कानपुर । हर साल हमें अपनी आमदनी में से एक निर्धारित हिस्सा केंद्र सरकार को देना पड़ता है। इनकम टैक्स अलग-अलग आमदनी वाले लोगों पर अलग-अलग तरीके से लगाया जाता है। आजकल अधिकतर लोग ये समझते है कि हम आयकर रिटर्न तभी फाइल करना चाहिए। जब उनकी इनकम कर योग हो जबकि ऐसा नहीं है। आयकर रिटर्न हर व्यक्ति क लिए आवश्यक है। हर साल के हिसाब से पहले से तय नियम के मुताबिक सरकार देश के उन सभी नागरिकों और संस्थाओं से इनकम टैक्स वसूल करती है। जिनकी आमदनी टैक्स देने लायक होती है। आयकर रिटर्न विभिन्न स्रोतों से, कुल टैक्सेबल इनकम की गणना करने, टैक्स छूट का दावा करने और इनकम टैक्स विभाग को दिया जाने वाला कुल टैक्स (लाइबिलिटी) घोषित करने के लिये होता है।इनकम टैक्स रिटर्न भरने की तिथि जैसे जैसे करीब आ रही हैं वैसे वैसे यूजर्स में बेचैनी बढ़ती जा रहीं हैं । पिछले साल भी सरकार ने इनकम टैक्स रिटर्न भरने की निर्धारित तारीख को करोना की वजह से कई बार बढ़ाया था। इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करने की अंतिम तिथि को 31 दिसंबर तक है। वैसे करदाताओं के लिए इनकम टैक्स रिटर्न भरने करने की अंतिम तिथि 31 जुलाई होती है। अब 31 दिसंबर 2021 तक वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए इनकम टैक्स रिटर्न फॉर्म भरे जा सकते हैं। इसके अतिरिक्त टैक्स ऑडिट रिपोर्ट और अंतरराष्ट्रीय/घरेलू लेनदेन के बारे में रिपोर्ट फाइल करने की डेडलाइन भी 15 जनवरी 2022 तक है।आयकर रिटर्न हर व्यक्ति क लिए आवश्यक है। इनकम टैक्स रिटर्न तमाम स्रोतों से, सभी कर योग आमदनी की गणना करने, इनकम टैक्स डिपार्मेंट को दिया जाने वाला कुल कर घोषित करने के लिये होता है। नौकरीपेशा या स्व-नियोजित व्यक्ति, एचयूऐफ ( हिंदू अविभाजित परिवार), कंपनियों या फर्मों द्वारा जमा की जाती है। इनकम टैक्स रिटर्न जमा करने की प्रक्रिया को इनकम टैक्स फाइलिंग के रूप में भी जाना जाता है। इनकम टैक्स देश के नागरिको पर कई प्रकार से लागू होता हैं। हर साल के हिसाब से पहले से तय नियम के मुताबिक सरकार देश के उन सभी नागरिकों और संस्थाओं से इनकम टैक्स वसूल करती है। कुछ करदाता इस बात की जानकारी नहीं होती है कि उनके सेविंग अकाउंट पर मिल रहे ब्याज को उनकी कमाई की तरह इनकम टैक्स रिटर्न में दर्शना जरूरी होता है। इंडिविजुअल्स के लिए सेविंग अकाउंट पर 10,000 रुपये तक की ब्याज कमाई पर छूट मिलती है. और सीनियर सिटिजन के लिए ये छूट 50,000 रुपये तक है। इससे ज्यादा ब्याज कमाई को इनकम टैक्स रिटर्न में दिखाना होता है। आपको ध्यान अवश्य रखना होगा किआपकी कौन-कौन से स्रोत से आपकी आय हो रही है। अगर किसी जानकारी का सही मिलान नहीं होता है तो स्क्रूटनी हो सकती है। इनके अतिरिक्त यदि किसी ने फिक्स्ड डिपॉजिट किया हैं तो उस पर मिल रहा ब्याज टैक्स के दायरे में आता है। इसलिए इस ब्याज को भी इनकम टैक्स रिटर्न में दिखाना होता है। इसके अलावा कमाई के स्रोत के आधार पर अलग अलग इनकम टैक्स रिटर्न के फॉर्म होते है हर करदाता के कमाई के स्रोत के आधार उसको इनकम टैक्स रिटर्न फॉर्म भरना होता हैं। इसलिए जरूरी होता है कि हर करदाता अपनी कमाई के स्रोत अनुसार सही इनकम टैक्स रिटर्न फॉर्म का चुनाव कर के ही इनकम टैक्स रिटर्न भरें। फॉर्म 26 एएस से हमे पता चलता है कि हमारी आय स्रोतों पर कितना टैक्स लगा है। इसलिए करदाता अपने फॉर्म 16 और फॉर्म 26एएस की तुलना ज़रूर करनी चाहिए । मिलान ना होने पर आपको नोटिस आ सकता है।इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने से पहले हर करदाता को दोनों का मिलान अवश्य कर लेंना चाहिए और अगर कुछ कमी मिलती है तो उसे सही कर के इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करना चाहिए। इनकम टैक्स रिटर्न भर दिया है तो वेरिफिकेशन का जरूर करें क्योंकि इनकम टैक्स रिटर्न भरने के साथ साथ उसका वेरिफिकेशन भी बहुत जरूरी है।आधार ओटीपी या दूसरे माध्यम के जरिए ई-वेरिफिकेशन इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने के 120 दिनों तक किया जा सकता है। बिना वेरिफाई किए इनकम टैक्स रिटर्न को अधूरा माना जाता है। टैक्सपेयर्स को यह ध्यान रखना चाहिए कि आखिरी स्टेप फॉर्म सबमिट करना नहीं, वेरिफिकेशन होता है। वर्ष पूरा होने के पहले जमा होने वाले टैक्स को एडवांस टैक्स कहा जाता है।अग्रिम कर यानि एडवांस टैक्स की देनदारी नौकरीपेशा , प्रोफेशनल्स, बिजनेसमैन पर भी बनती है। टैक्स देनदारी 10 हजार रुपए से ज्यादा हो जाए तब एडवांस टैक्स की देनदारी का प्रावधान है। एडवांस इनकम टैक्स को चार क़िस्त में बाटना होगा और देनदारी का 15 प्रतिशत रकम पहली क़िस्त के तौर पर 15 जून तक (वर्ष की पहली तिमाही)जमा करना होता हैं इसके बाद दूसरी क़िस्त 15 सितंबर ( वर्ष की दूसरी तिमाही)तक 45 प्रतिशत होनी चाहिए इसके बाद तिसरी क़िस्त 15 दिसंबर(वर्ष की तीसरी तिमाही) तक कुल एडवांस टैक्स का 75 प्रतिशत तक जमा हो जाना चाहिए। इसके बाद आखिरी क़िस्त 15 मार्च (वर्ष की चौथी तिमाही ) तक 100 प्रतिशत एडवांस टैक्स जमा हो जाना चाहिए। जैसा कि अधिकतर लोग ये समझते है कि जब इनकम टैक्स रिटर्न की आवश्यकता हो तभी इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करना चाहिए। इसके विपरीत अगर आपको व्यापार में हानि हो रही हैं तो भी आपको आईटीआर की आवश्यकता होती है। क्युकी आप सरकार को बता पाते हैं कि आपको घाटा हुआ है। इसलिए हर स्थिति में इसकी आवश्यकता बढ़ जाती है । किसी भी प्रकार का लोन के लिए बैंक ग्राहक से इनकम टैक्स रिटर्न मांगता है । इसके बिना किसी भी प्रकार का लोन लेना मुश्किल है। क्युकि जब आप लोन के लिए आवेदन करते हैं तो आपका सिबिल स्कोर मायने रखता है। बैंक आपके सिबिल स्कोर और आईटीआर की जांच करते हैं । इसके अलावा एक नौकरीपेशा या स्व-नियोजित ( खुद का व्यवसाय ) व्यक्ति अधिक पैसे का लेन-देन करता हैं तो इनकम टैक्स रिटर्न मददगार होता है और किसी भी तरह की प्रॉपर्टी खरीदने-बेचने, बैंकों में छोटा या अधिक डिपॉजिट करने के बाद इनकम टैक्स डिपार्टमेंट से नोटिस मिलने का खतरा भी कम रहता है। इसके अतिरिक्त यदि आप को ज़्यादा रकम का बीमा कवर (टर्म प्लान) लेना हैं तो बीमा कंपनियां आपकी आय का स्रोत जानने इनकम टैक्स रिटर्न मांग सकती हैं। इसके अलावा एक नौकरीपेशा या स्व-नियोजित ( खुद का व्यवसाय ) व्यक्ति शेयर बाजार में निवेश करते हैं और उसकी पूंजी नीचे जाती है, तो यह पूंजी हानि कहलाता है । अब आप भविष्य में इस तरह के लाभों को नुकसान को समायोजित कर सकते हैं। अगर आप किसी बैंक से कर्ज लेना चाहते हैं तो इनकम टैक्स रिटर्न आपकी आय का स्रोत जानने का सबसे विश्वसनीय सबूत है। इसके अतिरिक्त इनकम टैक्स रिटर्न की एक प्रति आपके निवास का प्रमाण है। आप इसे निवास का प्रमाण के उद्देश्यों के लिए उपयोग कर सकते हैं। इनकम टैक्स के असेसमेंट ऑर्डर का उपयोग एक वैलिड एड्रेस प्रूफ के रूप में किया जा सकता है। आपकी आमदनी टैक्स छूट की आम सीमा से अधिक हो तो आपको आयकर का भुगतान करना है और समय पर आप अपना इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल नहीं कर पा रहे हैं, तो आपको देर से इनकम टैक्स रिटर्न जमा करने के लिए ब्याज सहित आयकर का भुगतान करना पड़ सकता है।अगर आमदनी टैक्स छूट की आम सीमा से अधिक हो और इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने में आपसे देर हो जाती हैं तो आपको 10,000 रुपये तक का जुर्माना देना पड़ सकता है । इसलिए समय पर इनकम टैक्स रिटर्न जमा करने से जुर्माने से आप बच सकते हैं। अगर आप व्यापार के सिलसिले में विदेश जाना चाहते हैं तो आपको इनकम टैक्स रिटर्न की जरूरत पड़ेगी। अगर आपको नौकरी के लिए विदेश जाना चाहते हैं तो आपको इनकम टैक्स रिटर्न की जरूरत पड़ेगी। क्युकि कई विदेशी दूतावास वीजा आवेदन में पिछले आपसे इनकम टैक्स रिटर्न मांगते हैं। यदि आपके पास इनकम टैक्स रिटर्न है, तो आपके लिए वीजा प्राप्त करना किसी और की तुलना में आसान है।आप अपने जीवनसाथी या बच्चों के नाम से बैंक या पोस्ट ऑफिस में खोले गए पी पी एफ अकाउंट में निवेश कर टैक्स में राहत पा सकते हैं । अगर आप सैलरी पाने वाले व्यक्ति हैं। तो निवेश के इस विकल्प में आप पहले से ही निवेश कर रहे हैं। हर महीने आपको मिलने वाले वेतन से पहले ही आपके इ पी एफ अकाउंट में रकम जमा हो जाती है। इसे आपके वेतन से काटकर इसमें जमा कराया जाता है। अगर आप अपनी सैलरी स्लिप की जांच करें तो आपको पता लग जाएगा कि आप हर महीने ईपीएफ इ पी एफ में कितना निवेश कर रहे। हमे लाइफ इंश्योरेंस प्लान के लिए चुकाए गए प्रीमियम की रकम पर आप इनकम टैक्स कानून के सेक्शन 80C के तहत टैक्स छूट का लाभ उठा सकते हैं । घर का निर्माण कार्य पूर्ण या रेडी टू मूव प्रॉपर्टी खरीदने के मामले में ही आप इस कटौती का लाभ उठा सकते हैं। आप दो बच्चों के लिए स्कूल/कॉलेज की ट्यूशन फीस पर भी सेक्शन 80C के तहत टैक्स बेनिफिट ले सकते हैं। संवाददाता दानिश खान
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