कानपुर । मलिन बस्ती विकास मंच के अध्यक्ष प्रदीप यादव के नेतृत्व में केडीए उपाध्यक्ष को ज्ञापन सौंपा कर कहा कि कानपुर विकास प्राधिकरण कानपुर द्वारा वर्ष 1981 से 1984 मलिन बस्ती अधिनियम 1962 के प्रावधानों के तहत 105 बस्तियों को घोषित कर अधिग्रहण किए जाने की कार्रवाई पूर्ण की जा सकती है 1985 मैं विश्व बैंक का हवाला देकर कार्यवाही रोक दी गई और मालिकाना हक गरीबों को नहीं मिल सका लम्बे संघर्ष के बाद वर्ष 2018 में मलिन बस्ती विकास मंच के प्रयासों से शासन ने पुणे कानपुर विकास प्राधिकरण में सक्षम प्राधिकारी की नियुक्ति के आदेश कर दिए गए । उसके बाद भी मलिन बस्ती विभाग की ओर से कोई कार्य नहीं हो रहा है अंखियों के लोग अपने मौलिक अधिकार मालिकाना हक से वंचित है काफी लंबे समय से मालिकाना हक की कार्रवाई लम्बित देख शहर के ताकतवर भू माफियाओं द्वारा मलिन बस्ती की भूमि और भंवनो पर कब्जा कर बड़े-बड़े कॉमशियल अपर्टमेटो का निर्माण भी बिना नक्शे के करा दिया है । उदाहरण स्वरूप मलिन बस्ती नूर मोहम्मद का हाता,जरीब चौकी गुलाम अली का हाता,मुस्ताक एंड संस का हाता लाटूश रोड, शिवनारायण का हाता दर्शन पुरवा,अनेक मलिन बस्तियों में भू माफियाओं द्वारा कब्जे करके खरीद बेच कर रहे हैं भूमि भू माफियाओं के कब्जे को चिन्हित करके मुक्त कराए जाने हेतु पूर्व की भांति बैठक ली जाए बस्तियों में सर्वे व नामांतरण के साथ ही डाउन पेमेंट जमा कराने की कृपा की सुनिश्चित की जाए 105 बस्तियों में भी क्रय विक्रय की तत्काल प्रभाव से रोक लगाने की मांग की है । ज्ञापन के दौरान शाकिर अली उस्मानी गया प्रसाद वर्मा महेंद्र भाटिया चंद्रबल आदि लौग रहे ।
वीरेन्द्र कुमार द्वारा दिव्यांगजन अधिनियम 2016 के अनुपालन व प्रचार प्रसार करने की मांग रंग लाई,हुआ आदेश
कानपुर । राष्ट्रीय विकलांग पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव वीरेन्द्र कुमार ने जिला दिव्यांग बन्धु कमेटी में दिव्यांगजन अधिनियम 2016 के अनुपालन व प्रचार प्रसार करने की मांग की थी ।जिलाधिकारी ने वरिष्ठ पुलिस अधिक्षक व सभी विभागाध्यक्षो को अधिनियम के अनुपालन के लिये कार्यवाही का आदेश दिया है । वीरेन्द्र कुमार ने कहा की दिव्यांगजन अधिनियम 2016 का अनुपालन न होने से विकलांग व्यक्तियों को न्याय नहीं मिल पा रहा था ।
इस अधिनियम के तहत चार वर्षों में एक भी विकलांग व्यक्ति की रिपोर्ट दर्ज नहीं हो सकी । पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों को इसकी जानकारी नही है । वीरेन्द्र कुमार ने मांग किया की दिव्यांगजन अधिनियम 2016 का बोर्ड सभी सार्वजनिक स्थानों,चौकी थानो से लेकर सीओ,एसपी, एसएसपी कार्ययालयो में लगाया जाना चाहिए । जिससे आम जनता को इसकी जानकारी हो और पुलिस भी इस अधिनियम के तहत कार्यवाही कर विकलांग व्यक्तियों को न्याय दिला सके ।
बिल्हौर घाटमपुर के न्यायिक क्षेत्राधिकार को वापस नगर में जोडे जाने के गजट के शीघ्र क्रियान्वयन की उम्मीद
कानपुर । बिल्हौर घाटमपुर न्यायिक क्षेत्राधिकार वापस लाओ संघर्ष समिति की मीटिंग न्यायिक क्षेत्राधिकार को नगर में जोड़े जाने के जारी हुए गजट के क्रियान्वयन के संबंध में हुई ।जिसमें बोलते हुए पंडित रवीन्द शर्मा ने बताया की वर्ष 2013 से लगातार 6 वर्षों तक चले हमारे संघर्ष को जनहित में पाते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अनुशंसा पर महामहिम राज्यपाल जी द्वारा 14 जून 2019 को जारी राजपत्र( गजट )के द्वारा बिल्हौर घाटमपुर के न्यायिक क्षेत्राधिकार को वापस कानपुर नगर में जोड़ दिया गया था किंतु गजट का कियान्वन ना होने से दोनों तहसीलों के वादकारियों और अधिवक्ताओं को प्रतिदिन 220 से 240 किलोमीटर की कई वाहन बदलकर दुरु यात्रा करनी पड़ रही ।
गजट के शीघ्र क्रियान्वयन हेतु संघर्ष समिति द्वारा 27- 08 -2019 को हस्ताक्षर अभियान 27-10-19 को भूख हड़ताल 24-02- 20 को द्वारा जिलाधिकारी 28- ,06-20 को द्वारा ईमेल 10-08-20 को द्वारा जिलाधिकारी मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश को ज्ञापन भेजें किंतु फिर भी गजट का क्रियान्वन ना होने पर दिनांक 18 -08-2020 को संघर्ष समिति ने विधायक अमिताभ बाजपेई को जारी गजट के क्रियान्वयन कराने हेतु ज्ञापन दिया था जिस पर अमिताभ बाजपेई द्वारा जारी गजट के क्रियान्वयन हेतु 22-08 -2020 को नियम 301 के अंतर्गत विधानसभा अध्यक्ष को पत्र दे प्रश्न पूछा गया विधायक बाजपेई द्वारा मामला विधानसभा के अध्यक्ष के सामने रखे जाने से दोनों तहसीलों के क्षेत्राधिकार को वापस कानपुर नगर में जोड़े जाने हेतु जारी राजपत्र (गजट) कैसी क्रियान्वयन की उम्मीद है इसके लिए हमारी समिति विधायक अमिताभ बाजपेई को बधाई देती है और उनके प्रति आभार व्यक्त करती है अविनाश बाजपेईपूर्व अध्यक्ष पूर्व अध्यक्ष लायर्स एसोसिएशन ने कहा कि दोनों तहसीलों का कार्य वापस कानपुर नगर में शुरू होते ही निरंतर 7 वर्षों तक चले संघर्ष में सहयोग करने वाले सभी महानुभावों का संघर्ष समिति सार्वजनिक अभिनंदन करेगी ।
प्रमुख रूप से पं रवीन्द शर्मा राकेश तिवारी पूर्व महामंत्री लायर्स मो कादिर खां,विनय मिश्रा,शशिकांत पांडे,मनोज द्विवेदी,तीनों पूर्व उपाध्यक्ष एस के सचान मो तौहीद अनूप सचान,सुधीर बाजपेई,अनूप शुक्ला,प्रणवीर सिंह,मोहित शुक्ला,शिखर चंद्रा,शिवम अरोड़ा,विजय कुमार आदि रहे ।
आई.जी रेंज ने साइबर थाने का किया उदघाटन,आईटी एक्ट मामलों की होगी मॉनिटेरिंग
कानपुर । शहर में साइबर थाना बनकर तैयार हो गया है । जिस का उदघाटन आज आई.जी. रेंज मोहित अग्रवाल ने किया । इस थाने में पुलिस अफसरों को चार्ज भी मिल गया है । आज 23 जून से ही थाने में कार्यवाही शुरू होगी । थाने में रेंज के छह जिलों के मामले दर्ज किये जाएंगे । लखनऊ और गौतमबुद्धनगर के बाद प्रदेश का ये तीसरा साइबर थाना है । प्रदेश सरकार की योजना प्रदेश में हर रेंज स्तर पर एक साइबर थाना बनाने की है ।
आईजी रेंज मोहित अग्रवाल एसपी ने बताया कि ट्रैफिक लाइन में साइबर थाना बनाया गया है। थाने के प्रभारी इंस्पेक्टर जगदीश यादव हैं। एक अन्य इंस्पेक्टर जगदीश चंद्र यादव की भी तैनाती की गई है। दरोगा ज्ञानेंद्र कुमार व आशुतोष के साथ एक अन्य दरोगा को भी चार्ज दिया गया है। सीओ नजीराबाद गीतांजलि सिंह को थाने का पर्यवेक्षक बनाया गया है इस थाने में आठ महिला व आठ पुरुष सिपाहियों को तैनात किया गया है। थाने में कानपुर नगर, कानपुर देहात, औरैया, कन्नौज, फर्रुखाबाद और इटावा जिले के आईटी एक्ट तहत मामले दर्ज किये जाएंगे। दर्ज केसों का ब्योरा रीजनल साइबर क्राइम को ऑर्डिनेशन सेंटर लखनऊ और इंडिया साइबर क्राइम कोऑर्डिनेशन सेंटर दिल्ली जो गृह मंत्रालय के अधीन है,उसको भेजा जाएगा। वहीं से इन सभी मामलों की मॉनिटेरिंग होगी ।
कोरोना से मरने वाले मुसलमान की तज़हीज़,तकफीन और तदफीन अहले इस्लाम पर लाज़मी-मौलाना उसामा
कानपुर । मुसलमानों का शरई तौर पर फर्ज़ बनता है कि व मय्यत(मृत शरीर) की तजहीज़ व तकफीन के लिये अपनी काशिश करें और इसमें हरगिज़ कोताही ना करें वरना सख्त गुनाहगार होंगे
कोरोना संक्रमण से मरने वाले मुस्लिम मृतकों की तज़हीज़ व तकफीन(कफन-दफन,अन्तिम क्रियाक्रम) को लेकर हो रही दुश्वारियों के मद्देनज़र जमीअत उलमा उत्तर प्रदेश के अध्य़क्ष और कानपुर के शहर क़ाज़ी मौलाना मुहम्मद मतीनुल हक़ उसामा क़ासमी ने अपने बयान में कहा कि एक मुसलमान के इंतेक़ाल के बाद उसका शरीर वैसे ही क़ाबिले एहतराम है जैसा कि उसकी ज़िन्दगी़ में इसी लिये उसकी तज़हीज़,तकफीन और तदफीन मुसलमानों पर लाज़मी है, अगर कोई भी इस काम को अंजाम ना दे तो पूरा समाज विशेषकर पूरे मुहल्ले के लोग गुनाहगार होते हैं । मौलाना उसामा ने सरकार और स्वास्थ्य विभाग से मांग की कि पूरी तरह से सुरक्षात्मक उपायों को अपनाते हुये स्थानीय उलमा की मदद से ऐसी मय्यत(मृत शरीर) की शरई तौर पर तज़हीज़ व तकफीन(कफन-दफन,अन्तिम क्रियाक्रम) किया जाये।
मौलाना उसामा ने मुसलमानों का ध्यानाकर्षित करते हुए कहा कि अगर किसी व्यक्ति की कोरोना की वजह से मौत हो जाती है और स्वास्थ्य विभाग के लोग गुस्ल(स्नान) वग़ैरह की अनुमति ना दें तो अस्पताल वाले लाश को जिस लिफाफे में पैक करके दें उसी को कफन के समान समझा जाये और उसको ऊपर से तयम्मुम कराकर नमाज़े जनाज़ा अदा की जाये और दफन की जाये। मुसलमानों का शरई तौर पर यह फर्ज़ बनता है कि वह मय्यत(मृत शरीर) का अपनी कोशिश भर जो सम्मान कर सकते हैं करें और इसमें हरगिज़ लापरवाही ना करें, वरना सख्त गुनाहगार होंगे। लेकिन बहुत अफसोस और सोचने की बात है पिछले कुछ दिनों में कई स्थानों से ऐसी खबरें आईं कि उपरोक्त संक्रामक रोग से ग्रसित मुसलमान की मय्यत(मृत शरीर) को तज़हीज़ व तकफीन(कफन-दफन, अन्तिम क्रियाक्रम) और मुस्लिम क़ब्रिस्तान में दफन करने में भी रूकावट डाली गईं, यहां तक कि आस-पास के मुसलमानों की तरफ से भी इस पर ऐतराज़ किया गया जो कि बेहद अफसोसनाक है। मुसलमानों पर लाज़िम है कि मय्यत(मृत शरीर) को पूरे सम्मान के साथ गुस्ल(स्नान) अगर मुमकिन हो तो गुस्ल देकर वरना तयम्मुम कराके नमाज़े जनाज़ा पढ़कर दफन करें।
मौलाना उसामा बतलाया कि जमीअत उलमा हिन्द के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना क़ारी सैयद मुहम्मद उस्मान मंसूरपूरी और मौलाना महमूद मदनी ने हुकूमत और स्वास्थ्य विभाग से मांग की है कि समस्त सुरक्षात्मक उपायों को अपनाते हुये स्थानीय उलमा की मदद से ऐसी मय्यत(मृत शरीर) की शरई तज़हीज़, तकफीन व तदफीन की इजाज़त की जाये और सारे मुसलमानों विशेषकर कब्रिस्तान की प्रबंध कमेटियों से अपील करते है कि ऐसी मौतों की तदफीन (कफन-दफन) में हरगिज़ रुकावट न डालें और मुसलमान भाई के इस हक को फरामोश न करें। अल्लाह ताला पूरी मानवता को इस महामारी से सुरक्षा प्रदान करे और राहत अता फरमाए। (आमीन)
न्यायालय प्रवेश में सी०ओ०पी०कार्ड मान्य करने की मांग
हफ़ीज़ अहमद खान
कानपुर । अधिवक्ता कल्याण संघर्ष समिति की बैठक दि लायर्स एसोसिएशन में आज प्रदेश भर की हड़ताल और हाथों में लाल पट्टी बांधकर अधिवक्ताओं द्वारा किए जा रहे विरोध प्रदर्शन के संबंध में हुई जिस में बोलते हुए संयोजक पं० रवीन्द्र शर्मा ने बताया कि सर्वोच्च न्यायालय के दिशा निर्देश पर पूरे देश में अधिवक्ताओं का सीओपी0कार्ड बना था किन्तु जिला न्यायालयों में सुरक्षा के नाम पर अलग से कार्ड बनाया जाना अनुचित है । सी0ओ0पी0कार्ड को ही मान्यता दी जानी चाहिए उसके लिए और अधिवक्ता सामूहिक बीमा योजना का प्रतिवर्ष मिलने वाला 40 करोड़ समय से जारी न करने से 500 से अधिक दिवंगत अधिवक्ताओं के परिजनों को मिलने वाली हितलाभ धनराशि प्राप्त नहीं हो पा रही है । प्रदेश सरकार ने सामूहिक बीमा योजना की उम्र 60 से 70 वर्ष कर दी किंतु उसके अनुपात में धन जारी न करने से दिवंगत अधिवक्ताओं के परिजनों को समय से हित लाभ प्राप्त नहीं हो पा रहे हैं सरकार तत्काल सामूहिक बीमा योजना का धन 80 करोड़ जारी करें और जिला न्यायालयों में प्रवेश हेतु सी0ओ0पी0 कार्ड को मान्यता प्रदान हो । इसके लिए हम कानपुर के अधिवक्ताओ ने लाल पट्टी बांधकर विरोध प्रदर्शन किया । प्रमुख रूप से एस० के० सचान ,बनवारी लाल पाल,विनय मिश्रा,मनोज द्विवेदी,राकेश तिवारी,अनूप सचान,सुरेश सचान,मो० कादिर खा,एस०टी ०हुसैन,मो० इमरान,यशू शुक्ला,हरि शुक्ला,सुधीर बाजपेई ,फिरोज आलम आदि रहे।
अभिनेत्री स्वरा भास्कर के खिलाफ कानपुर न्यायालय में राजद्रोह का परिवाद दाखिल
कानपुर । फिल्म अभिनेत्री स्वरा भास्कर के खिलाफ आज कानपुर न्यायालय के सीएमएम-7 की कोर्ट में राजद्रोह का परिवाद दाखिल किया है।
तुषार कुमार की ओर से दाखिल की गई याचिका में स्वरा भास्कर पर समाज में विद्वेष फैलाने , जाति धर्म और समुदायों को बाटने के साथ ही अविश्वास पैदा करने का आरोप लगाया गया । अधिवक्ता विजय बक्खी एडवोकेट के मुताबिक स्वरा भास्कर फिल्म अभिनेत्री होने के साथ ही प्रसिद्ध हस्ती हैं लेकिन अपने कथनों , भाषणों और ट्वीट के द्वारा समय-समय पर भारत सरकार , उच्चतम न्यायालय सुरक्षा एजेंसियों के विरुद्ध समाज में जाति , धर्म समुदायों और समूहों में भेदभाव पैदा करने का काम कर रही हैं । इससे देश की छवि तो खराब होती है साथ ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आर्थिक तौर पर भी नुकसान करने का प्रयास इन की ओर से किया जाता है ।
विजय बख्शी ने यूट्यूब पर अपलोड विडियोज को अधार बनाया है। वह कहते हैं, ‘स्वरा भास्कर के खिलाफ आईपीसी की धारा 124 ए, 153 ए, 153 बी और 505 (2) के तहत परिवाद दाखिल किया। कोर्ट ने इस मामले में मुकदमा दर्ज करते हुए मेरे बयान के लिए 20 मार्च की तारीख तय कर दी है।’
एससी ने पूछा- रमजान में सुबह बजे वोटिंग करवाई जा सकती है
लोकसभा चुनाव के अगले तीन चरण के मतदान को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को बड़ा निर्देश दिया है। कोर्ट ने चुनाव आयोग से कहा है कि वह मतदान के समय में परिवर्तन को लेकर दायर याचिकाओं पर फैसला करे। जिससे कि लोगों को किसी भी तरह की दिक्कत का सामना नहीं करना पड़े।
सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से पूछा है कि क्या बाकी के तीन चरण में रमजान के समय मतदान सुबह 7 बजे की बजाए 5 बजे कराया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से कहा है कि वह मतदान के समय में परिवर्तन को लेकर याचिकाओं पर सुनवाई करे, जिससे कि लोगों को राजस्थान सहित अन्य जगहों पर भीषण गर्मी और रमजान के दौरान मतदान करने में दिक्कत का सामना नहीं करना पड़े।
गौर करने वाली बात है कि रमजान के महीने में चुनाव की तारीखें पड़ने की वजह से कई वर्ग के लोगों ने इसपर आपत्ति जताई थी, जिसको लेकर चुनाव आयोग में अपील की गई थी। जिसपर सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को निर्देश दिया है कि वह इन याचिकाओं पर सुनवाई करे।
बता दें कि लोकसभा चुनाव के कुल चार चरण समाप्त हो चुके हैं, अब सिर्फ तीन चरण के मतदान शेष हैं। पांचवे चरण का मतदान 6 मई, छठे चरण का मतदान 12 मई और सातवें व आखिरी चरण का मततदान 19 मई को संपन्न होगा। वहीं चुनाव के नतीजे 23 मई को घोषित किए जाएंगे।
TikTok को झटका, सरकार ने गूगल और ऐपल से ऐप डिलीट करने को कहा
बेंगलुरु । केंद्र सरकार ने गूगल और ऐपल से कहा है कि वे अपने ऐप स्टोर्स से पॉप्युलर चाइनीज शॉर्ट-विडियो मोबाइल ऐप्लीकेशन TikTok को हटा लें। यह जानकारी इस मामले से जुड़े दो लोगों ने दी है। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को मद्रास हाई कोर्ट की तरफ से इस ऐप पर लगाई गई पाबंदी पर स्टे देने से इनकार कर दिया था और इसके बाद मिनिस्ट्री ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स ऐंड इंफॉर्मेशन टेक्नॉलजी (Meity) ने यह कदम उठाया है।
ऐप के और डाउनलोड्स को रोकने में मिलेगी मदद
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अगुवाई वाली बेंच ने इस मामले की सुनवाई की अगली तारीख 22 अप्रैल रखी है, क्योंकि मद्रास हाई कोर्ट 16 अप्रैल को इस मामले की सुनवाई कर सकता है। घटनाक्रम की जानकारी रखने वाले दोनों लोगों ने बताया कि मिनिस्ट्री ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स ऐंड इंफॉर्मेशन टेक्नॉलजी का ऑर्डर इस ऐप के और डाउनलोड्स को रोकने में मदद करेगा। लेकिन, जिन लोगों ने पहले ही TikTok ऐप को डाउनलोड कर रखा है, वह अपने स्मार्टफोन पर इसका इस्तेमाल कर पाएंगे।
एक व्यक्ति ने बताया, ‘हाई कोर्ट ने सरकार से TikTok ऐप्लीकेशन के डाउनलोड्स को रोकने के लिए कहा है। मिनिस्ट्री, Google और Apple को अपने ऐप स्टोर से ऐप को डिलीट करने को कहकर इसे सुनिश्चित कर रहा है। अब यह कंपनियों पर है कि वह ऐसा करें या ऑर्डर के खिलाफ अपील करें।’ मद्रास हाई कोर्ट की मदुरै बेंच ने 3 अप्रैल को एक ऑर्डर पास करके सरकार को निर्देश दिया था कि TikTok ऐप के डाउनलोड्स को रोका जाए। कोर्ट ने कहा था कि यह चाइनीज ऐप बच्चों के लिए खतरनाक है।
मार्केट एनालिसिस फर्म सेंसर टॉवर के मुताबिक, पहली तिमाही में App Store और गूगल प्ले स्टोर में TikTok दुनिया भर में तीसरा सबसे ज्यादा इंस्टॉल किया जाने वाला ऐप रहा। पिछली तिमाही में भी इसकी रैंकिंग इतनी ही थी। TikTok ने मार्च तिमाही में 18.8 करोड़ नए यूजर जोड़े, जिसमें भारत की हिस्सेदारी 8.86 करोड़ यूजर्स की रही। पिछले साल के डेटा के मुताबिक, ऐप के 50 करोड़ यूजर बेस में भारत की हिस्सेदारी 39 फीसदी से ज्यादा है।
राफेल सौदा मामले में सुप्रीम कोर्ट में सभी याचिकाएं खारिज
राफेल सौदा मामले में सुप्रीम कोर्ट में सभी याचिकाएं खारिज, कहा किसी जांच की जरूरत नहीं
राफेल सौदे की जांच कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट तैयार नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को राफेल सौदे की जांच की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में साफ तौर पर कहा है कि वह राफेल सौदे से जुड़ी किसी भी जांच के लिए तैयार नहीं है। सीजेआई रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति केएम जोसेफ की पीठ ने इस मामले में दायर याचिकाओं पर 14 नवंबर को सुनवाई पूरी की थी।
इस सौदे में कथित अनियमितताओं का आरोप लगाते हुये सबसे पहले वकील मनोहर लाल शर्मा ने जनहित याचिका दायर की थी। इसके बाद, एक और वकील विनीत ढांडा ने याचिका दायर कर सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में इस सौदे की जांच कराने का अनुरोध किया था। इस सौदे को लेकर आप पार्टी के सांसद संजय सिंह ने भी याचाकि दायर की थी। इसके बाद बीजेपी के दो पूर्व मंत्री यशवंत सिन्हा और अरूण शौरी के साथ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने एक अलग याचिका दायर की थी।
राफेल कई भूमिकाएं निभाने वाला और दोहरे इंजन से लैस फ्रांसीसी लड़ाकू विमान है और इसका निर्माण डसॉल्ट एविएशन ने किया है। राफेल विमानों को वैश्विक स्तर पर सर्वाधिक सक्षम लड़ाकू विमान माना जाता है। फ्रांस की अपनी यात्रा के दौरान, 10 अप्रैल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घोषणा की कि सरकारों के स्तर पर समझौते के तहत भारत सरकार 36 राफेल विमान खरीदेगी।
घोषणा के बाद, विपक्ष ने सवाल उठाया कि प्रधानमंत्री ने सुरक्षा मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति की मंजूरी के बिना कैसे इस सौदे को अंतिम रूप दिया। मोदी और तत्कालीन फ्रांसीसी राष्ट्रपति फ्रांसवा ओलोंद के बीच वार्ता के बाद 10 अप्रैल, 2015 को जारी एक संयुक्त बयान में कहा गया कि वे 36 राफेल जेटों की आपूर्ति के लिए एक अंतर सरकारी समझौता करने पर सहमत हुए।