शावेज़ आलम
बुलंदशहर :आलमी तब्लीगी इज्तिमा में सादगी के साथ करीब 2500 जोड़ों निकाह पढ़ाया गया। खासबात यह है कि निकाह बिना दहेज और जश्न किए पढ़ाए गए। आमतौर पर सामान्य दिनों में जो शादियां होती हैं उनमें वालिद अपनी बेटी को हैसियत से भी अधिक दहेज देता है। देहज की कीमत लाखों और कभी कभी करोड़ रूपये से भी ऊपर पहुंच जाती है
तब्लीगी इज्तमा में रविवार को ऐसा नहीं हुआ। करीब 2500 जोड़ों का निकाह बेहद सादगी के साथ पढ़ाया गया। इन निकाहों में दानदेहज का लेन देन और जश्न जैसा कुछ नहीं दिखा। बता दें कि निकाह के लिए इज्तमा स्थल पर दुल्हों का पहुंचना सुबह से ही शुरू हो गया था। निकाह की मुकम्मल जानकारी नहीं मिल सकी लेकिन मोटा मोटी इंतजामिया कमेटी का यही कहना है कि करीब 2500 जोड़ों का निकाह सादगी के साथ पढ़ाया गया।
इंटरनेशल तब्लीगी इज्तिमा में देश की अम्न और शाँति के लिये लाखों मुसलमानों ने माँगी दुआएँ,सोमवार को लगभग 11:30 पर दुआ शुरू हुई,दुआ में भाग लेने के लिये बहुत अधिक संख्या में भीड़ सड़कों पर देखने को मिली,क्योंकि जो पहले दो दिन में शरीक नही होसके दुआ में शरीक होने पहुँचे थे
सड़कों पर टोपी वालो का हुजूम देखने को मिल रहा था ,हर तरफ टोपी ही टोपी वालो का नूरानी नज़ारा देखकर सऊदी अरब में होने वाले हज की झलक देखने को मिल रही थी इज्तिमा में आने वाली भीड़ का सही अंदाज़ा लगाना मुश्किल है,लेकिन जो इन्तिज़ामत किये गए थे वो सब नाकाफी साबित हुए हैं,कई किलोमीटर तक टेंट लगे हुए थे फिर भी लोग खुले आसमान के नीचे रात गुजार रहे थे
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