*UNT* *News*
अकबर अली,
*जो पन्नी बनी थी काल जाना होगा उसे अब पाताल*
जब पन्नी बन्द होने का शासनादेश आया तो लगा कि अब कैसे क्या होगा जैसे जिंदगी रूक जाएगी लेकिन जैसा कहा गया है कि वक़्त हर ज़ख्म की दवा होता है जैसे शासन प्रशासन ने पन्नी की प्रतिबन्ध पर सख्ती दिखाई और लोगों को जागरूक किया वैसे-वैसे हालात सही होते गए बाज़ारो में फिर उसी तरह रौनक दिखाई देने लगी
हमारे संवादाता ने बाक़र गंज सब्ज़ी मंडी पर पन्नी प्रतिबंध का असर पे नज़र डाली
तो पाया सब कुछ पहले से बेहतर, बाज़ार में किसी भी दुकान में पन्नी नहीं पाई गई,कोई भी पन्नी में सौदा खरीदता-बेचता नज़र नहीं आया,कई दुकानों में *पन्नी बन्द है, झोला लाओ* इत्यादि के बोर्ड भी लगे मिले, और तो और दुकानदार ग्राहकों को समझते हुए नज़र आये की आप लोग झोले का इस्तेमाल करें और पन्नी से परहेज़ करें। कई स्थानों पर व कई दुकानों पर ग्रहकों के हाथों में भी झोले नज़र आये। जिससे ये साफ जाहिर है कि लोग पन्नी के प्रति काफी जागरूक हो गए हैं।
दुकानदारों से जब पूछा गया कि पन्नी बन्दी के बारे में आपकी क्या राय है तो उनके चेहरे पर चमक आगई और फहीम , रामु व आलोक ने बताया कि पन्नी बंदी से अनेक फायदे हैं, सबसे बड़ा फायदा यही है कि अब हमें पन्नी खरीदना नहीं हैं अपनी कमाई का 10 प्रतिशत हिस्सा हर महीने हमें पन्नी खरीदने में खर्च करने पड़ते थे, एक दिन में 40से 50 रुपये तक तो किसी दुकानदार की 70 से 80 रुपये तक की पन्नी खप जाती थी, औसतन महीने में 2000 से 2500 रुपये तक की पन्नी खरीदनी ही पड़ती थी, परन्तु अब उन्ही पैसों की बचत होगी व हमारी आय में भी व्रद्धि होगी और पर्यावरण भी सुरक्षित होगा । वैसे अभी तक तो हर सब्ज़ी व फल के लिए अलग – अलग करके एक ही ग्राहक को कई पन्नी देनी पड़ जाती थी परन्तु अब ग्राहक द्वारा लाये गए एक ही झोले में सारी सब्ज़ियां अजाएँगी। पन्नी बन्द होने से बाज़ार में भी इधर उधर पन्नी फैली नज़र नहीं आएगी जिससे हमारा पर्यावरण भी शुद्ध होगा। सरकार के इस फैसले से हम सभी दुकानदार बंधु बहुत खुश हैं, व सरकार के आभारी हैं और उन्हें धन्यवाद करते हैं।
*ग्राहक बोले*
राजू व भोले के अनुसार पन्नी बन्दी समाज के लिए बेहतर साबित होगी, हम लोग झोला लेके सब्ज़ी खरीदने आएंगे और पन्नी बंदी का सपोर्ट करेंगे।
वास्तव में पन्नी समाज मे गन्दगी का एक बड़ा कारण ,आये दिन खबर आती रहती है कि तमाम जानवर पन्नी खाकर मौत की नींद सो जाते हैं,कहीं न कहीं पन्नी के इस्तेमाल करने से उन बे मूँह के जानवरों की मौत के ज़िम्मेदार हम स्वमं हैं।परन्तु अब हमें मासूम जानवरों को मौत सी सौगात नहीं देंनी है बल्कि अब हमें पन्नी को इस समाज से मिटा देना है, उनका इस्तेमाल पूरी तरह से बंद कर देना है, तभी एक स्वस्थ समाज की स्थापना हो सकेगी।।
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