आज़म महमूद/शाह
कानपुर । पैगम्बर ए इस्लाम के नवासे, हज़रत अली के शहज़ादे हज़रत इमाम हुसैन की याद मे खानकाहे हुसैनी 96/39, कर्नलगंज हज़रत ख्वाजा सैय्यद दाता हसन सालार शाह की दरगाह पर हक हुसैन, मौला हुसैन, हिंदुस्तान जिंदाबाद, ख्वाजा का हिंदुस्तान ज़िंदाबाद के नारों के साथ परचम कुशाई की रस्म अदा कर मोहर्रम की पहली तारीख का आगाज़ होने के बाद निशान ए पैक कासिदे हुसैन के नायब खलीफा परचम को लेकर खानकाहे हुसैनी से हीरामन पुरवा कील वाले हाते ढ़ेर पर पहुंचकर नज़र होने के बाद परचम लगाकर परचम कुशाई की आख़िरी रस्म अदा की।
ज़ोहर की नमाज़ के बाद हक का साथ व इंसानियत को जिंदा रखने का पैगाम देने वाले पैगम्बर ए इस्लाम के नवासे, शहज़ाद ए हज़रत अली हज़रत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम की याद मे खानकाहे हुसैनी मे परचम कुशाई की शुरुआत हाफिज़ गुलाम वारिस ने तिलावते कुरान ए पाक से की। अदबो एहतिराम, अकीदत के साथ परचम मे केवड़ा, इत्र, गुलाब के हार पेशकर परचम लहराया गया। परचम के लहरते ही अकीदतमंदों के हुजूम ने हक हुसैन, मौला हुसैन, हिंदुस्तान ज़िंदाबाद, ख्वाजा का हिंदुस्तान ज़िन्दाबाद के लगाए नारों की सदाएं पूरे इलाके मे गूँजने लगी। इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम को खिराजे अकीदत पेश करते हुए सुल्तान ए हिंद ख्वाजा गरीब नवाज़ फरमाते है *( शाह भी हुसैन है, बादशाह भी हुसैन है, दीन भी हुसैन है, दीन को पनाह देने वाले भी हुसैन, सर दिया न दिया हाथ यज़ीद के हाथ मे, हकीकत तो है कि लाईलाहा की बुनियाद हुसैन है। )* इस्लाम तुझे गोद मे पाला हुसैन ने, ठोकर लगी जब भी संभाला हुसैन ने, इस्लाम तेरी रगों मे चुभता था बार-बार कांटा था एक यज़ीद, निकला हुसैन ने।
परचम को निशान ए पैक कासिदे हुसैन के नायब खलीफा मोहम्मद कफील हुसैन खाँ ने अदबो एहतिराम के साथ खानकाहे हुसैनी से लेकर हक हुसैन, मौला हुसैन की सदाओं के साथ लेकर आगे बड़े उनके साथ अकीदतमंदों की भीड़ चल रही थी परचम *खानकाहे हुसैनी से लकड़मण्डी, यतीमखाना चौराहा, रेडीमेड मार्केट, दादामियाँ चौराहा, हीरामनपुरवा कील वाला हाता ढ़ेर* पर पहुंचा जहां नज़र के बाद परचम को लगाकर परचम कुशाई की आखिरी रस्म अदा की गयी।
परचम कुशाई के बाद दुआ हुई दुआ मे हाफिज़ मोहम्मद माज़ सलामी ने अल्लाह से अपने हबीब के सदके मे मौला अली, हसन हुसैन पंजतने पाक के सदके मे मुसलमानों को नमाज़ी बना दे, मुल्क मे नफरत का ज़हर घोलने वालों पर कहर नाज़िल कर, मुसलमानों की हिफाज़त फरमा, ऐ *अल्लाह हुज़ूर सरकार हज़रत मोहम्मद मुस्तफा (स०अ०व०), मौला अली, हसन हुसैन* के सदके मे हम सबको सच्चे रास्ते पर चलाने वाला बना दे, हमारे मुल्क को दहशतगर्द के पंजे से आज़ाद कर। दुआ मे मौजूद तमाम लोगों ने आमीन आमीन आमीन कहा।
परचम कुशाई मे *इखलाक अहमद डेविड, निशान ए पाक कासिदे हुसैन के खलीफा शकील अहमद खाँ, नायब खलीफा मोहम्मद कफील हुसैन खाँ, नसीम मुन्ना, इरशाद अहमद, रिज़वान हुसैनी, फाज़िल चिश्ती, रौनक अली, चाँद कादरी, रिज़वान वारसी, हाफिज़ गुलाम वारिस, हाफिज़ जैनुल्लाब्दीन, मोहम्मद अहमद वारसी, आफताब खान, प्रिंस, शकील अब्बा, अबरार अहमद, मोहम्मद जावेद, लाल, शफाअत हुसैन, इस्लाम खान, अफज़ाल अहमद* मुख्य थे।
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