मो. शोएब/अकबर
कानपुर । महिलाओं के सम्मान में,…… मैदान मे, बेटी बचाओ,बेटी पढ़ाओ ये स्लोगन सुनने और लगाने में अच्छे लगते हैं । ये स्लोगन सिर्फ बेईमानी हैं बीते फरवरी माह के मुकाबले मार्च माह में जिस तरह से महिला उत्पीड़न के मामले सामने आए हैं वो युवतियों के लिये अच्छे संकेत नही हैं तथा शहर के आला अधिकारियों के लिए ये एक चिंता का विषय है। अगर इस ओर ध्यान नही दिया गया तो और भी भयावह स्तिथि हो सकती है । शहर में तो महिला उत्पीड़न के बहुत मामले हैं लेकिन दो मामले एक ही थाने (कल्याण पुर)ऐसे हुए जो आत्मा को झकझोर देने वाले हुए पहला एक मजदूर की माँ अपने बेटे की लाश (संदिग्ध परिस्तिथियों में मौत) सड़क पे रख के विरोध प्रदर्शन कर रही थी उस को तत्कालीन थाना अध्यक्ष उस बूढ़ी मां का पीछे से गिरेबाँ पकड़ कर बीच सड़क पे खींचते हुए ले गए थे जिस का फोटो और वीडियो सोशल मीडिया के वायलर हुआ था महिलाओं की दुहाई देने वाले तथा मातहत अधिकारी अगर उस घटना को महिला सम्मान की दृष्टि से देख कर सख्त कार्यवाही की होती तो शायद उसी थाने में ऐष्वर्य वाली ह्रदयविदारक घटना ना होती
ऐश्वर्या वो एक होनहार छात्रा थी। अभी उस ने इस कठोर दुनिया को 24 साल ही देखा था वोअपने मां बाप की दुलारी…वो अपना और अपने बाप का नाम रोशन करना चाहती थी उस ने कंप्यूटर इंजीनियर बनने का सपना देखा था । अपने सपने को साकार करने के लिए वो तेजी से आगे भी बढ़ रही थी, लेकिन अचानक उसके सारे सपने चकनाचूर हो गए। क्योंकि उस के साथ के ही सहपाठी की ओझी हरकतों ने उस का ने जीना दूभर कर दिया..उस ने उन लड़कों को सबक सीखाने के लिए आवाज़ उठाई उस की आवाज़ उठाने में उस के प्यारे पापा उस के साथ थे जो उस को हौसला दे रहे थे । हर कदम पर उसने अपनी आवाज उठाई,अपनी तकलीफ बताई जिम्मेदार पद पर बैठे लोगों को उनकी ड्यूटी याद दिलाई अफसोस ज़िम्मेदार पद पर बैठी एक महिला ने भी उस का दर्द नही समझा लेकिन उसे क्या पता था कि वह जिसे आवाज़ दे रही है वो मातहत लोग सोए हुए हैं वो खाली आवाज़ से नही उठते और बिल्कुल वैसा ही हुआ । क्योंकि वो नादान लड़की नही जानती की आवाज़ बिना सुविधा शुल्क,बिना खादी या कोई एप्रोच के ऊपर तक पहुँचने के बजाय उस के घर तक सीमित रह जायेगी ।और उस की आवाज़ घर की चार दीवारी में ही रह गई और चली गई दुनिया को अलविदा कह कर। उस ने आत्म हत्या नही की बल्कि लोकतंत्र,सिस्टम की हत्या हुई है
बताते चले की मृतका ऐश्वर्या शर्मा पुत्री डा० दिनेश शर्मा निवासी आदर्श नगर कानपुर यूनिवर्सिटी की बीसीए द्वितीय वर्ष की छात्रा थी| लड़की के ही क्लास मे पढ़ने वाला अनिकेत दीक्षित और बीसीए तृतीय वर्ष का अनिकेत पांडे मृतिका से काफ़ी समय से उससे दोस्ती करने का दबाव बना रहे थे और विरोध करने पर उसका पीछा करते हुए उसपर अश्लील फब्ब्तिया करते थे जिससे तंग आकर लड़की ने घर मे आत्महत्या कर ली|
पीड़ित परिवार के अनुसार बीते फ़रवरी माह की 6 तारीख को यूनिवर्सिटी के दो छात्र अनिकेत दीक्षित और अनिकेत पांडे के खिलाफ यूनिवर्सिटी प्रशासन और पुलिस मे भी शिकायत दर्ज कराई थी| लेकिन यूनिवर्सिटी की एचओडी ममता तिवारी ने लड़की के उपर ही दबाव बनाया और उसको दोषी लड़को के साथ सस्पेन्ड करने की धमकी दी जिससे ऐश्वर्या बुरी तरह से डर गयी थी| यूनिवर्सिटी प्रशासन के साथ ही चौकी इंचार्ज ने भी ऐश्वर्या के उपर दोषी लड़को के साथ समझौता करने का दबाव बनाया तथा उस के पापा से ज़बरदस्ती समझौता लिखा लिया जिससे से उस की इंसाफ की आखरी उम्मीद भी टूट गई और बीते 2 अप्रैल को आत्महत्या का रास्ता चुन लिया|
उक्त मामले में शासन स्तर पर भी कार्यवाही को ले कर भारी दबाव था जिस कारण पुलिस ने बीसीए विभागाध्यक्ष डॉ ममता तिवारी,विश्वविद्यालय चौकी इंचार्ज अजय मिश्रा एवं आरोपी अनिकेत दीक्षित तीनों को गिरफ्तार कर लिया कोर्ट ने इन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया फरार आरोपी अनिकेत पांडेय पर दस हज़ार ₹ का इनाम घोषित किया गया । इसी मामले में पूर्व विवेचक व कल्याण पुर इंस्पेक्टर को निलंबित कर दिया गया है । तथा शहर में कैंडिल मार्च, शौक सभा का दौर चालू है
हर बड़ी घटना के बाद सरकारी जन तंत्र कुछ समय के लिए जाग उठता है ऐसा ही कुछ इस ह्रदयविदारक घटना के बाद होता नजर आ रहा है एसएसपी ने इस मामले की जांच कल्याण पुर से बिठूर थाना प्रभारी तुलसीराम पांडेय को ट्रांसफर कर दी है । तथा पूरे मामले में पुलिस की भूमिका की जांच सीओ कर्नलगंज मनोज गुप्ता को सौपी है ।छात्राओं के उत्पीड़न और समस्याओं को सुनने के लिए ऐश्वर्या के नाम से एक कमेटी के गठन के लिए कुलपति ने सहमति दी है तथा कैंपस में महिला पुलिस की तैनाती का भी आश्वासन मिला है ये सब कितना सही साबित होते है ये समय के गर्भ में है
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