कानपूर । बाहुबली अतीक अहमद ( चकिया )को जिस इलाहाबाद में किसी समय तूती बोलती थी आज उसी जगह पर अतीक व् उन के भाई अशरफ को उन के गढ़ मे एक भी सुरक्षित सीट नहीं मिली। अतीक अहमद अपने भाई अशरफ को विधानसभा चुनाव लड़ाना चाहते थे लेकिन इलाहाबाद में ऐसी कोई सीट नहीं बची है जहां से उन्हें सपा से टिकट मिल सके।यूपी बाहुबलियों की लिस्ट में अतीक अहमद का नाम भी आता है। अतीक अहमद उन के भाई अशरफ का नाम तब सुर्खियां बन गया था जब 25 जनवरी 2005 में बीएसपी विधायक राजू पाल की हत्या हो गयी थी हत्या इतने फ़िल्मी स्टाइल ,सनसनीखेज ढंग से की गयी थी कि सारा प्रदेश हिल गया था। राजू पाल की हत्या के आरोप में बाहुबली अतीक अहमद व उनके भाई अशरफ पर मुकदमा भी दर्ज हुआ था। बाद में मायावती ने इलाहाबाद पश्चिमी की सीट से राजू पाल की विधवा पूजा पाल को विधानसभा टिकट दिया था और पूजा पाल ने चुनाव जीत कर अतीक के भाई अशरफ को हरा कर अतीक के तिलस्म को टूटने का संदेश दे दिया था । बसपा सुप्रीमो मायावती ने भी बची कसर निकाल दी थी। मायावती के शासनकाल मे अतीक अहमद के खिलाफ कई मुकदमे पंजीकृत हुए और अवैध निर्माण कराने के आरोप में अतीक अहमद की कई बहुमंजिला इमारात भी गिरा दी गयी थी। इसी के बाद से अतीक अहमद का इलाहाबाद पश्चिमी सीट से राजनीतिक वर्चस्व खत्म होता नज़र आ रहा था। अब स्थिति साफ हो गयी है कि इलाहाबाद में अतीक अहमद व् उन के भाई अशरफ को चुनाव लडऩे के लिए सुरक्षित सीट नहीं मिली।
12 विधानसभा सीट वाला इलाहबाद शहर अब अतीक के लिए नहीं बचा सुरक्षित ।क्योंकि इलाहाबाद की पश्चिमी सीट पर अतीक का जलवा था लेकिन यह सीट भी अतीक अहमद व अशरफ के मुफीद नहीं रह गयी है। इसके अतिरिक्त इलाहाबाद की उत्तरी, दक्षिणी,फाफामऊ, सोरांव, फूलपुर, प्रतापपुर, हडिय़ा, झूंसी, कोरांव, बारा, मेजा व करछना सीट ऐसी नहीं है जहां से अतीक अहमद व् उन के भाई को जीत मिल सके। सूत्रों की माने तो अतीक अपने भाई के लिए प्रतापगढ़ व् कानपूर में भी सुरक्षित सीट की तलाश कर रहे थे । कानपूर मे समीकरण बैठा तो लेकिन अशरफ के अनुकूल न होने के कारण वो स्वयं कानपूर की मुस्लिम बहुल छावनी विधान सभा से सपा के तले अपनी किस्मत आजमाने व् अपनी नई सियासी ज़मीन तैयार करने मे पहला कदम बढ़ा दिया है
*UNT News*
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