
कानपुर । 05 फरवरी खानकाहे हुसैनी के ज़ेरे एहतिमाम रसूल ए खुदा के दामाद, इस्लाम के चौथे खलीफा, शेर ए खुदा हज़रत मौला अली (रजि०अ०) का जशन ए विलादत मौला अली परम्परागत ढंग से धूम-धाम, शान ओ शौकत, अकीदत के साथ खानकाहे हुसैनी हज़रत ख्वाजा सैय्यद दाता हसन सालार शाह (रह०अलै०) की दरगाह कर्नलगंज ऊँची सड़क मे मनाया गया।
फज़िर की नमाज़ के बाद कुरानख्वानी का एहतिमाम किया गया बाद नमाज़ ए ज़ोहर जशन ए विलादत मौला अली की शुरुआत तिलावते कुरान ए पाक से हुई, शोरा कराम ने नात मनकबत पेश की जिसमें ” अली के नाम का सिक्का जहाँ मे चलता है यह वह चिराग है जो आँधियों मे जलता है”, “अली के नाम से तूफान भी खौंफ खाते है जिन्हें यकीन नही वो डूब जाते है, फरिश्ते कब्र मे कुछ और पूछते ही नही जुबान पे नाम ए अली सुनकर लौट जाते है।” जशन ए विलादत मौला अली को खिताब करते हुए उलेमा ए कराम ने कहा कि पैगम्बर ए इस्लाम हुज़ूर सरकार हज़रत सैय्यद मोहम्मद मुस्तफा (स०अ०व०) हज़रत अली को अपना दोस्त बताते हुए कहते है कि मै इल्म का शहर हूँ और अली उसका दरवाज़ा।
अली से मोहब्बत करना ज़िक्र करना इबादत है हज़रत अली की पैदाइश काबे शरीफ मे हुई थी सुबहान अल्लाह। अल्लाह ने शेरे खुदा हज़रत अली को इतनी दिमागी कुवत अता की थी के वो किसी भी मसले का हल कुछ ही पल मे कर देते थे ज़ालिम उनके नाम से ही खौफ खाते थे गरीबों मज़लूमों का मसीहा ऐसा न तो हुआ न ही होगा।

मोहम्मद मुनीर कादरी ने कहा हज़रत अली की जिन्दगी और उनके बताए हुए रास्तों पर चलने व नमाज़ की पाबंदी पर ज़ोर दिया बुराइयों को दूर करने का हल अल्लाह का घर चलो नमाज़ पढे। पंजतन पाक से मोहब्बत करना ज़रुरी है, उलेमाओं ने हज़रत अली ज़िंदाबाद, जशन ए विलादत मौला अली ज़िंदाबाद के नारे बुलंद किये यौम ए विलादत हज़रत अली खुशियों और जशन मनाने का दिन है। खिताब के बाद दरुदों सलाम का नज़राना पेश कर नज़र मौला अली करम अल्लाह वजहू होने के बाद दुआ हुई।
दुआ मे खादिम खानकाहे हुसैनी ने अल्लाह की बारगाह मे मदीने वाले आक़ा, हज़रत अली के सदके मे हम सबको हज़रत अली के बताए हुए रास्तों पर चलने, नमाज़ की पाबंदी करने, हम सबके गुनाहों को माफ करने, हमारे मुल्क सूबे व शहर मे अमनो अमान कायम कर तरक्की देने, मासूम बच्चों बहू-बेटियों के साथ वहशी हरकत करने वालों को तबाह-बर्बाद करने की दुआ की। दुआ के बाद खानकाहे हुसैनी के बाहर राहगीरों, बच्चों को मिष्ठान वितरण किया गया।
जशन मे अफज़ाल अहमद, मोहम्मद मुनीर खान कादरी, सैय्यद मोहम्मद तलहा, गौस रब्बानी, परवेज़ आलम वारसी, अबरार अहमद वारसी, अनवार खान, सरफराज अहमद, मोहम्मद हफीज़, मोहम्मद फैज़ान खान, मोहम्मद मुबीन खान, मोहम्मद जावेद, मोहम्मद रज़ा खान मोहम्मद लारैब, युनुस खान, जमालुद्दीन, तौफीक रेनू, एजाज़ रशीद आदि लोग मौजूद थे।
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