टाइटैनिक दुनिया का सबसे बड़ा वाष्प आधारित यात्री जहाज था इस जहाज की कुल लम्बाई 882 फीट ओर 9 इंच (269.1 मीटर), ढलवें की चौड़ाई 92 फीट (28.0 मीटर), भार 46,328 टन (GRT) और पानी के स्तर से डेक तक की ऊंचाई 59 फीट (18 मीटर) थी जहाज में यात्रियों की क्षमता चालक दल के साथ 3549 थी।
टाइटैनिक जहाज (इंग्लैंड) से अपनी पहली यात्रा आज ही के दिन 10 अप्रैल 1912 को रवाना हुआ चार दिन की यात्रा के बाद 14 अप्रैल 1912 को वह एक हिमशिला से टकरा कर डूब गया जिसमें करीब 1517 लोगों की मृत्यु हुई जो इतिहास की सबसे बड़ी शांतिकाल समुद्री आपदाओं में से एक है।
टाइटैनिक के बारे में यह भी कहा जाता है कि टाइटैनिक में तकरीबन 3 दिनों से आग लगी थी जिसकी जानकारी वहां पर मौजूद जहाज के कैप्टन एवं जहाज के कुछ सदस्य को पहले से पता था फिर भी जहाज का पूरा टिकट बिक जाने के कारण वह काला सच लोगो से छुपाया गया।
बताया जाता है टाइटैनिक के डूबने का मुख्य कारण अत्यधिक गति से चलना था। (टाइटैनिक) के मालिक J. Bruce Ismay जे .ब्रूस इस्मे ने जहाज के कप्तान Edward Smith को जहाज को अत्यधिक गति से चलाने के लिए कहा था। 14 अप्रैल 1912 को टाइटैनिक को 6 बर्फ की चट्टानों की चेतावनिया मिली थी। कप्तान को लगा की बर्फ की चट्टान Ice Berg आने पर जहाज मुड जाएगा। परन्तु बद्किस्मती से जहाज बहुत बड़ा था और राडार छोटा था। बर्फ की चट्टान आने पर वह अधिक गति के कारण समय पर नहीं मुड पाया और चट्टान (एक अनुमान के मुताबिक यह चट्टान करीब 10,000 साल पहले ग्रीनलैंड से अलग हुई थी) से जा टकराया। जिससे जहाज के आगे के हिस्से में छेद हो गए और लगभग 11:40 p.m. पर वो डूबने लगा। तक़रीबन 2:20 a.m. पर वो पूरा समुन्द्र में समां गया। जिस सागर में वह डूबा था उसके जल का तापमान -2℃ था जिसमें किसी साधारण इंसान को 20 मिनट से ज़्यादा जिन्दा रहना नामुमकिन था।
टाइटैनिक जहाज का मलबा इसके डूबने के 70 साल बाद मिला। 1985 में इसकी खोज के बाद मिले मलबे के कुछ हिस्सों को विश्व के कई म्यूजियम में भी रखा गया है।
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