कानपुर । सूबे की प्रमुख संस्था मुस्लिम वेलफेयर एसोसिएशन के कानपुर सदर मुहम्मद वासिक बेग बरकाती ने सभी देशवासियो को पैगम्बर ए इस्लाम हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहो अलैही वसल्लम की यौमे विलादत की मुबरकबाद पेश की और कहा की हम सभी को अपने नबी के बताए हुए रास्ते पर चलना चाहिए और उनकी दी हुई तालीमात पर अमल करना चाहिए ।
हज़रत मुहम्मद सल्ल० ने ऐसे समय में जन्म लिया जब अरब के हालात बेहद खराब थे बच्चियों को जिंदा दफन कर दिया जाता था,विधवाओं से बुरा सलूक होता था,छोटी-छोटी बात पर तलवारें खींच जाती,खून की नदिया बह जाती थीं, अरब कबीलों में बंटा था,इंसानियत शर्मसार हो रही थी । ऐसे समय में इंसानों की रहनुमाई के लिए इस्लामिक तारीख 12 रबीउल अव्वल यानी 20 अप्रैल सन् 571 ई.में अरब के मक्का शहर में हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहो अलैही वसल्लम का जन्म हुआ । इस वर्ष 12 रबीउल अव्वल 30 अक्टूबर को है पूरी दुनिया के मुसलमान इस दिन को बड़ी अकीदत के साथ मनाते हैं ।
हजरत मुहम्मद साहब ने इंसान को शिक्षा दी कि सभी मानव समान हैं एक ईश्वर की संतान हैं । तमाम विरोधों के बावजूद उन्होंने खुदा के पैगाम को पूरी दुनिया में पहुंचाया । मज़लूमो, गुलामों,औरतों,बेसहारा,यतीमों को उनका हक दिलाया । वह 63 साल की उम्र में 12 रबीउल अव्वल सन् 11 हिजरी के मुताबिक 8 जून 632 ई. को फानी दुनिया से पर्दा फरमाए।
वासिक बेग ने आगे कहा कि यह पर्व ईदों की ईद है । पैगम्बर साहब ने इंसानों को जीने का तरीका बताया । लोगों को सही रास्ते पर चलने की तालीम दी । सभी लोग कोविड 19 की गाइडलाइंस का ख्याल रखते हुऐ जश्न-ए-ईदमिलादुन्नबी का एहतमाम करें । यह त्योहार हमारे लिए खास है । इस दिन इंसानों के रहनुमा भेजे गए इसलिए खुदा ने हमें बेहतरीन उम्मत के खिताब से नवाज़ा ।
बरकाती ने आगे कहा कि इस दिन हमें हर वो नेक काम करना चाहिए जिससे हमारे नबी खुश हों । लोगों के साथ भलाई करें,भूखो को खाना खिलाये,गरीबों की मदद करें, यतीम और बेवाओ का सहारा बने,अपनी ज़ात से किसी को तकलीफ ना पहुंचाए । यही हमारे नबी की दी हुई तालिमात है तमाम मुसलमानों को इस पर अमल करना चाहिए ।
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