संगीत के क्षेत्र मे नाम कमा चुकी लखनऊ की बिटिया अहाना शर्मा ने सम्वाददाता से बताया कि संगीत के क्षेत्र को ही मैं अपना सबकुछ समझती हूँ । मुझे बचपन से ही संगीत के प्रति विशेष रुचि थी। महज 5 वर्ष की उम्र में ही हर वक़्त कोई न कोई गीत ही गुंनगुनाती रहती थी। यहां तक की स्कूल के प्रोग्राम हो या कोई प्रतियोगिता जिसमें बढ़चढ़ कर हिस्सा लेने के लिए रात रात भर नींद तक नही आती थी। माँ जागने का कारण पूछती तो मैं माँ को बताती हू की प्रोग्राम में अपनी भूमिका को लेकर बेस्ट करने की चाहत रखना चाहती । जिसकी वजह से प्रत्येक जिम्मेदारी को निभाना है । और ये मेरी सुरुवात से ही आदत रही है। और पत्रकारों से बताया कि जिसमे मेरी माँ व परिवार हमेशा से ही सहयोग करता आया है । जिसके बाद मां ने मेरी विशेष रुचि को देखते हुए ही भातखंडे संगीत संस्थान में एडमिशन करवा दिया जिसके बाद मेरा सांगीतिक सफर को माने जैसे उड़ान मिल गई । और हर वक़्त ही किसी भी कार्य को करते समय रागों का रियाज करना यही दिनचर्या रही । और भातखंडे में विशारद की परीक्षा उत्तीर्ण कर। सांस्कृतिक कार्यक्रमों व प्रतियोगिताओ में भाग लेना प्रारम्भ कर दिया ।
जिसमें प्रमुख है क्यों कि मेरा मानना है इंसान जन्म से मृत्यु तक सिर्फ सीखता ही है। और उन्ही अनुभवों के ऊपर अपने लक्ष्यो की प्रतिपूर्ति कर प्राप्त कर पाता है। लेकिन आजकल यदि बात करे उस्तादों की तो इतनी हाई-फाई फीस होने व जुगाड़ की वजह से आगे बढ़ पाने के अवसर दिन पर दिन कम होते जा रहे है। इसलिये अब संघर्ष ज्यादा है।और मैं भारत की जनता के सामने और माँ के आशीर्वाद से जल्द ही बड़े पर्दे पर आऊंगी ।
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