
कानपुर । 24 अक्तूबर करवा चौथ के पर्व का भारतीय समाज में बडा ही महत्व है। इस दिन महिलाएं अपने पतियां के लिए दिन भर व्रत रखती है। इस व्रत के माध्यम से वें अपने पतियों की लंबी उम्र की कामना करती है । उनके निरंतर प्रगति, समृद्धि एवं खुशहाली के लिए निर्जला व्रत रखकर विधि विधान से पूजन अर्चन करती है । इस दिवस शिव पार्वती जी के पूजन का विशेष विधान एवं महत्व माना जाता है। करवा चौथ पर चांद दर्शन का भी अपना विशेष महत्व है। चांद देखकर महिलाएं अपने पतियों की लंबी उम्र की कामना करती है । शास्त्रों के अनुसार अग्नि पृथ्वी पर सूर्य का बदला हुआ रूप है । मान्यता है कि अग्निदेव को साक्षी मानकर उसकी मौजूदगी में की गई पूजा अवश्य सफल होती है । प्रकाश ज्ञान का प्रतीक भी है, ईश्वर’ प्रकाश और ज्ञान-रूप में ही हर जगह व्याप्त हैं। ज्ञान प्राप्त होने से अज्ञान रुपी मनोविकार दूर होते हैं, जीवन के कष्ट मिटते हैं । दीपक जलाने से नकारात्मकता दूर होती है, एवं पूजा में ध्यान केंद्रित होता है जिससे एकाग्रता बढ़ती है । इस दिन नवविवाहितों में जहां उत्साह की बौछार देखने को मिलती है दूसरी तरफ पुराने युगल भी बडे ही उत्साह के साथ इस दिन व्रत रखकर पति की दीर्घायु होने की कामना करती है । चांद के दीदार करने के उपरांत ही सुहागिनें व्रत परायण करती है। सुबह से इस दिन की तैयारियों में लगी रहती है कौरवा चौथ का व्रत दिन भर की व्यवस्थाओं में लगे रहने बीच कब पूर्ण हो जाता है और पता ही न चलता ।
संवाददाता दानिश खान
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