दानिश खान
कानपुर । वर्ष पूरा होने के पहले जो इनकम टैक्स हम जमा करते हैं, उसे एडवांस टैक्स कहा जाता है।अग्रिम कर यानि एडवांस टैक्स की देनदारी नौकरीपेशा , प्रोफेशनल्स, बिजनेसमैन पर भी बनती है। टैक्स देनदारी 10 हजार रुपए से ज्यादा हो जाए तब एडवांस टैक्स की देनदारी का प्रावधान है। वित्त वर्ष में होने वाली आमदनी का पहले ही अनुमान लगाना होता है और उसी आमदनी के हिसाब से टैक्स जमा करना होता है।अब हमे एडवांस को चार क़िस्त में बाटना होगा और देनदारी का 15 प्रतिशत रकम पहली क़िस्त के तौर पर 15 जून तक जमा करना होता हैं इसके बाद दूसरी क़िस्त 15 सितंबर तक 45 प्रतिशत होनी चाहिए इसके बाद तीसरी क़िस्त 15 दिसंबर तक कुल एडवांस टैक्स का 75 प्रतिशत तक जमा हो जाना चाहिए। इसके बाद आखिरी क़िस्त 15 मार्च तक 100 प्रतिशत एडवांस टैक्स जमा हो जाना चाहिए। आप को अपने एडवांस इनकम टैक्स की तीसरी क़िस्त 15 दिसम्बर तक जमा कर देनी चाहिए। जो टैक्सपेयर्स एडवांस टैक्स के दायरे में आते हैं। उन्हें 15 दिसम्बर तक टैक्स इसलिए भी जमा कर देंना चाहिए जिससे टैक्स लायबिलिटी पर कोई ब्याज न बने असल में एडवांस टैक्स को एडवांस टैक्स कहने का कारण ये हैं कि इसे पुरे वर्ष की आमदनी का आकलन होने के पहले ही एडवांस में जमा करना होता है और टैक्स आपको अनुमान लगाकर पहले ही चुकता करना होता है। चार क़िस्त में एडवांस टैक्स इसलिए लिया जाता हैं ताकिे सरकार को खर्चों के लिए लगातार कुछ रकम उपलब्ध होती रहे। इससे करदाताओं पर भी एक साथ टैक्स भुगतान करने का बोझ नहीं पड़ता और सरकार को भी आसानी हो जाती हैं। आप को ये ज़रूर देखना होगा कि अगर आपकी सालाना आमदनी पर टैक्स देनदारी 10000 रुपए से अधिक बनती है तो फिर आपको एडवांस टैक्स जमा करना अनिवार्य हैऔर आपको इसका भुगतान उसी वित्त वर्ष के अंदर करना होगा। इसलिए आज ही अपने टैक्स कंसल्टेंट से मिले और अपनी आमदनी अनुमान लगाये और 15 दिसम्बर तक तीसरी क़िस्त जमा कर दे। टैक्स कंसल्टेंट से अवश्य सलाह ले ताकि आप को किसी तरह का नुकसान न हो। आयकर हमारी आमदनी पर लगने वाला टैक्स है। हर साल हमें अपनी आमदनी में से एक निर्धारित हिस्सा केंद्र सरकार को देना पड़ता है।इसके लिए शर्त यह है कि आपकी आमदनी टैक्स छूट की सीमा से अधिक हो , इनकम टैक्स अलग-अलग आमदनी वाले व्यक्तियो पर अलग-अलग तरीके से लगाया जाता है। असल में कोई भी सरकार अपने अधिकार क्षेत्र में रहने वाले लोगों और संस्थानों को जो नागरिक सेवा उपलब्ध कराती है। उन पर उसे काफी रकम खर्च करना पड़ता है। इसमें सड़क, बिजली-पानी से लेकर सुरक्षा और प्रशासन पर आने वाले खर्च शामिल हैं।
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