◆ चुपके चोरी जीजा के पिता का बैंक अकाउंट स्टेटमेंट निकाल कर दीदी को सौंपा
◆ गैस चूल्हा कारोबारी के साथ 4 साल पहले हुआ था दांव
कानपुर । दीदी जीजा के बीच चल रहे गुजारा भत्ता परिवारिक कलह व घरेलू हिंसा के मुकदमे को बल प्रदान करने की खातिर एसबीआई कर्मी साले ने अपने जीजा के पिता के साथ फ्रॉड कर दिया । चुपके चोरी जीजा के पिता के एसबीआई की पीपीएन मार्केट शाखा में संचालित करंट अकाउंट का स्टेटमेंट निकाल कर दीदी को सौंप दिया।अदालत में स्टेटमेंट पेश किए जाने के बाद छाते की गोपनीयता भंग होने का खुलासा हुआ । तत्पश्चात खाताधारक की तहरीर पर कर्नलगंज पुलिस ने आईपीसी की धारा 109 तथा सूचना प्रौद्योगिकी (संशोधन) अधिनियम 2008 की धारा 72 के तहत लगभग 2 वर्ष पूर्व रिपोर्ट दर्ज की।जिसमें भाई बहन के साथ शाखा प्रबंधक व बैंक कर्मी सुनील कुमार को नामजद किया गया । इस प्रकरण में भाई बहन के खिलाफ न्यायालय में आरोप पत्र प्रस्तुत किए जा चुके हैं । साले के विरुद्ध वारंट भी है । इधर खाताधारक अपने साथ लगभग 4 वर्ष पूर्व हुए खेल में रिलीज पाने तथा पुत्र के दोषी बैंक कर्मी साले के खिलाफ विभागीय कार्रवाई के लिए शाखा प्रबंधक से लेकर इलाहाबाद मुरादाबाद और मुंबई में बैठे भारतीय स्टेट बैंक के उच्च पदस्थ अधिकारियों की चौखट ओं की खाक छानने को मजबूर है ।
चकेरी के जाजमऊ गंगा विहार केडीए कॉलोनी निवासी शिव राम वर्मा का गैस चूल्हा व उसकी एसेसरीज का कारोबार है। ग्वालटोली के म्योर मिल खलवा परेड में दीप ट्रेडर्स के नाम से उनकी दुकान है । उसी फर्म के नाम से कर्नलगंज थाना क्षेत्र के अंतर्गत पीपीएन मार्केट स्थित भारतीय स्टेट बैंक की शाखा में उनका करंट अकाउंट (चालू खाता) है । इसी बैंक शाखा में उनके पुत्र दीप सिंह वर्मा की पत्नी प्रियंका राजपूत के भाई पीयूष राजपूत की तैनाती थी । वर्तमान में पीयूष की तैनाती बैंक की महोबा शाखा में सहायक प्रबंधक के पद पर है।आरोप है कि उसने लगभग 4 वर्ष पूर्व शिवराम वर्मा के खाते का बैंक अकाउंट स्टेटमेंट निकाल कर उनकी प्रतिधिन्धी यानी अपनी बहन व दीप की पत्नी प्रियंका राजपूत को बेच दिया । इससे कारोबारी शिवराम वर्मा को लाखों की क्षति उठाना पड़ी । पति दीप सिंह वर्मा के विरुद्ध चल रहे मुकदमे में अपना पक्ष मजबूत करने के उद्देश्य से प्रियंका ने ससुर के खाते का बैंक अकाउंट स्टेटमेंट अदालत में प्रस्तुत किया तो चोरी छिपे स्टेटमेन्ट निकाले जाने का रहस्य खुला ।
मामला संज्ञान में आने पर शिवराम वर्मा ने इसकी शिकायत एसबीआई अफसरों से की।उन्होंने पियूष राजपूत द्वारा स्टेटमेंट निकालने की ठोस जानकारी दी और अपराध सिद्ध करने वाले सबूत पेश किए,किंतु उसके खिलाफ अधिकारियों द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गई। पीड़ित वर्मा का आरोप है कि शिकायतों पर अफसरों से सिर्फ आश्वासन मिला,यद्यपि अफसर भी उसे दोषी मान रहे हैं,किंतु कार्रवाई नहीं कर रहे हैं।पीड़ित ने स्वयं मुंबई जाकर एसबीआई के चेयरमैन कार्यालय में भी शिकायत दर्ज कराई । चेयरमैन के सचिव सुरेश पवार ने 20 लाख का क्लेम पास किया और 21 दिन के अंदर उसके विरुद्ध कार्यवाही तथा क्लेम धनराशि प्राप्त का आश्वासन भी दिया।मगर आज तक न क्लेम मिला और ना ही आरोपित पीयूष के खिलाफ कार्रवाई हो सकी।लखनऊ स्थित ग्राहक सेवा कार्यालय में सहायक महाप्रबंधक पंकज कुमार सिंह से भी की गई शिकायत बेनतीजा रही । इधर एसबीआई शाखा पीपीएन मार्केट के प्रबंधक आशुतोष अवस्थी ने क्लेम दिलाने व पीयूष के विरुद्ध कार्यवाही का भरोसा दिलाकर उनसे लिखवा लिया की स्टेटमेंट निकाले जाने को लेकर बैंक की पीपीएन मार्केट शाखा जिम्मेदार नहीं है ।
कानपुर नगर की दो अलग-अलग अदालतों में पीयूष राजपूत के विरुद्ध आईटी एक्ट की धारा 72 तथा आईपीसी की धारा 323,504 के तहत मुकदमे चल रहे हैं।पुलिस की चार्जशीट में पीयूष व प्रियंका को दोषी बताया गया है। दोनों मुकदमों में आरोपित पीयूष के विरुद्ध गैर जमानती वारंट भी जारी है ।यह सभी दस्तावेज एसबीआई के वरिष्ठ अधिकारियों तथा क्षेत्रीय प्रबंधक धीरज कुमार सिंह आदि को प्राप्त कराए जा चुके हैं।इन सब के बावजूद पीड़ित कारोबारी को हुए आर्थिक नुकसान की क्षतिपूर्ति नहीं की जा रही है ।
कारोबारी शिवराम वर्मा का कहना है कि एसबीआई के कारण उनका व परिवार का अत्यधिक मानसिक उत्पीड़न हुआ है,जिससे परिवार संभल नहीं पा रहा है । उन्होंने कहा कि एसबीआई देश का सबसे बड़ा व भरोसेमंद बैंक है,किंतु उपभोक्ताओं के खाते यहां भी सुरक्षित नहीं है । उन्होंने चेतावनी दी कि बैंक द्वारा यदि उन्हें न्याय नहीं मिला और नुकसान की भरपाई नहीं की गई तो वह विभिन्न माध्यमों से अपने साथ हुई धोखाधड़ी के साथ एसबीआई में व्याप्त भ्रष्टाचार को सारे देश के सामने उजागर करने से गुरेज नहीं करेंगे ।
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