आज़म/शाह
कानपुर । शहर की चिलचिलाती धूप और तपती गर्मी से बे हाल यहां के वासी 45 डिग्री से ऊपर तक का पारा झेल चुके हैं । गर्मी को देखते हुए नगर निगम हर साल जगह जगह पौशाले लगाता है । परंतु कुछ सालों से ये पौशाले केवल कागज़ों पे चल रहे हैं । पौशालों के लिए नगर निगम हर चौराहों पे जगह घेर कर घास फूस का पौशाला तो बना देती है परंतु उस मे पानी की कोई व्यवस्था नही रहती । ठीक उसी तरह जिस तरह हाथी के दाँत दिखाने के कुछ और खाने के कुछ । ऐसा ही एक नज़ारा मूलगंज चौराहे पे देखने को मिलता है । ये क्षेत्र ऐसा क्षेत्र हैं जहां हमेशा मज़दूर ,रिक्शेवाले, और दुसरे शहर के व्यापारियों की मौजूदगी बनी रहती है। इतनी गर्मी में पौशाला देख कर जहां इन को अपनी प्यास बुझाने की ललक होती है । जैसे ही इस पौशाला के पास जाते है तो ये अपने को ठगा महसूस करते हैं । मूलगंज में 20 साल से मज़दूरी के लिए आ कर खड़े होने वाले एक मजदूर ने बताया कि की भय्या पौशाला बनते हुए तो देखा लैकिन मटके और पानी को नही देखा । मूलगंज तो बानगी पर है। यही हाल हर चौराहे का है। जब हमारे सवांददाता नगर निगम के पौशाला की तलाश में घंटा घर तक पहुच गए तो वहां और भयावह स्थिति दिखी । एक्सप्रेस रोड जो होलसेल मार्किट है और हज़ारो व्यापारी रोज़ इस मार्किट में आते है । लेकिन कही भी घंटा घर से नरौना चौराहे तक लगभग 1 किलो मीटर तक नगर निगम का हैण्ड पम्प व पौशाला नही है। के डी ए द्वारा बनाई गई इस मार्किट में पौशाला के लिए जगह तो बनाई गई है । लेकिन पानी का कोई इंतेज़ाम नही है । वर्तमान समय मे इन जगहों पे दबंगो का कब्ज़ा है । यही स्थिति कचेहरी के पास है। जहां हज़ारो की सख्या में वादकारी आते है। शताब्दी द्वार के सामने एस एस पी कार्यालय के पास एक पौशाला का ढांचा मिला लेकिन पानी नही ।
आश्चर्य की बात है कि इस ओर न तो शहर के आला अधिकारियों व विधायक ,अपने अपने क्षेत्र के पार्षद ,अपने को जनसेवक कहलाने वाले भी आँखे बंद किये हुए हैं ।
इतनी भीषण गर्मी में इन प्यासों (शहर वासियों)के साथ इस तरह का मजाक क्यों ? ए.सी. में बैठ कर काम करने वाले नगर निगम के बाबू क्या जाने की गर्मी और प्यास क्या होती है ?
अतिक्रमण और जाम से कराहता बेकनगंज
अकबर अली/मो. अनीस
कानपुर ।अतिक्रमण और जाम दोनो एक सिक्के के दो पहलू है । ये दोनो शहर की एक ऐसी बीमारी है जिस से पूरा शहर ग्रसित है । वर्तमान समय मे ये बीमारी ला इलाज होती नजर आ रही है । क्योंकि इस बीमारी को दूर करने वाले जिम्मेदार आँखे बंद किये हुए हैं । इस बीमारी की खास बात ये है कि इस को फैला भी हम आप ही रहे हैं और ग्रसित भी हम आप ही हैं । वैसे तो ये बीमारी पूरे शहर में फैली हुई है । लेकिन हम बात कर रहे हैं मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र बेकनगंज की जी टी रोड हलीम कॉलेज चौराहे से परेड को जोड़ने वाली ये रोड यहां से गुजरने वालों के लिए मुसीबत का सबब बनी हुई है क्योंकि अतिक्रमण के साथ साथ इस रोड पे चल रहे खाने पीने के होटल खास तौर पे बाबा स्वीट हाउस पे आने वाले ग्राहक अपनी गाड़ियों को रोड पे बेतरतीब खड़े करते हैं क्योंकि इन होटलों ने अपनी दुकानें तो खोल ली हैं लेकिन आने वाले अपने ग्राहकों की गाड़ी खड़ी करने का कोई इंतेज़ाम नही किया जिस कारण यहां आने वाले ग्राहक अपनी गाड़ी आड़ी तिरछी गाड़ी खड़ा कर के वहाँ से गुजरने वालों के लिए मुसीबत बनते हैं और हर वक़्त यहां जाम की स्थिति बनी रहती है । दिन में हलीम कॉलेज से परेड तक पहुँचना लोहे के चने चबाने के बराबर हैं । यहां के रहने वाले बताते हैं कि कभी कोई आकस्मिक कार्य या किसी बीमार को अस्पताल ले जाने की आवश्यकता पड़ने पर बहुत ज्यादा कठिनाई का सामना करना पड़ता है आइये आज हम आप को अपनी कलम से हलीम चौराहे से परेड ले चलते है । वैसे तो आप इस रोड से गुजरे होंगे लेकिन जिस कारण ये समस्या उत्पन्न हो रही है, जिस को नज़र अंदाज़ कर के आगे बढ़ जाते है हम आज उसी ओर आप सब का ध्यान आकर्षित करना चाहते हैं। हलीम चौराहे से परेड के लिए जैसे ही आगे बढ़ते हैं हमें मनामा अस्पताल मिलता हैं जहाँ मरीज़ के तीमारदारों की बेतरतीब गाड़िया खड़ी मिलती है ठीक इस के सामने गाड़ी धुलाई केंद्र है जहां रोक के बावजूद धुलाई के लिए गाड़ी लाइन में लगी रहती हैं । कुछ कदम बढ़ते ही एक छोटी सी मुर्गा मार्किट रोड पे मिलती है। इस के आगे बढ़ते ही रूपम चौराहे से पहले सीज़नी फलों की मार्किट सजी मिलती है अगर रूपम,सत्यम,नारायण, जो अब मैरिज हाल बन चुके हैं अगर इन मे शादियों के प्रोगाम लगें है तो ये समस्या यहां पे कॉकटेल बन जाती है। यहां से किसी तरह निकले और आयशा गर्ल्स स्कूल की छुट्टी हुई तो आप अपनी समय सीमा से पहुचने की आशा खत्म कर दें। यहां से किसी तरह आगे बढे अगर बाजार का दिन हुआ तो आप को महिलाओं की टिप्पणी सुनते हुए निकलना पड़ेगा ।अब आते हैं इस क्षेत्र का सब से मशहूर बाबा स्वीट हाउस जहां पर ग्राहक की आड़ी तिरछी गाड़ियां दाद में खाज का कार्य करती हैं यहां से रहमानी मार्किट पहुचें यहां तो गाड़िया इस तरह से खड़ी मिलती है जैसे इस क्षेत्र का गाड़ी स्टैंड। लाल कुआँ को पार कर के खुली हवा में जैसे ही डॉ. नईम हॉस्पिटल को पार किया एक बार फिर खाने पीने के होटल,जो अभी नए खुले हैं,उन को पार करते हुए यतीम खाने तक पहुँच गए। इस समस्या का दूसरा पहलू इस क्षेत्र की दुकान तो अंदर पर सारा सामान फुटपाथ पर सज़ा होता है। सोने पर सुहागा तब होता है कि ग्राहक दुकान के आगे अपनी आड़ी तिरछी गाड़ी खड़ी कर देता है और जब ऐसे में वहां के दुकानदारों से बात करो तो वो अपना पल्ला झाड़ लेते है। नौबत तो कभी कभी मार पीट तक आ जाती है।
इस रोड पर सैकड़ो दुकाने है लेकिन सुरक्षा के नाम पर कोई भी सुविधा नही है अगर भविष्य में वहां आग लग जाये या कोई दुर्घटना हो जाये तो सहायता कर्मी पहुचते पहुचते तो इस क्षेत्र का एक हिस्सा पता भी ना चलेगा। इस सम्बंध में जब सुशील कुमार (यातायात अधीक्षक) से मुलाकात की तो बेकन गंज का नाम सुनते ही उन को अर्जेंट काम याद आ गया और समस्या सुनने के बाद भी साहब बगैर कोई जवाब दिए चले गए।
शहर में फल फूल रहा है अवैध सीएनजी गैस किट का कारोबार
आरटीओ, क्षेत्रीय पुलिस बनी गान्धारी
आला अधिकारी कर रहे है किसी बड़ी घटना का इंतेज़ार
ध्रुव ओमर
कानपुर । आज के युग मे हर व्यक्ति अपनी जिंदगी लक्सरी स्टाइल में जीना चाहता है । कहीं हद तक वो कामयाब भी है। लक्सरी जिंदगी जीने के लिए वो सभी सुख सुविधाओ को हासिल करने की कोशिशों में लगा रहता है। इसी लक्सरी ज़िंदगी का एक स्टेटस सिम्बल बन चुकी चार पहिया वाहन । इस प्रतियोगिता के दौर में जहाँ महगें से महगें नए नए चार पहिया वाहन मार्किट में कम्पनियां उतार रहीं हैं । पेट्रोल से चलने वाली ये चार पहिया वाहन ठीक उसी तरह है जैसे की हाथी खरीदना आसान है पर उस को खाना खिलाना मुश्किल । पेट्रोल के बढ़ते दाम जहां आज के व्यक्ति की लक्सरी जिंदगी में व्यवधान पैदा कर रहे हैं । यहां पे अर्थ शास्त्र का वो नियम लागू होता है कि आवश्यकता आविष्कार की जननी है । पेट्रोल के बढ़ते दाम के कारण कुछ समय पहले एलपीजी गैस (घरेलू गैस सिलेंडर) से चार पहिया वाहन चलने लगे इस के फौरन बाद ही 2006 में शहर में सीएनजी गैस से चार पहिया वाहन चलने लगे सीएनजी गैस से गाड़ी चलाने के लिए गाड़ी के इंजन में सीएनजी गैस किट लगने लगी जिस को लगाने के लिए कानपुर शहर में अधिकृत सीएनजी सिलेंडर टेस्टिंग सेंटर्स कुल 11 कंपनियों को मान्यता दी लेकिन यहीं पे लक्सरी ज़िंदगी जीने की इच्छा रखने वाला व्यक्ति अपनी व अपने परिवार की ज़िंदगी मौत से कुछ ₹ की लालच में समझौता कर लेता है। सरकार द्वारा सीएनजी किट रिट्रोफिटमेंट के केंद्रों को लगाने की मान्यता देने वाली कंपनी से न लगवा के अवैध तरह से शहर में लगा रही कंपनियो से लगवा के अपनी व अपने परिवार की जिंदगियों से खिलवाड़ कर रहे हैं । जिस का जीता जागता सबूत है कि आये दिन रोड पे चलती गाड़ियों में आग लगने की सूचना आप सभी को समाचार पत्रों में पढ़ने को मिलती है। अभी बीते दिनों में ही नोबस्ता हमीरपुर रोड पे चलती वैन में अचानक आग लग गई चालक गाड़ी सड़क किनारे खड़ी कर के भाग गया सीएनजी गैस किट लगी होने से सिलेंडर फटने के डर से यातायात रोक दिया गया था । प्रत्यक्षदर्शियों के माने तो वैन चालक घटनास्थल से कुछ कदमदूर सीएनजी पम्प से गैस भरा कर नोबस्ता से हमीरपुर रोड जा रहा था तभी ये हादसा हुआ। इस तरह के हादसे आये दिन होते रहते हैं । लेकिन अफसोस कि बात है इस से सम्बंधित विभाग आरटीओ और उस के अधिकारी एवं क्षेत्रीय पुलिस गान्धारी बने हुए हैं और शहर में अवैध गैस किट लगाने का कारोबार खूब चल रहा है वही इस अवैध कारोबार करने वाले लोगों की जिंदगियों से खिलवाड़ एवं सरकारी राजस्व का नुकसान कर रहे हैं वैसे तो शहर में अवैध गैस किट लगाने वाले हर चौराहे पे मौजूद है लेकिन जो खुले आम और दबंगई से गैस किट लगा रहे हैं उन में से प्रमुख चुन्नी गज स्थित एस. एस. मोटर्स, साईं मोटर्स, हर्ष मोटर्स हैं।आश्चर्य की बात है कि ये सब मैन रोड पे खुले आम ये अवैध कारोबार कर रहे हैं और क्षेत्रीय पुलिस क्यों मूकदर्शक बनी हुई है ?
एस. एस. मोटर्स चुन्नीगंज के मालिक वसीम अहमद व अबरार अहमद है सूत्रों की माने तो इन पे कई आपराधिक मामले दर्ज है । इन की सेटिंग इतनी ऊपर तक है कि ये स्कूल वैनों के मालिकों को अपने यहां गैस किट लगवाने की पूरी जिम्मेदारी लेते हैं कि तुम्हारी वैन को कोई भी आरटीओ अधिकारी नही पकड़ेगा। अब ये इन की सेटिंग है या सुविधा शुल्क
अभी कुछ ही सालों पहले ये दोनों शहर के ही एक अधिकृत डीलर के पास काम करते थे ।काम सीखने के बाद दोनों ने मिल कर इस अवैध कारोबार की शुरूआत की और देखते ही देखते इन दोनों ने कुछ ही समय मे इस अवैध कारोबार से अपनी अकूत सम्पत्ति बना ली है और महंगी कारो को रखना अपना शौक बना लिया है ।
इस मे कोई शक नही की इन के अवैध कारोबार को क्षेत्रीय पुलिस और आरटीओ का वरदहस्त प्राप्त है और जब तक कोई बड़ी घटना नही होगी तब तक शहर के आला अधिकारी नींद से नही जागेंगे और
तब तक इन की दबंगई और इन का ये काला कारोबार फलता फूलता रहेगा।
मेरे संज्ञान में ऐसा कोई मामला नही है । और हमने अपनी वेबसाइट एवं सी.एन.जी. स्टेशन पर रजिस्टर्ड डीलर की जानकारी दे रखी है इसके बाबजूद अगर पब्लिक किसी और कहीं से लगवा ले तो इसके जिम्मेदार हमारे विभाग नही होगा
और अगर कोई आर.टी.ओ.अधिकारी की अगर मिलिभगत से ये हो रहा है तो सख्त कार्यवाही की जाएगी
आदित्य कुमार
ए आर टी ओ (प्रशासन)
ईद के उत्साह में महंगाई की मार पड़ी फीकी चाँद रात में लौटी रौनक
*ईद के उत्साह में महंगाई की मार पड़ी फीकी बाज़ारो में लौटी रौनक*
*(मो0 नदीम) के साथ एम एम सिद्दीकी की रिपोर्ट*
कानपुर-रमजान के पवित्र इबादती महीने के खत्म होने की कगार पर पहुचते ही लोगो मे ईद की तैयारियों में एक अलग ही कौतूहलता नजर आने लगती है हर किसी मे एक अलग ही उत्साह देखने को मिलता है बाज़ारो की रौनक देखते ही बन रही है रेडीमेड कपड़ो की दुकानों से लेकर सेवई सजावट मेवे आदि दुकानों और भीड़ उमड़ पड़ी है ईद पर घरो को सजाने व मेहमानों के सवागत की तैयारियो को लेकर महिलाए तैयारियो में व्यस्त हो गई है ईद के उत्साह में लोगो ने महंगाई को भी दरकिनार कर दिया है मुस्लिम समुदाय में ईद सबसे बड़े त्योहार व रमज़ान में ईश्वर की इबादत के फलस्वरूप मिले तोहफे के रूप में मनाया जाता है इसीलिए ईद पर्व को बड़े धूमधाम से मनाया जाता है बच्चे बूढ़े सभी घुलमिलकर ईद की खुशियां बाटते है माह रमजान में रोज़े रखने के बाद रोज़ेदारों को ईद का बड़ी बेसब्री से इंतजार रहता है इस बार फिर से वो घड़ी आ गई है शहर के प्रमुख बाज़ारो में भीड़ का आलम ये है लोगो को पैर रखने के लिए भी जगह नही मिल रही है यही शहर के छोटे इलाको में लगने वाली बाज़ारो का भी है सबसे ज्यादा भीड़ कपड़े,सेवई,सुतफेनी,चूड़ी वाली दुकानों पर लग रही है
*इस बार फिर बढ़ी बनारसी सिवई की डिमांड*
ईद में जबरदस्त दुकानदारी के मद्देनजर लगभग प्रत्येक गली में सेवइयों की दुकाने सजी हुई है अलग अलग क्वालिटी की सेवइयां व सुतफेनी दुकानदारों ने सजाई हुई है इनके मूल्य भी अलग अलग तय शुदा है वैसे तो बाजार में कई तरह की सिवइयां उपलब्ध है जैसे सादी बादामी किमामी लेकिन बनारसी सिवई इस बार भी लोगो की पहली पसंद बनी हुई है अन्य सिवइयां जहा 50 से 60 रु0 में आसानी से उपलब्ध है वही बनारसी सिवईयो की कीमत इनसे लगभग दुगुनी है 100 से 120 रु0 होने के बावजूद होने के बावजूद लोग धड़ल्ले से इसकी खरीदारी जोरो से कर रहे है दुकानदारों का कहना है अन्य सिवइयों के मुकाबले बनारसी सिवई की डिमांड कई गुना अधिक है
*युवतियो की नजर को भा रहा गाउन रूपी लहंगा*
शहर के बाज़ारो में सबसे अधिक भीड़ कही नजर आएगी तो वो है कपड़ो की दुकानों में बच्चो से लेकर बड़ो तक सभी ईद की खरीदारी में जोर शोर से लगे हुए है महंगाई के बावजूद लोग कपड़ो की खरीदारी में दिल खोलकर खर्च कर रहे है ज़्यादातर दुकानों में महिलाओं संग बच्चो की भीड़ देखी जा रही है चौड़ा पैचा सूट गाउन लहंगा युवतियो की पहली पसंद बना हुआ है हालांकि चौड़ा पैचा सूट नया लुक डिजाइन होने के कारण युवतियां कम ही हाथ रख रही है लेकिन गाउन की कई वैराइटी होने के कारण हाथोहाथ बिक्री हो रही है बच्चो को पठानी सूट भी खूब भा रहे है युवा जीन्स टी शर्ट के साथ डिजाइनर कुर्ते पाजामे खरीदारी करते काफी तादाद में देखे जा रहे है हालांकि, बाज़ारो में बढ़ती महंगाई की मार से कपड़ो की कीमत 1500 सौ से लेकर पाँच हजार से ऊपर तक है फिर भी लोग हँसी खुशी अपनी जेब के हिसाब से दिल खोलकर खर्च कर रहे है
बगैर नगर निगम अनुमति से इक़बाल लाइब्रेरी रोड को घोषित कर दिया आलम मार्केट
मो०नदीम एम एम सिद्दीकी कि रिपोर्ट
👉🏻बगैर नगर निगम अनुमति से इक़बाल लाइब्रेरी रोड को घोषित कर दिया आलम मार्केट
👉🏻बॉसमंडी मे आलम कि दबंगई
👉🏻आये दिन मारपीट से लोगो मे खौफ
👉🏻आलम के वर्चस्व के आगे पुलिस बेबस
👉🏻विवादो से पुराना नाता
👉🏻मिठाई कि दुकान मे कुछ वर्ष पूर्व मारपीट
👉🏻जिम मे हुई मारपीट
👉🏻आलू मंडी केस्को जे ई खालिद से हुई मार पीट
👉🏻जाम कि वजह से कई बार हो चुकी है दुकानदारो और राहगीरो मे मारपीट आलम दुकानदारो को देते है संरक्षण बताते है अपने ताल्लुकात टॉप नेताओ और अपराधियो से
👉🏻जब जब किसी विभाग ने कि कारवाई तब तब लगवाया वसूली का आरोप
👉🏻बगैर जी एस टी के बेच रहे है कपड़े टैक्स कि कर रहे है बड़ी चोरी राज्य जी एस टी अधिकारी भी मौन लाखो का हो रहा टैक्स चोरी सरकारी राजस्व को हो रहा भारी नुकसान
कानपुर:कभी जिम संचालक के नाम से मशहूर रहे आलम अब बांसमंडी मे रेडीमेड कपड़ो कि कई दुकाने है। उनकी दबंगई से पूरा ईलाका परेशान कई बार विवादो से घिर चुके आलम एक बार बिजली चोरी मे भी धरे जा चुके है जिसको लेकर हंगामा खड़ा कर दिया था और भीड़ एकत्र कर ली थी ऐसे मे जे ई खालिद को अपनी जान बचाने के लिए एक घर मे घुसना पड़ा गया था ये तो सिर्फ एक केस है इसी तरह मिलते जुलते कई मामलो मे उनका सम्बन्ध रहा है । मारपीट करना और लोगो मे खौफ पैदा करना इनके लिए आम बात है आलम कि दबंगई से पूरा इलाका खौफ खाता । यहा तक कि पुलिस भी बेबस नज़र आती है नेताओ और अपराधियो मे अच्छी पैठ होने कि वजह इनका कोई कुछ नही बिगाड़ पाता है अभी कुछ अरसे पहले कि बात है आलम और उनके भाई मिठाई दुकानदार ने एक वृद्ध को बेरहमी से पीटा था । इस दौरान इलाके के लोग एकजुट हो गये थे और इनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया था इसके बाद कई माह तक इनकी मिठाई कि दूकान बन्द रही तथा क्षेत्र के प्रभावशाली व्यक्ति ने बीच मे हस्तक्षेप कर समझौता कराया तब जा कर दुकान खुल सकी आलम मार्केट मे ज़्यादातर दुकाने आलम की है फुटपाथ तक दुकाने फेला राखी है इसके आगे गाड़िया खड़ी कर दी जाती है जिससे सड़क संकरी हो गई है। ऐसे मे रोज़ जाम कि समस्या बनी रहती है । राहगीरो के विरोध करने पर आलम और उनके कर्मचारी मारपीट पर उतारू हो जाते है और पुलिस भी इनके रुसूक कि वजह से बेबस बनी रहती है कई बार चेकिंग अभियान के दौरान पुलिस से भी मुआचाओ हो चूका है । जिन विभागीय कर्मचारियो से इनकी नोक झोक हो चुकी है दबाव बनाने के लिए अधिकारियो से वसूली कि फ़र्ज़ी शिकायत कर देते है ।*
खोया बाजार व्यपार मंडल के आगे मूलगंज पुलिस नतमस्तक
वैसे तो पूरा शहर अतिक्रमण से ग्रस्त है परन्तु सब से ज्यादा दिक्कत जब होती है जब क्षेत्रीय लोगो को उन तंग गलियों से अपने मरीजों को अस्पताल ले जाने की आवश्यकता पड़ती है और क्षेत्रीय पुलिस सुविधा शुल्क के चलते इस जन समस्या की ओर जानबूझ का आंख बंद कर लेती है ।हम बात कर रहे है शहर के सब से पुराने प्लास्टिक के बर्तन,इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, तथा खोया मंडी स्थित बाजारों की । यहां के दुकानदारों द्वारा किये गए अतिक्रमण के कारण से आम जनता और मरीजो को जाम से काफी मशकत उठानी पड़ती है चंद कदम दूर दो अस्पताल रवि टण्डन,ओर योगेश टण्डन दवाखाना होने के बावजूद दुकानदारो द्वारा फुटपाथ घेरकर दुकान सजाना ओर सोने पर सुहागा तब जब दुकान में कस्टमर आने पर दुकान के सामने अपनी वाहन खड़ी कर लेना ।आय दिन व्यपारियो का माल लाने और ले जाने के लिए ई-रिक्शा ,टेम्पो ,ओर ट्राली रिक्शा द्वारा जाम लगाना आम बात है । ये समस्या जब और बढ़ जाती है तब यहाँ खाद्य पूर्ति अधिकारियों का छापा पड़ता है ।
जब आम लोगो द्वारा इसका विरोध किया जाता है तो आम जनता से दुकानदार लड़ने को उतारू हो जाते है ।जब उन व्यापारियों से क्षेत्रीय पुलिस से शिकायत की बात कहो तो बड़े रौब से कहते हैं बुला लो हमारा कुछ नही होगा हमारा थाना बंधा हुआ है । होता भी वैसा ही है जब सूचना पर पुलिस आती है तब उलटा विरोध करने वाले के ऊपर पुलिस द्वारा दबाव बनाकर मामला रफादफा कर दिया जाता है सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार व्यपार मंडल द्वारा शुल्क भी थाने भेज जाता है । यहां का व्यापार मंडल अपने व्यापारियों के लिए तो आम आदमी से लड़ता है लेकिन गाड़ियों की स्टैंड की व्ययस्था की लड़ाई नही लड़ता तथा व्यापारियों द्वारा अतिक्रमण के लिए गन्धारी बन जाता है व्यपारियो ओर पुलिस की मिली भगत के चलते कभी भी थाना अध्यक्ष अपने क्षेत्र का राउंड भी नही करते है । परन्तु जैसे ही तय सीमा से शुविधा शुल्क क्षेत्रीय थाने नही पहुचता है तो वहां खाकी वर्दी की चहल पहल बड़ जाती है क्षेत्रीय निवासी समझ जाते है कि समय सीमा पार हो चुकी है और नज़राना अभी नही पहुँचा है ।
मानको कि धज्जिया उड़ा कर बनाई जा रही इमारते केडीए सादे हुए है चुप्पी
*#मानको कि धज्जिया उड़ा कर बनाई जा रही इमारते केडीए सादे हुए है चुप्पी*
*#lशहर मे धड़ल्ले हो रहा अवैध इमारतो का निर्माण*
*#मानको के विपरीत कैसे दिए विधुत कनेक्शन*
*#कानपुर विकास प्राधिकरण ने क्यो नही किया भवन सील*
*#मानको के विपरीत बनी इमारतो मे परिवार नही है सुरक्षित*
*#भूकम्प आने से कभी भी होगा दिल दहलाने वाला हादसा*
एम.एम. सिद्दीकी
कानपुर:शहर मे धड़ल्ले से अवैध इमारतो का निर्माण हो रहा है मानक के विपरीत बन रही इन इमारतो का ना तो नक़्शा पास हो रहा है नाही अन्य ज़रूरी निर्देशो पर अमल हो रहा है घनी आबादी वाले इलाको मे इनकी तादाद लगातार बड़ती जा रही है जब कि केडीए अधिकारी चुप्पी सादे हुए है अधिकारी न तो जाँच करने आते है ना ही इमारतों को सील करने कि कार्रवाई कि जा रही है अधिकारियो के इस रवैये पर सवालिया निशान उठ रहे है। शहर कि घनी बस्तियो मे कई इमारते ऐसे बन कर तैयार हो चुकी है जिनको नक़्शे के विपरीत या बिना नक़्शे के बनाया गया है कई इमारतो को 4 फुट आगे बड़ा के बनाया गया है जिन इमारतो मे चार मंज़िल का नक़्शा पास है उनको छ मंज़िल तैयार कर लिया गया है मनको कि धज्जिया उड़ाते हुए ना तो इसमे अग्नि शमन को लेकर प्रबंध किया गया है ना ही पार्किंग कि व्य्वस्था कि गई है इमरजेंसी होने पर इस तरह के इंतज़ाम भी नही किये गए है कि आप अपनी और अपने परिवार की जान बचा सके भुकम्प से बचाओ के भी कोई सादन नहीं है हद तो यह है इन इमारतो मे बिजली कनेक्शन भी दे दिए जा रहे है इसकी जवाब देही केस्को अधिकारीयो कि माने तो गौर तलब है केडीए मानचित्र के अनुसार जो इमारते पास है उन्हे ही बिजली कनेक्शन देने का प्राविधान है बॉसमंडी चमनगंज मोहदम्मद अली पार्क प्रेम नगर दलेल पुरवा हिरा मन का पुरवा पेच बाग सहित घनी आबादी वाले इलाको मे इनकी बड़ती तादाद का अंदाज़ा इसी से लगाया जा सकता है पिछले कुछ अरसे मे दर्जनो इमारते बन कर तैयार हो चुकी है और *#जो तैयार हो रही है वह ये है 90/236 इफ्तिखाराबाद पूर्व लेबर अधिकारी मुमताज़ सिद्दीकी के निवास के सामने होज़री कारोबारी किअभी चल रहा अवैध निर्माण 88/455 हुमायूँ बाग़ चमन गंज मनामा हॉस्पिटल के बगल मे बाँसमंडी मे 79/112 के बगल वाली गल्ली मे डब्बू एवं इरफ़ान कि बिल्डिंग का अवैध निर्माण अभी भी चल रहा है
20 साल से इंसाफ की उम्मीद में “मो. इसहाक़
20 साल से इंसाफ की उम्मीद में “मो. इसहाक़”
ध्रुव ओमर
कानपुर । शहर में आये दिन सम्पत्ति को ले कर विवाद और मर्डर आम बात है । लेकिन वर्तमान में वक्फ सम्पत्ति एवं शत्रु सम्पति को कागज़ में खेल कर हड़पने व कब्ज़ा करने की होड़ लगी हुई है। इसी तरह की एक घटना जो बिल्कुल फिल्मी स्टाइल से सम्पत्ति के वारिस को फ़र्ज़ी मुकदमे में निपटाने की कोशिश सम्पत्ति को हड़पने की नीयत से की गई है
मोहम्मद इशहाक अपने पिता अब्दुल रज़्ज़ाक द्वारा 98/51 नाज़िर बाग को “अलल औलाद” 14/12/1939 को वक्फ किया गया था जिस का वक्फ नम्बर 137A है जिस को मो. आरिफ,अब्दुल मज़ीद,हाजी अब्दुल कलाम,मो. हाशिम राहत बेग मो. सलीम उर्फ गुड्डू आदि कुछ अवैध कब्जेदारों ने कब्जा किया हुआ है। इस सम्पत्ति के मुतवल्ली अब्दुर रज़्ज़ाक के बड़े बेटे मोहम्मद इस्माइल हैं तथा वक्फ सम्पत्ति की पैरवी उन के छोटे बेटे मोहम्मद इसहाक़ द्वारा की जाती है।
लगभग 20 सालों से सम्पत्ति को पाने के लिए अवैध कब्जेदारों से लड़ रहे मो.इसहाक़ पाने के बजाए सिर्फ खोते जा रहे हैं और उस सोते हुए सिस्टम को जगाने की कोशिश कर रहे हैं जो किसी असहाय की आवाज़ से तो नही उठता हाँ चांदी के जूते (सुविधा शुल्क) या खादी के रसूख से ज़रूर उठता है जो इसहाक़ के पास वर्तमान में नही है । इस इंसाफ की लड़ाई में अपना विवाह भी न कर पाए अपनी छोटी से सिगरेट मसाले की दुकान से अपना जीवन व्यतीत करने वाले मो. इसहाक़ सिर्फ अपना सब कुछ खोते जा रहे है जेल से दोषमुक्त करार देने के बाद जब वो खुली हवा में आये तो वक़्त ने इन की माँ और बहन को लील लिया ।लेकिन इन की कोशिशें आज भी जारी है
उन की कोशिशों का ही नतीजा था कि सुन्नी वक्फ बोर्ड और एस डी एम (सदर) को उक्त सम्पत्ति को 04/04/2011 को अवैध कब्जेदारों से खाली कराना था । अवैध कब्जेदारों ने जब सम्पत्ति को अपने हाथों से निकलती देखी तो उन्होंने मो. इसहाक़ को फर्जी तरीके से फसाने की लिए एक रचना लिखी
मूलगंज स्थित पुलिस सहायता केंद्र के पीछे जब इसहाक़ अपनी सिगरेट,मसाले की दुकान पे बैठे थे शाम का वक़्त था । तभी एक बोलैरो दुकान के सामने आ कर रुकी गाड़ी से 4,5 लोग उतरे तथा इसहाक़ को जबरदस्ती गाड़ी पे बैठाने लगे क्षेत्रीय लोगों ने विरोध भी किया तथा उस समय शहर में दंगा नियंत्रण स्कीम चल रही थी जिस कारण पुलिस सहायता केंद्र में तत्कालीन सी ओ व एस एच ओ मूलगंज मय फोर्स के साथ मौजूद थे इन लोगों ने भी मामले को उसी वक़्त सज्ञान में लिया लेकिन उन लोगों ने अपने को लखनऊ की पुलिस बता के इसहाक़ को अपने साथ ले गए इसहाक़ के अनुसार लखनऊ रोड पे गाड़ी रोकी गई तो अवैध कब्जेदार मो. हाशिम आया और मुझ से उस सम्पत्ति की पैरवी ना करने का दबाव बनाया जब मैने मना किया तो वो अंजाम भुगतने को कह कर चला गया
इसी दिन शाम की घटना दिखा कर मलवां रेलवे क्रासिंग के पास एक किलो नाजायज चरस के साथ लखनऊ के थाना वज़ीर गंज ने इसहाक़ को जेल भेज दिया
इस घटना के बाद इसहाक़ की माँ कुरसुम ने कानपुर शहर के आला अधिकारियों से अपने बेटे के लिए इंसाफ की गुहार लगाई आला अधिकारियों ने मामले को सज्ञान में लेते हुए थाना मूलगंज से रिपोर्ट मांगी तो मूलगंज पुलिस ने रिपोर्ट प्रेषित की की दिनांक 22/3/2011 को लखनऊ की पुलिस सादी वर्दी में आ कर इसहाक़ को उठा ले गई थी । 05/01/2013 न्यायालय द्वारा इसहाक़ को दोष मुक्त करार दिया गया
इसहाक़ ने इस फ़र्ज़ी मामले में फसाने में सलिप्त लोगो के खिलाफ मुकदमा दर्ज करवाने की कोशिश की परन्तु विभागीय मामला होने के कारण उन का मुकदमा आज तक दर्ज नही हुआ फ़र्ज़ी मुकदमे में फस जाने के कारण अवैध कब्जेदारों का का खाली कराने का आदेश भी पूरा नही हो पाया
इसहाक़ इंसाफ पाने के लिए आज तक वक्फ बोर्ड और आला अधिकारियों के चक्कर काट रहा है ।
शहर में इसहाक़ जैसे बहुत हैं । हम आप को इसी तरह के इंसाफ के लिए लड़ रहे और लोगो की दास्तान अपने अगले अंक में प्रकाशित करते रहें गए और इस खबर की वर्तमान स्तिथि से अवगत कराते रहें गए
ये बॉक्स में जायेगा
शत्रु सम्पत्ति व वक्फ सम्पत्ति हड़पने के लिए हो रहा खेल शासन प्रशासन बे खबर
इस बारे में वार्ता करने पर वरिष्ठ अधिवक्ता एवं विधि विशेषज्ञ डॉ.एस.के.वर्मा ने बताया कि शत्रु सम्पत्ति और वक्फ सम्पत्ति की विधिक जानकारी सामान्य जनमानस को न होने से सारा खेल चलता है। दोनों ही सम्पत्तियों के लिए खेल वही करता है जो नज़दीकी होता है। विश्वास का लाभ उठा कर ही विश्वासघात करता है। रही बात शासन/प्रशासन की तो सर्वविदित है कि पैसा क्या न करवा दे परन्तु यदि सघन और विस्तृत जांच निष्पक्ष तरीके से हो तो न जाने कितनी बड़ी-बड़ी और रसूखदार मछलियां जाल में फसेंगी। सभी को जानकारी रहती है परंतु चांदी का जूता है जनाब अपने आप रास्ता बदल देता है । जैसा कि उक्त मामले में भी हुआ । शहर की मूलगंज की पुलिस ने जहां निष्पक्ष जांच की वही इस के उल्टे लखनऊ की पुलिस की कार्यशैली हास्यास्पद है । आश्चर्य है कि लखनऊ पुलिस के ऊपर अभी तक मामला दर्ज नही हुआ तथा एस.डी.एम.सदर ने भी खाली कराने के आदेश को अनदेखा किया। यही विधि की विडंबना है।
भीषण गर्मी में जनता प्यासी मर जाए कुम्भकर्णी नगर निगम पर कोई फर्क ना पड़ पाए
*भीषण गर्मी में जनता प्यासी मर जाए कुम्भकर्णी नगर निगम पर कोई फर्क ना पड़ पाए*
मो0 नदीम
बढ़ते तापमान को देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि इस बार भी सूर्य देव अपने सख्त तेवर से लोगो को झुलसाने की पूरी तरह से तैयारी किए हुए है वही दूसरी तरफ नगर निगम की अभी तक कोई भी ऐसी तैयारी नजर नही आ रही है जिससे राहगीरो को भीषड़ गर्मी से राहत मिल सके नगर निगम व तमाम संस्थाओ के रहते हुए शहर में एक भी निशुल्क पियाऊ नजर नही आया है गर्मी की बढ़ती शिद्दत से डरे लोग सड़कों पर पसरा सन्नाटा ये बया कर रहा है कि लोग घरो में इसलिए दुबके हुए है कही वो भीषण गर्मी में किसी बड़ी बीमारी के शिकार ना हो जाए
अप्रैल से ही भीषण गर्मी झेल रहे शहरवासियों को माह मई में आग उगलती गर्मी से राहत के आसार नही दिख रहे है भीषण गर्मी के कारण स्कूली बच्चों से लेकर अभिभावक शिक्षक रिक्शा चालक व रोजमर्रा काम करने वाले आदि लोग दोपहरिया में झुलस रहे है जनजीवन अस्त व्यस्त होता दिख रहा है गर्मी की शिद्दत को देखते हुए अभी तक राहगीरो के प्यासे कंठो की प्यास बुझाने के लिए कोई ठोस कदम नही उठाए गए है शहर के नांमचीन स्थलों व सार्वजनिक मार्गो पर इस साल नगर निगम की ओर से कोई भी निशुल्क प्याऊ व्यवस्था नही की गई है राह चलते लोगो का प्यास के मारे बुरा हाल है ठंडा तो दूर नार्मल पानी के लिए भी लोगो को भटकना पड़ रहा है मजबुरी के कारण लोग बोतल बन्द या फिर पाउच खरीदने पर मजबूर है
शहर के प्रमुख चौराहों से रोज़ाना लाखो राहगीरो का आवागमन होता है भीषण गर्मी के प्रकोप को कम करने का पानी ही एकमात्र सहारा होता है अभी तक प्रशासन व नगर निगम की ओर से राह चलते लोगो के लिए निःशुल्क पानी की कोई भी व्यवस्था नही की गयी है सबसे व्यस्तम चौराहों में शुमार घण्टाघर से लेकर परेड तक एक भी पौशाला नही बना है और ना ही हैंडपम्प लगा है गर्मी के मौसम मे लोगों को पेयजल की व्यवस्था करने के लिए हर साल स्वंयसेवी संस्थाओ द्वारा शहर में जगह जगह चौराहो रोडवेज बस स्टैंड रेलवे सहित कई स्थानों पर निशुल्क पौशाले स्थापित किये जाते रहे है लेकिन इस बार अभी तक स्वंय सेवी संस्थाओ ने कोई भी पौशाला खुलवाने की सुध नही ली है जिस कारण मुसाफिरों और राहगीरो को प्यास बुझाने के लिए इधर उधर भटकना पड़ रहा है सरकारी विभागों में भी जनता को पानी के लाले पड़े हुए है नाम वास्ते लगे फ्रीजर खराब पड़े लोगो को मुह चिढा रहे है मानो कह रहे हो हमें महसूस करो हमारी सेवाए लेने के बारे में भूल जाओ सबसे व्यस्तम कचहरी परिसर में अपनी समस्याओं को लेकर हजारो लोगो का आना जाना लगा रहता है यहां पर भी ठंडे पानी की कोई व्यवस्था नही है आग उगलती गर्म से निजात पाने के लिए लोग खरीदकर पानी पीने को मजबूर है जिनके पास पैसे नही होते है वो बेचारे घण्टो हैंड पम्प की तलाश में भटकते रहते है
यही हाल सीसामऊ स्थित चौराहों का भी है विधायक से लेकर पार्षद तक अपनी राजनीति चमकाते नजर आ जाएंगे लेकिन जनता को भीषण गर्मी में पेयजल की समस्या से निजात दिलाता कोई भी नजर नही आता है हलीम कालेज चमन गंज बेकन गंज से लेकर परेड तक एक भी पौशाला नही है और नाहि कोई हैंड पम्प ऐसा दिखाई देता है जो चलने की हालत में हो जिससे राहगीरों को पेयजल से राहत मिल सके लगभग यही दशा पूरे शहर की हो रही है गर्मी के चलते इंसानों से ज्यादा दुर्दशा जानवरो की हो रही है भीषण गर्मी से बौखलाए जानवर आस पास के घरों व दुकानों में घुसकर पानी की तलाश कर रहे है कुछ सभ्य लोग जानवरो पिला देते है लेकिन कुछ लोग धकियाकर भगा देते है कुछ जानवर पानी कमी के कारण मौत के निवाले भी बन चुके है ऐसी विकट परिस्थिति में क्यो कोई सामाजिक संगठन व पार्टी सामने नही आती है बहरहाल मामला कुछ भी हो अगर जल्द ही भीषण गर्मी की मार झेल रहे लोगो को राहत देने के लिए शासन प्रशासन ने पौशालो से वंचित रहे चौराहों पर पेयजल की कोई पुख्ता व्यवस्था ना की तो हजारो लोगो को रोज़ाना प्यासे ही चिलचिलाती धूप में जलना पड़ेगा इसका कौन जिम्मेदार होगा ये बताने की जरूरत नही है
डाक घर मे अनियमिताओ का बोल बाला
*#जनता त्रस्त अधिकारी मस्त*
अनीस/अकबर
कानपुर:डाक घरो मे उपभोक्ता को लगातार परेशान होना पड़ रहा है कर्मचारी एक तो सुस्त रफ़्तार से काम करते है विरोध करने पर अभद्रता करने लगते है इसको लेकर कई बार हंगामा भी हो चूका है अधिकारियो से शिकायत करने पर वह भी सुनवाई नही करते है ।शहर के प्रधान डाक घर के सहित उप डाक घर फर्राश खाना वा अन्य डाक घरो मे उपभोक्ताओ के साथ दुरवयवहार किया जा रहा है काफी लंबे समय तक लाईन मे लगने के बाद नंबर आने पर जबरन कमिया निकाली जाती है और उनको बैरंग लोटा दिया जाता है। पोस्टल आर्डर लेने पर उनसे फुटकर पैसे माँगे जाते है फुटकर ना होने पर पूरे पैसे रख लिए जाते है जरूरतमंद उपभोक्ताओ को मजबूरी मे अतिरिक्त पैसे देकर पोस्टल आर्डर लेना पड़ता है । जो उपभोक्ता विरोध करते है उनको पोस्टल ऑर्डर देने से इनकार कर दिया जाता है इसी तरह अन्य कामो मे भी कर्मचारी अपनी मनमानी करते है निर्धारित समय पर कर्मचारी डाक घर काउंटर पर आते ही नही है सबसे ज़्यादा परेशानी तब होती है जब किसी प्रतियोगिता परीक्षा का फॉर्म जमा करना होता है इस दौरान लंबी लाईने लगी होती है और कर्मचारी धीमी गति से कार्य करते है सिर्फ डाक घर कि ही बात नही कई अन्य सरकारी विभाग मे कर्मचारी कि मनमानी और सुस्त रफ़्तारो से मिनटो काम घंटो मे हो रहा है इन कार्यालयो मे डिजिटल इंडिया कार्यो मे पलीता लगाना नहीं छोड़ा जा रहा है ।