ध्रुव
ओमर
सिगरेट या बीड़ी का धुआं किसी धर्म और राज्य को नहीं पहचानता, किसी रिजर्वेशन या राजनीतिक झुकावों को नहीं जानता। उसका सबके लिए एक ही मेसेज है और वह है “मौत”।
मुख्य रूप से तो ऊंची सोसायटी में अपना स्थान बनाने के लिए लोगों में यह गलत अवधारणा बनी हुई है कि धूम्रपान एक अच्छा माध्यम है। रईस लोगों के बीच में अगर कोई धूम्रपान न करे तो उसे मज़ाक का पात्र बनाया जाता है। इससे बचने के लिए धूम्रपान करते हैं।
आज के युवा / छात्र अक्सर फिल्मों में नायक को जब धूम्रपान करते हुए देखते हैं तब उसकी नक़ल करते हैं। किन्तु दुर्भाग्यवश इस गलत आदत को “स्टेटस सिंबल” मानकर अक्सर नवयुवक अपनाते हैं और दूसरों के सामने दिखाते हैं। धूम्रपान दरअसल एक लत है जिससे जब तक व्यक्ति दूर रहता है तब तक तो वह ठीक रहता है लेकिन एक बार यदि इसे प्रारम्भ कर दिया जाए तो इंसान को इस नशे में मज़ा आने लगता है तथा वो इस आदत को छोड़ नही पाते
सिगरेट तम्बाकू से होने वाले नुकसान को देखते हुए हर साल 31 मई को “सिगरेट तम्बाकू निषेध दिवस” सरकार द्वारा मनाया जाता है। साल के इसी दिन सम्बंधित अधिकारी,कार्यालय से निकल कर खानापूर्ति कर लेते हैं।
सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान करना दंडनीय अपराध है। इस बाबत शहर के सरकारी विभागों में बड़े-बड़े पोस्टर भी चस्पा किए गए हैं, लेकिन यह महज शो-पीस साबित हो रहे हैं। लोग सरेआम सिगरेट-बीड़ी पीते रहते हैं। ऐसे लोगों की शिकायत कहां और किससे की जाए जैसी जानकारी पोस्टर से नदारद है।
सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान नहीं करने की कड़ी में कचहरी परिसर को भी धूम्रपान रहित क्षेत्र घोषित किया गया है। लेकिन वहां भी खुले आम सिगरेट ,तम्बाकू पी व बेची जा रही है।
इसके रोक थाम प्रचार-प्रसार के लिए भारी भरकम बजट भी पास होता है।कहीं-कहीं दीवारों पर चेतावनी के तौर पर बैनर,पोस्टर भी लगाए गए हैं। अब ये बैनर भी मात्र शोपीस बनकर रह गए हैं, क्योंकि धूम्रपान रहित क्षेत्र संबंधी लगाए गए बैनरों पर न तो अधिकारियों के नाम है और ना ही कोई संपर्क सूत्र। ऐसे में धूम्रपान करने वालों की शिकायत भी नहीं की जा सकती है।
अधिकारियों का भी इस ओर नजरअंदाज करने वाला ही नजरिया है। सार्वजनिक स्थानों, स्कूल,कॉलेज के आस पास सिगरेट तम्बाकू बेचना जुल्म है लेकिन इस के विपरीत यहां खुले आम बेची व पी जा रही है । हलीम कॉलेज जो इंटर और डिग्री कॉलेज दोनों ही है कॉलेज के हर दस कदम पे सिगरेट ,तम्बाकू की दुकानें सजी हुई हैं । शहर के हर स्कूल कॉलेज के आस पास यही हाल है । सब से बुरा हाल गर्ल्स कॉलेज के पास होता है । कॉलेज छूटते समय कुछ रोमियो टाइप के युवा इन दुकानों पे खड़े होने के बहाने सिगरेट का धुआं छोड़ते हुए आसानी से देखे जा सकते है। कानपुर कचहरी में आने वाले फरियादी खुलेआम धूम्रपान करते नजर आते हैं। अगर इनसे जुर्माना ही वसूला जाए तो प्रशासन को अच्छा-खासा राजस्व प्राप्त हो सकता है। गौरतलब है कि सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान करते पकड़े जाने पर 200 रुपए का जुर्माना है। सवाल खड़ा होता है कि आखिर धूम्रपान को लेकर दी जाने वाली इस तरह की चेतावनी का क्या फायदा, जिसमें शिकायकर्ता खुद अधिकारियों से संपर्क न कर सके।
तंबाकू और धूम्रपान उत्पादों की बिक्री को कम करने के लिए कई तरह के नियम बनाए गए हैं उनमें यह भी शामिल है कि दुकानदारों द्वारा बोर्ड लगाकर चेतावनी दी जाना चाहिए कि धूम्रपान सेहत के लिए खतरनाक है लेकिन इसका पालन कही नही किया जा रहा है। 18 वर्ष से कम उम्र के युवाओं को इनकी बिक्री नहीं की जाना चाहिए लेकिन ऐसा नहीं हो रहा। हैरत की बात यह है कि कई दुकानों पर सामग्री बेचने वाले ही नाबालिग हैं। दुकानदार खुद भी स्वीकार कर रहे हैं कि स्कूल के कई बच्चे यहां आकर सिगरेट खरीदते हैं। सबकुछ आंखों के सामने है लेकिन न ही प्रशासन, न स्वास्थ्य विभाग और न ही पुलिस किसी कार्रवाई के लिए कदम उठाते हैं। कई बार दुकानों से गुटखा, पाउच और सिगरेट जब्त कर दुकानदार पर कार्रवाई होती रही है लेकिन बीते काफी समयसे अब कार्यवाही नही की जा रही है इसके कारण हर तीसरे घर के पास व हर स्कूल कालेज सार्वजनिक स्थानों के पास दुकाने सजाई जा रही है और नियमो/आदेशों को सिगरेट के धुएं की तरह उड़ाया जा रहा है ।
“अभी हमने दो तीन रोज़ पहले काशीराम हॉस्पिटल में छापा मारा था वहाँ 550 रुपये का चालान काटा दो तीन लोगों का।
खालसा इंटर कॉलेज के आस पास निरीक्षण किया वहां पर सिगरेट मसाले की कोई दुकान नहीं पाई गई।
जहाँ पर दुकाने हैं उसके लिए हम लोग कार्य कर रहे हैं डी.एम. सर से मीटिंग करके उनसे इस बारे में बात करेंगे कि वो कार्यवाही करवायें।
यदि कोई व्यक्ति सार्वजनिक स्थान पर धूम्रपान करता पाया जाए तो टोल फ्री नम्बर 1800-110-456 पर सूचित किया जा सकता है।
प्रचार प्रसार भी हम लोग कर रहे है प्रत्येक माह के दूसरे और चौथे बुधवार को हमारी टीम छापेमारी करती है और लोगों को जागरूक भी करती है।”
निधि अग्रवाल
जनपद सलाहकार
नो टेबोको सेल
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