कानपुर । जिस पत्रकार ने तमाम खतरों को मोल लेकर अपने कैमरे से डाक्टर आरती लाल चंदानी के अन्दर भरे नफरत के ज़हर को जग जा़हिर किया उसके खिलाफ संगीन धाराओं में बाक़ायदा एफआईआर दर्ज हो गई लेकिन मुल्क भर में बहुत से लोगों के द्वारा लगातार एक हफ्ते से एफआईआर दर्ज करने के लिये दी गई तहरीरों के बावजूद फैलाने वाली डाक्टर के खिलाफ एक अदद प्राथमिकी (एफआईआर) दर्ज ना करना प्रशासन का दोहरे रवैये को प्रदर्शित कर रहा है । इन विचारों को जमीअत उलमा उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष मौलाना मुहम्मद मतीनुल हक़ उसामा क़ासमी क़ाज़ी ए शहर कानपुर ने व्यक्त करते हुए कहा कि हमारी प्वायज़न लेडी डाक्टर आरती लाल चंदानी से कोई व्यक्तिगत लड़ाई नहीं बल्कि हमारी लड़ाई उस गंदी विचारधारा और ज़हरीली मानसिकता के विरूद्ध है जिस मानसिकता के सागर में डूबकर डा.आरती लाल चंदानी ने देश के 30 करोड़ मुसलमानों की भावनाओं को ठेस पहुंचाई है। मौलाना ने डा.चंदानी से सवाल किया कि उन्होंने आखिर किस चीज़ की माफी मांगी है देश के मुसलमानों को ‘आतंकवादी’ कहने की, एक जानलेवा बीमारी से ग्रस्त हो चुके मरीजों को पिंजरे में बंद करके काल कोठरी और जंगलों में फेंक देने की, उनका इलाज ना करने की, उन पर इतना रूपया बर्बाद ना करने की सलाह देने की ? मौलाना उसामा क़ासमी ने प्रशासन के द्वारा अपनाये गये खराब रवैये पर सख्त नाराज़गी को व्यक्त करते हुए कि जहां हमारे देश के इतिहास में पहली बार किसी संक्रामक रोग के कारण इतना लम्बा और दुश्वारतरीन(बेहद कठिन) लाकडाउन किया गया वहीं इसी के साथ साथ यह भी इतिहास का हिस्सा बनेगा कि उच्च पद पर आसीन एक महिला डाक्टर ने वर्ग विशेष से सम्बन्ध रखने वाले मरीज़ों को आतंकवादी क़रार देते हुए उन्हें जंगल में फेंकने और काल कोठरी में डालने की घिनावनी बात कही। जिसे सुनकर कोई भी इंसाफपसंद(न्यायप्रिय) नागरिक अच्छा नहीं कह सकता लेकिन इसके बावजूद कानपुर शहर में बहुत से लोगों के द्वारा नफरत के वायरस के खिलाफ मुक़दमा दर्ज करने के लिये तहरीरें दी र्गइं लेकिन उनकी तहरीरें नहीं ली र्गइं, लोग आला अधिकारियों के पास इस उम्मीद से गये कि थाना स्तर से नहीं तो एस.पी. और कलेक्टर के स्तर से न्याय मिलेगा और उनका मुक़दमा दर्ज किया जायेगा लेकिन यहंा पर अधिकारियों ने भी अपने ओहदे(पद) की शक्तियों का ग़लत इस्तेमाल करते हुए नफरत फैलाकर हमारे देश की एकता और भाईचारे को नुक़्सान पहंुचाने वाली डाक्टर चंदानी जिसको जेल की सलाखों के पीछे होना चाहिये था उसकी और ज़्यादा हौसला अफज़ाई करते हुए अलग से सुरक्षा मुहैया कराई, उसकी घिनावनी हरकत के बारे में मालूम होने के बावजूद उसकी सिफारिश करने वालों को अपने घर पर बुलाकर चाये पिलाई और यहीं पर नहीं रुके बल्कि तमाम खतरों को मोल लेकर नफरत फैलाने वाली डाक्टर का वीडियो जारी करने वाले पत्रकार के विरूद्ध संगीन धाराओं एफआईआर दर्ज करके मुसलमानों की भावनाओं का सरआम मज़ाक़ उड़ाया। आखिर इस तरह से नफरत फैलाने वाली डा.चंदानी की पुश्तपनाही और उसके खिलाफ एफ आई आर दर्ज ना करके प्रशासन देश के 30 करोड़ मुसलमानों और राष्ट्रीय एकता व भाईचारे के अलम्बरदार करोड़ों हिन्दुओं को क्या पैग़ाम देना चाहती है ?
क़ाजी ए शहर मौलाना उसामा क़ासमी ने बताया कि हमारे जमीअत उलमा के कार्यकर्ता और लीगल सेल की टीम बराबर एक हफ्ते से एफआईआर दर्ज कराने की तमाम कोशिशें कर रही हैं लेकिन कहीं भी एफआईआर दर्ज करना तो दूर की बात तहरीर तक नहीं ली जा रही है। क़ाज़ी ए शहर ने कहा कि नफरत के खात्मे की इस लड़ाई में भले ही हमें स्थानीय अदालत से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक ही क्यों ना जाना पड़े लेकिन हम हर हाले में डा.आरती लाल चंदानी के खिलाफ मुक़दमा दर्ज कराकर रहेंगे । मौलाना ने कहा कि ऐसी तुच्छ मानसिकता वाली महिला को आयरन लेडी नहीं प्वायज़न लेडी कहना चाहिए ।
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