मो0 नदीम सिद्दीकी एव मोहसिन सिद्दीकी की स्पेशल रिपोर्ट
कानपुर । रेलवे खान पान विभाग जिसका काम है आने जाने वाले यात्रियों की सेहत को ध्यान में रखते हुए उच्चकोटि की खाद्य सामग्री से तैयार भोजन रेलवे कर्मचारियों द्वारा उपलब्ध कराए जिससे यात्रियों को यात्रा के दौरान किसी प्रकार स्वास्थ्य समस्या न पैदा हो परन्तु होता उलट है मोटी कमाई के लालच में खान पान अधिकारी उच्चाधिकारियों के आदेशों को दरकिनार कर अवैध ठेकेदारों द्वारा घटिया सामग्री से बना भोजन यात्रियो को बिकवाया जाता है घटिया भोजन से यात्रियों का स्वास्थ्य बिगड़े इससे खानपानअधिकारी को कोई सरोकार नही है
कानपुर सेंट्रल रेलवे में अवैध खान पान ठेकेदारों का बोलबाला है उनकी दबंगई के आगे खानपान कर्मचारी भी नतमस्तक है जिन विभागीय ठेलियों पर सरकारी कर्मचारियों द्वारा यात्रियो को भोजन मुहैया कराना चाहिए वहां पर अवैध ठेकेदारों के अवैध गुर्गे अपना कब्जा जमाकर महंगे दामो पर बना घटिया भोजन यात्रियो को बेच रहे है जानकारी के अनुसार ये सारा प्रोपागण्डा खान पान निरीक्षक (CIC) अशोक भैरवा की सरपरस्ती में फैला हुआ है
खानपान निरीक्षक अशोक भैरवा से आशीर्वाद प्राप्त कर दो बड़े अवैध ठेकेदार रेलवे में अपनी जड़ें जमाए हुए है भैरवा की सरपरस्ती में मिली ठेली पर दोनों जमकर बाहर से बना हुआ भोजन लाकर बेचते है कई दिनों का बासी हो चुका भोजन भी यात्रियो को परोस देते है है ये भी नही सोचते है घटिया भोजन ग्रहण करने पर यात्रियो को आगे सफर में किन कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा जिन ठेलियों पर ये ठेकेदार काबिज है नियमानुसार सरकारी कर्मचारियो को होना चाहिए साथ ही रेलवे खानपान विभाग से मिले भोजन को ही यात्रियो को परोसना चाहिए रेलवे में अवैध ठेकेदारों की दबंगई ऐसे ही नही चलती है इसके एवज में एक मोटी रकम चढावे के रूप में खानपान विभाग को ठेकेदार चढाते है
रेलवे जैसे संवेदनशील विभाग में सरकारी कर्मचारियों को दरकिनार कर अवैध ठेकेदारों को तवज्जो दी जाने की वजह जब हमारे संवाददाता ने जानने की कोशिश की तो एक पूर्व ठेकेदार ने अपना नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर बताया कि ये सारा चक्रव्यूह खानपान निरीक्षक अशोक भैरवा का फैलाया हुआ है नियमानुसार सरकारी ठेलियों पर विभागीय कर्मचारियों को खड़ा होना चाहिए लेकिन मोटी रकम के लालच में भैरवा अवैध ठेकेदारों को ठेलिया सौपे हुए है हमारे संवाददाता के पुछ्ने पर उसने बताया कि सरकारी रेट के अनुसार ठेली का रोज़ाना 1540 रु0 पड़ता है जबकि अवैध ठेकेदार 7500 रु0 प्रतिदिन के हिसाब से चुकाते है इसके अलावा ठेली पर मात्र दो व्यक्ति ही अवलेबल है अवैध ठेकेदार 6 से 10 वेंडरो को हर समय ठेली पर मौजूद रखता है जिससे ट्रेन आने पर वो घुम घुमकर घटिया भोजन की बिक्री कर सके सूत्रों से ये भी पता चला है कि भैरवा कि सरपरस्ती के कारण रेलवे कैंटीनों में भी बाहर से बना समोसा अंडा चावल पराठे आदि बनकर आते है क्योंकि बाहर से बना भोजन उन्हें सस्ता पड़ता है कैंटीन वाले भी मोटा चढावा प्रतिदिन के हिसाब से चढाते है
बहरहाल मामला कुछ भी हो मोटी कमाई के लालच में अगर इसी तरह से रेलवे कर्मचारियो को नजरअंदाज कर बाहर के लोगो को रेलवे में काबिज किया जाएगा तो वो दिन दूर नही जब कोई भी रेलवे में सेंध लगाकर बड़ी आसानी से आपराधिक घटना को अंजाम दे देगा इसका कौन दोषी होगा ये बताने की जरूरत नही है
अगले अंक में हम आपको बताएंगे प्लेटफार्मो पर बना कौन सा स्टाल अवैध है और कौन कौन स्टाल वाले अशोक भैरवा को चढावा चढाते है घटिया भोजन रेलवे में बिकवाने वाले अवैध ठेकेदारों के बारे में भी खुलासा किया जाएगा बने रहे हमारे साथ
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