
कानपुर 14 जनवरी 2025। मोती झील पार्क स्थित मणिकुंडल वाटिका, कारगिल पार्क में अयोध्यावासी वैश्य समाज के अग्रज महाराजा मणिकुण्डल जी की जयंती समारोह बड़े ही धूमधाम से मनाई गई।
कार्यक्रम का शुभारंभ अयोध्या वासी समाज द्वारा मणिकुंडल जी की मूर्तिपूजन आरती कर प्रसाद वितरण कर किया गया।इसके बाद अमित शास्त्री एंड ग्रुप द्वारा मणिकुंडल अमृतावली व भजन प्रस्तुत किए गए।समाज के बच्चों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम द्वारा उपस्थित लोगों की सराहना प्राप्त की।
संस्थान के संरक्षक उमाशंकर गुप्ता ने कार्यक्रम की जानकारी दी कि अयोध्या वासी वैश्य समाज के पूज्य, पौराणिक महापुरूष, रामभक्त महाराजा मणिकुण्डल जी का जन्म त्रेतायुग में महाराजा दशरथ के शासनकाल में नगर सेठ मणिकौशल के यहाँ पुत्र रूप में हुआ था। जब रामवन गमन के समय प्रभु श्री राम की भक्ति के कारण अयोध्यावासी उनके साथ वन को चल दिये। तब एक रात प्रभु श्री सीता, लक्ष्मण चुपचाप चले गये। प्रातः उठकर अधिकांश प्रजाजनों ने राम को नहीं पाकर अयोध्या वापस लौट गये परन्तु मणिकुण्डल जी ने संकल्प व्यक्त किया कि “जहाँ राम तह अवध है, नहीं अवध
बिन राम। राम संग वन अवध है, अवध बचा काम।”
इस प्रकार वे तमाम अयोध्यावासी वैश्य जनों के साथ पूरे 14 वर्ष वन नगर भटकते रहे और पूरे देश में उन्हें ढूंढते रहे। कालांतर में अपने श्रेष्ठ आचरण एवं राम भक्त के कारण वह महापुर (महाराष्ट्र-गुजरात) के राजा भी बने। सम्पूर्ण देश का अयोध्यावासी वैश्य समाज जो लगभग डेढ़ करोड़ है, उन्हें अपना आदि पुरुष मानता है और प्रत्येक वर्ष पौष पूर्णिमा को देश भर में 100 से भी ज्यादा स्थानों पर उनकी ज्यन्ती मनाई जाती है।
कारगिल पार्क मोतीझील स्थित मणिकुण्डल वाटिका में आज 14-01-2025 को जयन्ती समारोह का आयोजन किया गया है।
जनवरी 2001 में स्थापित “श्री मणिकुण्डल प्रतिमा के समक्ष मुख्य अतिथि के रूप में श्री भबानी सिंह, प्रान्त संचालक ने कहा कि मणिकुण्डल जी की राम भक्ति, त्याग, तपस्या एवं समर्पण सत्य धर्म का प्रतीक है जो अन्यतम उदाहरण है। उनका जीवन सिद्ध करता है कि अन्तिम विजय सत्य एवं धर्माचरण की ही होती है। उनके आदर्शों को जन-जन तक पहुँचाने की अपील भी की है।
इस अवसर पर सांसद देवेन्द्रसिंह भोले ने कहा कि परम राम भक्त मणिकुण्डल जी के कार्यक्रमों में तमाम बार सम्मिलित होने का सौभाग्य मुझे मिला है। मेरा मानना है कि मणिकुण्डल जी केवल अयोध्यावासी वैश्यों या सर्व वैश्य समाज के महापुरूष नहीं है बल्कि ये पूरे हिन्दू जनमानस के पूज्य महापुरूष है। उनकी राम भक्ति, त्याग, धर्म के प्रति अडिग आस्था और परोपकारी वृत्ति उन्हें स्वयं ही पूज्य बना देती है। हम सबको उन पर गर्व करना चाहिये। सन् 2001 में यहाँ पर स्थापित प्रतिमा के 25 वर्ष पूर्ण होने के इस अवसर पर आप लोग एक बहुत विशाल राष्ट्रीय समागम करें ऐसा मेरा विचार है। उन्होंने मणिकुण्डल जी के नाम पर धर्मार्थ कार्य करने और उनमें अपना सहयोग देने का आश्वासन दिया। इस अवसर पर मणिकुण्डल सेवा संस्थान द्वारा जन सेवा सांसद निधि से एक एम्बुलेन्स तथा एक शव वाहन की मांग की है। जिसे सांसद जी ने यथाशीघ्र प्रदान करने का आश्वासन भी दिया।
इस अवसर पर समाज सेवा के लिए श्री संजय बाजपेई-एडवोकेट, सिद्ध गोपाल प्रभाकर, बैकुंठ नाथ गुप्ता, मनोज गुप्ता (कत्था), भवानी जी, अंजनी निगम पत्रकार, अमित श्रीवास्तव, मुकुंद मिश्रा, राकेश सिंह, सुनील बजाज, संतराम गुप्ता, द्वारिका प्रसाद आदि मौजूद रहे
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