हाफिज मो.मुश्ताज़,हाफिज मसूद रज़ा,मो.इलयास,शुऐब अहमद,मो.अशरफ,सलमान अली, तबरेज़ अख्तर,मो.आक़िब आदि उपस्थित थे ।
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