मो0 नदीम
पीएम मोदी ने स्वच्छ भारत का जो सपना देखा था उसे पूरा करने के लिए खुद ही झाड़ू उठाकर लोगो को जागरूक करने की ठान ली थी मोदी जी की इस मुहिम को आगे बढ़ाने के लिए यूपी के सीएम योगी ने सत्ता संभालते ही सरकारी विभागों को साफ सफाई को लेकर सख्त आदेश दिए थे साथ ही आस पास के लोगो से अपील की थी वो अपने क्षेत्र को स्वच्छ रखे योगी जी के आदेश के चलते सरकारी अफसरान ने खलबली मच गई थी विभागीय अधिकारी भी झाड़ू उठाने पर मजबूर हो गए थे समय बीता धीरे धीरे सभी विभाग उसी पुराने ढर्रे पर आ गए लोगो के हो हल्ला करने के बाद ही सफाई कर्मचारी जागते थे मलिन बस्तियों की सफाई भी ना के बराबर होती थी अगर कोई सफाई के लिए जोर देता था तो विभागीय अधिकारी व क्षेत्रीय पार्षद ये कहकर टाल देते थे हमारे पास अनारक्षित बस्ती का कोटा नही है इसलिए हम वहां सफाई नही करा सकते है
बताना चाहेंगे वार्ड नं0 2 के अंतर्गत मीरपुर छावनी कमेला अनारक्षित बस्ती में दो हजार से भी ज्यादा लोग पच्चीस साल से गंदगी के बीच निवास कर रहे है और अपने जीवन को कोस रहे है लोगो का कहना है पिछले पच्चीस साल से हमे किसी भी सरकार की तरफ से कोई भी सुविधाए नही मिली है बस्ती में एक भी नाली का साधन ना होने की वजह से घरों का कूड़ा व गन्दा पानी बस्ती के बीच के मैदान में ही फेका जाता है जो गन्दगी के चलते अब कूड़ा अड्डे का तालाब बन चुका है गन्दगी इतनी ज्यादा बढ़ चुकी है कि आने जाने वालों को उल्टियां तक हो जाती है तो सोचिए वहां पर रहने वाले किस तरह से अपनी ज़िंदगी गुजारते होंगे बस्ती में हैजा कालरा टाइफाइड,व मलेरिया होना कोई बड़ी बात नही है अक्सर इन बीमारियों की चपेट में आकर लोग मौत को गले लगा लेते है लोगो का आरोप है जब भी चुनाव आते है तो तमाम नेता अपने वादों का पिटारा लेकर तो आते है लेकिन जीतने के बाद कोई भी नेता अपनी शक्ल भी दिखाने बस्ती में नही आता है हाल ही कांग्रेस की सीट से विधायक बने सोहैल अंसारी से भी बस्ती वासियो ने गुहार लगाई थी उन्होंने भी अपने कदम खींच लिए उनका कहना है अपने क्षेत्र के पार्षद से बाद करो जब लोगो ने वार्ड नं0 2 के पार्षद चोखे लाल से बात की तो उन्होंने भी दो टूक सा जवाब देते हुए कहा कि ये बस्ती अवैध है यहां का विकास करा पाना मेरे बस में नही है बहरहाल मामला कुछ भी हो पार्षद और विधायक की उदासीनता की वजह से बस्ती में फैली गंदगी को छावनी बोर्ड के अधिकारियों ने संज्ञान में ना लिया तो गंदगी से उत्पन्न होने वाली बीमारियों को पूरे क्षेत्र में पैर पसारने में ज्यादा वक़्त नही लगेगा जिसका खामियाजा गन्दगी से जूझ रहे बस्ती वासियो को ही भुगतना पड़ेगा
*त्रिवेणी नगर पर छावनी बोर्ड की कृपा बरसे-अवैध बस्ती विकास को तरसे*
छावनी बोर्ड के अंतर्गत आने वाली त्रिवेणी नगर कालोनी का फ्री होल्ड ना होने की वजह से छावनी बोर्ड ने उसे अवैध करार दिया है अवैध होने के बावजूद त्रिवेणी नगर को वो सभी सुविधाएं मुहैया कराई जा रही है जो सरकार की तरफ से लागू की गई है छावनी बोर्ड की तरफ से नोटिस भेजने के बावजूद अभी तक किसी ने भी इस मामले को गम्भीरता से नही लिया है कारण पूर्व विधायक का संरक्षण व क्षेत्रीय सभासद का त्रिवेणी नगर में ही निवास करना है शायद इसी वजह से छावनी बोर्ड आँखे मूंदकर त्रिवेणी नगर पर अपनी कृपा दृष्टि बनाए हुए है पीएम मोदी के स्वच्छ भारत अभियान के तहत सभी वार्डो में कूड़ा रखने के लिए डसबिन बाटी जा रही है प्रत्येक घर को एक डसबिन दी जा रही है जब कि अवैध कालोनी त्रिवेणी नगर को दो डसबिन दी गई है एक में गीला कूड़ा दूसरी में सुखा कूड़ा रखने के लिए इसके अलावा सुबह होते ही समय पर पहुचकर सफाई कर्मी अपना काम निपटा देते है वही दूसरी तरफ कमेला अवैध बस्ती जहां डसबिन मिलना दूर की बात है कोई भी सफाई कर्मी झाड़ू तक लगाने नही आता है लोग खुद से ही नाली व कूड़ा साफ करने पर मजबूर है आखिर ये भेद भाव क्यो किया जा रहा है ये समझ के परे है जबकि दोनो ही अवैध है इससे तो साफ जाहिर होता है कि मोदी जी के स्वच्छ भारत अभियान को छावनी बोर्ड पलीता लगाने में कोई कोर कसर नही छोड़ रहा है ईश्वर भरोसे जीवन व्यतीत कर रहे कमेला निवासियों को लेकर अगर छावनी बोर्ड ना जागा तो स्वच्छ भारत अभियान की चमक में अवैध बस्तियो की बदतर हालत चांद पर लगे ग्रहण की तरह नजर आएगी
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