शावेज़ आलम

कानपुर । अपने घर से भटक कर ट्रेन द्वारा कानपुर आई मुंह से विकलांग महिला जो न सुन पा रही न बोल पा रहीं थी ऐसी महिला को काफ़ी प्रयास और मेहनत कर के उसके परिजनों से मिलवाया सुतर खाना चौकी प्रभारी #प्रमोद कुमार कश्यप# ने जिसकी हर तरफ़ हो रहीं तारीफ़
सोहनलाल द्विवेदी जी द्वारा लिखी गई कविता की चन्द पंक्तियां हरबंस मोहाल पुलिस की कार्यसहली पर बिल्कुल सटीक बैठ रहीं l
क्या है पूरा मामला आपको बता दें कि कल थाना हरबंस मोहाल पर सुतर खाना के आटो ड्राइवरो द्वारा एक 26 वर्ष की महिला को पहुंचाया गया जो मुंह से विकलांग थी न बोल पा रहीं और न कुछ सुन पा रहीं थी पूछने पर ऑटो ड्राइवरों ने बताया कि ये महिला हम लोगो को स्टेशन के बाहर सुतर खाने चौराहे पर रोते हुए मिली थीं हम लोगो ने इंसानियत का फर्ज निभाते हुए इस महिला को थाने पहुंचा दिया हैं
अब महिला के थाने पहुंचने के बाद हरबंस मोहाल पुलिस ने महिला को अपने सुपुर्दगी में ले लिया और महिला के परिजनों तक पहुंचने की हर मुमकिन कोसिस करने में जुट गई महिला न बोल पा रहीं थी न सुन पा रहीं थी इस लिए महिला के परिजनों का पता लगाना बहुत मुस्किल हो रहा हैं परन्तु महिला एक नम्बर मोबाइल देने पर डायल कर रही थी जिसके अखरी के दो अंक बार बार बदल रहीं थी कभी कुछ डायल कर दे कभी कुछ शायद आखरी के दो अंक उसे ठीक से याद नहीं थे लेकिन हरबंस मोहाल के सुतर खाना चौकी प्रभारी #प्रमोद कुमार कश्यप# ने हार नहीं मानी और आखरी के अंक बदल बदल कर लगातार महिला के परिजनों से बात करने की कोसिस की कई घंटों की मेहनत के बाद कुछ सफ़लता हाथ लगी जो नम्बर महिला डायल कर रही वो दिल्ली का निकला जहां महिला अपने भाई भाभी के साथ कुछ महीने किराए पर रही थीं और अब वहा से जा चुकी कहा गई ये उस व्यक्ति को नहीं पता फिर प्रमोद कुमार चौकी प्रभारी ने सर्विलांस सेल की मदद से उस नम्बर की डिटेल निकलवा कर फिर से सारे नम्बर डायल करना चालू किया तो उसमे इस महिला के चचेरे भाई का नम्बर मिला जिससे बात करने पर पता चला कि ये महिला बुलन्द शहर के औरंगा बाद की रहने वाली है और बुलन्द सहर में ही इसकी ससुराल है और थाना शिकारपुर अंतर्गत मिलक गांव में ननिहाल है, सारी जानकारी मिलने के बाद चौकी प्रभारी प्रमोद कुमार कश्यप ने परिजनों को बुलन्द शहर से कानपुर थाना हरबंस मोहाल बुला कर सकुशल महिला को सुपुर्द कर दियाl इस सराहनीय कार्य में प्रमोद कुमार कश्यप के साथ एसआई अंकित त्यागी, एसआई अजय शर्मा कास्टेबल सुरेश ने भी भरपूर मेहनत की जिसकी पूरी क्षेत्र में चर्चा व तारीफ़ हो रहीं हैं
इसी लिया ये पंक्ति सही बैठ रही👇👇👇👇
लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती