कानपुर । वैश्विक महामारी के कारण पिछले 6 महीने से स्कूल बंद है अभिभावक लॉक डाउन समय की फीस माफी की मांग और स्कूल ना खुलने तक ऑन लाइन क्लास के अनुसार फीस निर्धारण की मांग सरकार से कर रहे है लेकिन सरकार अभिभावको की आवाज को अनसुना कर चुप्पी साधे है और प्रदेश के शिक्षा मंत्री निजी स्कूलों के फ़ेवर में बयान दे रहे या यूं कहें सीधा सीधा सरक्षण दे रहे साथ ही जिला प्रशासन के हाथ सरकार के आदेश के साथ बंधे है । साथियो अब प्रश्न यह उठता है कि आखिर अभिभावक करे तो या करे इसका जबाब है जब शासन,सत्ता और न्याय तंत्र एक साथ मिल जाये तो जनता को मतलब अभिभावको को अपने निर्णय खुद करने होंगे चाहे वो 19 अक्टूबर से खोलने के निर्णय पर अपने बच्चों को स्कूल भेजने या ना भेजने का हो या फिर 6 महीने से बंद स्कूलो की फीस देने या ना देने का तभी इन मुद्दों को हल संभव है । क्या प्रदेश का कोई जिम्मेदार अधिकारी या नेतागण बता सकता है तो आओ साथियो मिकलर निर्णय ले और गलत के खिलाफ आवाज उठाये । क्या आपने सोचा कि जिस देश मे 56 ℅ बच्चों के पास ऑन लाइन क्लास लेने के लिए संसाधन मौजूद नही है जो सरकार और निजी स्कूल बच्चों को मोबाइल/लेपटॉप और टीवी स्क्रीन से दूर रहने के लिए संदेश देते थे आज उन्ही ने हमारे बच्चों के स्वास्थ्य को ताक पर रखकर ऑन लाइन क्लास से पढ़ाई करने के लिए झोंक दिया गया वो भी अभिभावको की बिना परमिशन के क्या वाकई इनका उद्देश्य समान शिक्षा के अधिकार का पालन करते हुये प्रत्येक बच्चे को इस महामारी में शिक्षा देने था या निजी स्कूलों को फीस इकट्ठा करने का मौका देना आप सोचे और निर्णय ले । ज्ञापन देने वालों में प्रमुख रूप से राकेश मिश्रा,अवधेश कुमार पांडे,सुनीत तिवारी,संजीव चौहान,सचिन तिवारी,एड वीरेंद्र श्रीवास्तव,एड अमित शुक्ला,विनय दुबे,शाकिर अली उस्मानी, उषा मिश्रा,नवीन अग्रवाल इत्यादि रहे ।
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